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ऑस्ट्रेलिया में पैदा हुए भारतीय बच्चे को डिपोर्ट करना चाहती है सरकार, दिव्यांगता है वजह

कयान ने हाल ही में एक लोकल स्पेशलिस्ट स्कूल में एडमिशन लिया है. जहां वो तेजी से रिकवर भी कर रहा है. ऐसे में कयान के परिवार को डर है कि वो यहां से जाने के बाद अपनी इस रिकवरी में वापस पहले जैसी स्थिति में ना चला जाए.

ऑस्ट्रेलिया में जन्मे कयान को दिव्यांगता के चलते डिपोर्ट करना चाहती है सरकार (Pic: ABC News) ऑस्ट्रेलिया में जन्मे कयान को दिव्यांगता के चलते डिपोर्ट करना चाहती है सरकार (Pic: ABC News)
aajtak.in
  • मेलबर्न,
  • 22 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST
  • कयान के पास ऑस्ट्रेलिया का बर्थ सर्टिफिकेट है, लेकिन नहीं मिल रहे अधिकार
  • बच्चे की दिव्यांगता के चलते होगा परिवार का वीजा कैंसिल

ऑस्ट्रेलिया में जन्म लेने वाला कयान कात्याल अगर दिव्यांग नहीं होता तो उसे वहां की नागरिकता मिल चुकी होती. लेकिन 6 साल का कयान सेरिब्रल पैल्सि जैसी बीमारी के साथ पैदा हुआ. सिर्फ यही एक कारण है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार उसे देश से निकालना चाहती है. कयान के पिता वरुण कात्याल कहते हैं कि सच तो ये है कि कयान के पास ऑस्ट्रेलिया का बर्थ सर्टिफिकेट है, लेकिन इसके बाद भी उसे ऑस्ट्रेलिया में उसके अधिकार उसे नहीं मिल सकते हैं. यह बहुत मायूस करने वाली बात है.   

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एक मीडिया इंटरव्यू में कयान के पिता वरुण बताते हैं कि हमारा घर कयान की खिलखिलाहटों से भरा रहता है. वरुण कहते हैं कि कयान अभी यह भी नहीं जानता कि उसके माता-पिता उसके उस अधिकार के लिए लड़ रहे हैं जिसका वो हक़दार है. उन्होंने बताया कि अब से 12 साल पहले वो भारत से ऑस्ट्रेलिया आए थे. वो यहां यूरोपीय कुकरी का अध्ययन करने के लिए आए थे. जिसमें वो कुछ समय एक रेस्टोरेंट में बतौर शेफ काम भी कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि कयान की मां, प्रियंका आठ साल पहले यहां शिफ्ट हुईं. जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली थी.  

वरुण ने बताया कि हम इस देश की हर जरूरी प्रक्रिया से गुजरते हैं. यही नहीं गृह मंत्रालय द्वारा मांगी गई हर जानकारी का अनुपालन भी करते हैं. ऐसे में जब वो यहां एक रेस्टोरेंट खोलने का सपना देख रहे थे उसी समय कयान सेरिब्रल पैल्सि के साथ दुनिया में आया. यह एक ऐसी चीज थी जो वीजा में थी, लेकिन हमारे हाथ में नहीं थी. होम मिनिस्ट्री ने यह साफ़ कर दिया कि कयान की दिव्यांगता ही एकमात्र कारण है जिसके चलते परिवार इस देश में नहीं रह सकता है. 

कयान ने हाल ही में एक लोकल स्पेशलिस्ट स्कूल में एडमिशन लिया है. जहां वो तेजी से रिकवर भी कर रहा है. ऐसे में कयान के परिवार को डर है कि वो यहां से जाने के बाद अपनी इस रिकवरी में वापस पहले जैसी स्थिति में ना चला जाए. 19 साल की उम्र में भारत छोड़ देने वाले वरुण का कहना है कि मुझे नहीं पता वापस लौटकर मैं भारत में कोई काम कर सकूंगा भी या नहीं. सरकार से अपील करते हुए वरुण कहते हैं कि आप चाहे तो हमारी हिस्ट्री चेक करवा लीजिये, सिर्फ मेरे बेटे की बीमारी के चलते हमारा वीजा कैंसल न करें. 

माइग्रेशन एक्ट ऑस्ट्रेलिया में तमाम कानूनों  में से एक है, जहां दिव्यांगता के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव किया जाना सही है. हालांकि इस मामले में कोई सटीक डाटा नहीं है कि अब तक कितने परिवारों को ऐसी स्थिति में देश छोड़ने को कहा गया है, लेकिन मामले से जुड़े वकीलों का कहना है कि साल में तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले देखने को मिल ही जाते हैं.  कई बार ऐसे लोग जो अपनी स्थिति पर ध्यान दे लेते हैं उन्हें रुकने का मौका मिल जाता है, लेकिन ऐसे न जाने कितने ही मामले होंगे जिसमें परिवार संघर्ष कर रहे हैं. माइग्रेशन एक्ट के अनुसार जो लोग स्थायी निवासी नहीं है, और उनके बच्चे में दिव्यांगता पाई जाती है तो उन्हें निर्वासित किया जा सकता है. 

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