
ऑस्ट्रेलिया में बढ़तीं दक्षिणपंथी गतिविधियों को रोकने के लिए अल्बनीज सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. देश में दक्षिणपंथी गतिविधियों में लगातार वृद्धि के कारण ऑस्ट्रेलिया सरकार देश भर में स्वास्तिक और अन्य नाजी प्रतीकों पर बैन लगाने की तैयारी में है. अल्बनीज सरकार इसको लेकर कानून बनाने की योजना बना रही है.
ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस ने गुरुवार को कहा है कि ऑस्ट्रेलिया के कई राज्य पहले से ही इस तरह के प्रतीकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं. ऐसे में संघीय कानून बन जाने से पूरे देश में इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाया जा सकेगा.
ऑस्ट्रेलिया स्वास्तिक और अन्य प्रतीकों को क्यों कर रहा है बैन?
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में हिंसा और धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों के लिए इस प्रतीक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. ऐसे में हमें लगता है कि इसको लेकर एक संघीय (फेडरल) कानून बनाने का समय आ गया है, जिसे मैं अगले सप्ताह संसद में पेश करूंगा. कानून के माध्यम से इस तरह की गतिविधि को समाप्त करने की जिम्मेदारी मुझे दी गई है. कोई भी प्रतीक जो नाजी प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करता है, हम उसे समाप्त करना चाहते हैं. घृणा और हिंसा फैलाने वालों के लिए ऑस्ट्रेलिया में कोई जगह नहीं है."
हालांकि, यह बिल कानून का रूप ले पाएगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में लेबर पार्टी की सरकार है और वह सिर्फ हाउस ऑफ रिपरजेंटेटिव को नियंत्रित कर सकती है, सीनेट को नहीं. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि यह कानून प्रभावी रूप से कब लागू होगा. कानून में नाजी प्रतीकों के इस्तेमाल या प्रदर्शित करने वाले लोगों के लिए एक साल तक की जेल का प्रावधान है.
हालांकि, धार्मिक, शैक्षिक या कलात्मक उद्देश्यों के लिए प्रतीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह बैन हिंदू, बौध और जैन धर्म का पालन करने वाले लोगों के स्वास्तिक प्रतीक के उपयोग को प्रभावित नहीं करेगा.
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया एजेंसी ने जताई थी चिंता
अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस का कहना है कि देश में पहले नियो-नाजियों (neo-Nazis) की संख्या कम थी. लेकिन ऑस्ट्रेलिया की मुख्य घरेलू जासूस एजेंसी और ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन ने पिछले तीन वर्षों में उनकी गतिविधियों को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि देश में इस तरह के लोगों की संख्या बहुत कम है. मुझे उम्मीद है कि यह संख्या और कम हो रही है और अंततः एक दिन खत्म हो जाएगी.
ऑस्ट्रलिया के कई राज्यों में पहले से ही बैन हैं ये प्रतीक
जून 2022 में सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया का विक्टोरिया राज्य ने इस तरह के प्रतीकों के सार्वजनिक इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था. ऑस्ट्रेलिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य विक्टोरिया की संसद ने इस कानून को पारित किया था. इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो उसे 15 हजार से ज्यादा डॉलर का जुर्माना देना होगा और 12 महीने की जेल की सजा होगी. वहीं, अगस्त 2022 में एक और ऑस्ट्रेलियाई राज्य न्यू साउथ वेल्स ने स्वास्तिक चिह्न को प्रदर्शित करने पर बैन लगा दिया था.
स्वास्तिक का नाजी और हिटलर कनेक्शन?
जानकारों का मानना है कि नाजियों द्वारा स्वास्तिक को अपनाया जाना महज एक संयोग है. 19वीं-20 वीं शताब्दी में तब दुनियाभर के स्कॉलर भारत में पढ़ने के लिए आते थे. बहुत से जर्मन स्कॉलर भी आए और वैदिक अध्ययन करते हुए मान लिया कि भारत और जर्मनी के लोग जरूर आर्यों की संतानें हैं. इस संबंध को पक्का करने के लिए हिटलर की पार्टी ने स्वास्तिक का आइडिया ले लिया. इसे हकेनक्रुएज कहा गया.
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों का कहना है कि हकेनक्रुएज यानी स्वास्तिक हिंसा को दिखाता है. कट्टरपंथी संगठन इस प्रतीक का इस्तेमाल लोगों को अपने गुट में भर्ती के लिए के लिए भी करते हैं.
स्वास्तिक और हेकनक्रेज में क्या है अंतर?
हकेनक्रुएज लाल बैकग्राउंड पर सफेद गोले के भीतर एक काला चिन्ह है, जिसे जर्मनी में हकेनक्रुएज के अलावा हुक्ड क्रॉस भी कहते हैं. स्वस्तिक से मिलता-जुलता ये चिन्ह दाहिनी तरफ से 45 डिग्री पर रोटेट किया हुआ है और चारों ओर लगने वाले 4 बिंदु भी इसमें नहीं हैं. हिटलर ने इसे अपनी नस्ल को बेहतर बताने से जोड़ा और कहा कि सारी दुनिया के आर्य इस प्रतीक को अपना लें. ये अपील वो समय-समय पर करता रहा और जल्द ही हकेनक्रुएज से सारी दुनिया नफरत करने लगी.