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जेल में रहकर बना 'जल्लाद', 26 कैदियों को दी फांसी... 32 साल बाद रिहा हुए भुइयां की कहानी

बांग्लादेश में जल्लाद भुइयां को 1991 में हत्या और डकैती का दोषी ठहराते हुए 42 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. 2001 में उसे जेल प्रशासन ने जल्लाद का काम सौंप दिया था. भुइयां ने जिन 26 लोगों को फांसी दी है, उनमें बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के हत्यारे भी शामिल हैं.

जल्लाद भुइयां जल्लाद भुइयां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

जल्लाद भुइयां असली नाम शाहजहां भुइयां... साल 1991 से जेल में बंद बांग्लादेश के इस जल्लाद को रविवार को जेल से रिहा कर दिया गया. भुइयां को चोरी और डकैती के आरोप में 42 साल की सजा हुई थी. लेकिन साल 2001 में जेल प्रशासन ने उसे फांसी देने का काम सौंप दिया. तब से लेकर अब तक वह 26 लोगों को फांसी दे चुका है. भुइयां ने जिन 26 लोगों को फांसी दी है, उनमें बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के हत्यारे भी शामिल हैं.

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74 साल का भुइयां 32 साल जेल में रहने के बाद रविवार को जैसे ही ढाका सेंट्रल जेल से बाहर आया. वहां मौजूद पत्रकारों से उसने कहा कि उसे बाहर आकर अच्छा लग रहा है. भुइयां अपनी सजा के दौरान बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के हत्यारों सहित कई हाई प्रोफाइल अपराधियों को फांसी दे चुका है.

1991 में भुइयां को हत्या और डकैती का दोषी ठहराते हुए 42 साल कैद की सजा सुनाई थी. 2001 में उसे जेल प्रशासन ने जल्लाद का काम सौंप दिया था. इसके बाद से ही सब उसे जल्लाद नाम से पुकारने लगे.

हर फांसी पर दो महीने की सजा माफ

बांग्लादेश सरकार ने जल्लाद भुइयां को हर एक फांसी पर दो महीने की सजा में छूट दी. इस तरह उसकी चार साल चार महीने की सजा माफ कर दी गई. लेकिन साथ में उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए दस साल की सजा भी माफ कर दी गई. 

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भुइयां का कहना है कि जब भी वह किसी को फांसी देता था, तो उसका मन बहुत भारी हो जाता था. लेकिन उसे यह भी पता था कि अगर वह ये काम नहीं करेगा तो कोई और करेगा. भुइयां ने कहा कि मैं दिलेर था और जेल प्रशासन ने मुझ पर भरोसा कर मुझे यह काम सौंपा था.  

मुनीर को दी फांसी....कभी ना भूलने वाला पल

भुइयां का कहना है कि उसने अब तक जितने भी लोगों को फांसी दी हैं, उनमें मुनीर नाम के एक कैदी को दी गई फांसी को याद करते हुए वह सिहर उठता है. भुइयां ने कहा कि मैं मुनीर की फांसी को ताउम्र नहीं भूल सकता. जब उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने कहा कि वह सिगरेट पीना चाहता है.

ढाका सेंट्रल जेल के जेलर माहबुबुल इस्लाम का कहना है कि सजा के तहत भुइयां पर 10000 टका का जुर्माना भी लगाया गया था लेकिन यह राशि बाद में जेल प्रशासन ने अदा की थी. 

सरकार से घर की गुजारिश

बांग्लादेश के नारसिंगडी के रहने वाले भुइयां का कहना है कि उसका खुद का कोई ठिकाना नहीं है. वह जेल में साथ रह चुके एक कैदी के घर जाकर रहने वाला है. उसने बताया कि मेरी एक बहन और भतीजा है. लेकिन जेल जाने के बाद मैंने उनसे कभी संपर्क नहीं किया. 

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बता दें कि भुइयां ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पास अपनी दया याचिका भेजी थी, जिसे पीएम ने स्वीकार कर लिया और इस तरह भुइयां जेल की चारदीवारी से बाहर आ पाया. भुइयां की बांग्लादेश सरकार से गुजारिश है कि उसका कोई घर नहीं है. सरकार उसकी मदद करे और उसे एक घर मुहैया कराए.

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