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जिस इस्लामिक देश ने इजरायल से जोड़ा था रिश्ता, उसने अब उठाया ये कदम

इजरायल को अरब देशों ने अलग-थलग कर रखा था लेकिन साल 2020 में अमेरिका के प्रयासों से यूएई, बहरीन जैेसे कुछ अरब देशों ने इजरायल के साथ संबंध स्थापित किए थे. लेकिन गाजा पर इजरायल के हमले को देखते हुए अरब देश इजरायल के साथ अपने संंबंध फिर से न्यूनतम कर रहे हैं.

बहरीन ने इजरायल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है (Photo- Reuters) बहरीन ने इजरायल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST

हमास के साथ लड़ाई के बीच इजरायल के अरब देशों के साथ संबंध सामान्यीकरण के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है. सालों के प्रयास के बाद इजरायल ने बहरीन के साथ संबंध स्थापित किए थे लेकिन उसकी सालों की कोशिश पर कुछ दिनों से चल रहे युद्ध ने पानी फेर दिया है. बहरीन ने पुष्टि की है कि उसने इजरायल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. गुरुवार को बहरीन की सरकार ने कहा कि इजरायल से उसके राजदूत वापस आ गए हैं और बहरीन से इजरायल के राजदूत कुछ दिनों पहले ही वापस लौट गए हैं.

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इससे पहले बुधवार को बहरीन की संसद की सलाहकार संसदीय निकाय, जिसके पास विदेश नीति को लेकर कोई शक्तियां नहीं है, ने कहा था कि इजरायल के साथ आर्थिक संबंध भी तोड़ दिए गए हैं. हालांकि, इजरायल का कहना है कि बहरीन के साथ संबंध 'स्थिर' हैं.

बहरीन की सरकार ने यह नहीं बताया कि इजरायल के साथ आर्थिक संबंधों में किस हद तक कटौती की गई है, हालांकि यह जरूर बताया गया कि दोनों देशों के बीच उड़ानें अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई हैं. बहरीन ने इजरायल से अपने राजदूत को बुलाने का फैसला इजरायल के गाजा पर हमलों को देखते हुए मध्य-पूर्व में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद लिया है. 

अरब देशों पर बढ़ता दबाव

7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के संगठन हमास के हमले के बाद इजरायल हमास नियंत्रित गाजा पर जमीनी और हवाई कार्रवाई कर रहा है. हमले में अब तक 9,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इस हमले को लेकर यूएई, बहरीन, जॉर्डन जैसे अरब देशों पर दबाव बढ़ गया है कि वो इजरायल के साथ अपने संबंधों को खत्म करें. 

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जॉर्डन ने इस सप्ताह की शुरुआत में इजरायल से अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया. साल 2020 में यूएई, बहरीन, सूडान, मोरक्को जैसे अरब देशों ने अमेरिका के प्रयासों के बाद इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य किया था. इजरायल के साथ अरब देशों के सामान्यीकरण समझौते को अब्राहम समझौता कहा जाता है.

अब्राहम समझौते की आलोचना

इस समझौते के आलोचकों का कहना है कि इस समझौते के तहत फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर दशकों से चले आ रहे इजरायली कब्जे का समाधान निकाले बगैर इजरायल के साथ संबंध सामान्य किया गया जिससे इजरायल को फायदा उठाने की मंजूरी मिल गई है. आलोचक मानते हैं कि अरब के देश निरंकुश सरकारों के साथ समझौता करके जनता की राय को नजरअंदाज करते हैं.

बहरीन में, जहां विरोध-प्रदर्शनों को सख्ती से दबा दिया जाता है, वहां प्रदर्शनकारी फिलिस्तीनियों के समर्थन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने इजरायली दूतावास तक मार्च किया और उन्होंने सरकार से मांग की कि इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौता रद्द कर दिया जाए.

गाजा में चल रहे युद्ध ने इजरायल और सऊदी अरब के बीच संभावित सामान्यीकरण समझौते पर भी ग्रहण लगा दिया है. यु्द्ध से पहले ऐसी रिपोर्टें थीं कि सऊदी-इजरायल जल्द ही सामान्यीकरण समझौता कर लेंगे लेकिन अब युद्ध के बाद सऊदी इजरायल के प्रति बेहद सख्त रुख अपना रहा है और समझौते की कोशिशें फिलहाल नाकाम होती दिख रही हैं.

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काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में मध्य पूर्व और अफ्रीका अध्ययन के वरिष्ठ फेलो स्टीवन कुक ने पिछले महीने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया था, 'मुझे लगता है कि सामान्यीकरण की यह गति धीमी हो जाएगी या रुक जाएगी.'

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