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बांग्लादेश में 3 साल से साजिश रच रहा था जमात-ए-इस्लामी का छात्र शिबिर, छात्रों को भड़काकर ऐसे सुलगाई हिंसा की आग

छात्र शिबिर के अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष पूरे ढाका में पिछले 3 साल से एक्टिव थे. इन लोगों ने साजिशन छात्रों को भड़काना शुरू किया था. सबसे पहले इस्लामी छात्र शिबिर ने देशभर की यूनिवर्सिटी में उस परिबेष परिषद को चुना जिसके जरिए बांग्लादेश के यूनिवर्सिटी में छात्र एडमिशन के लिए आते हैं.

बांग्लादेश में सड़कों पर हो रही है हिंसा.PTI बांग्लादेश में सड़कों पर हो रही है हिंसा.PTI
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है. पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा है. हिंदुओं का कत्लेआम हो रहा है. लेकिन इन सबके पीछे जो एक सवाल सबके मन में है वो ये कि आखिर 8 महीने पहले हुए चुनाव में इतनी बड़ी जीत के साथ वापसी करने वाली शेख हसीना से ऐसी कौन सी खता हुई कि देश में तख्तापलट हो गया. इसको लेकर कई एंगल सामने आ रहे हैं. इसी बीच जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की स्टूडेंट विंग इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) का नाम सामने आया है. कहा जा रहा है कि इसी स्टूडेंट विंग ने प्लानिंग के तहत बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल तैयार किया जिसके चलते आज बांग्लादेश अस्थिर हो गया है. आइए जानते हैं कि आखिर छात्र शिबिर ने इसे कैसे अंजाम दिया.

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3 साल से एक्टिव था छात्र शिबिर

सूत्रों की मानें तो छात्र शिबिर के अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष पूरे ढाका में पिछले 3 साल से एक्टिव थे. यहां इन लोगों ने साजिशन छात्रों को भड़काना शुरू कर दिया. सबसे पहले इस्लामी छात्र शिबिर ने देशभर की यूनिवर्सिटी में उस परिबेष परिषद को चुना जिसके जरिए बांग्लादेश के अलग-अलग यूनिवर्सिटी में छात्र एडमिशन के लिए आते हैं. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि महज 5 साल में ही इस छात्र इकाई के सदस्यों की संख्या 5000 से बढ़कर पूरे बांग्लादेश में करीब एक लाख काडर तक की हो गई थी.

2023 में बदल गई तस्वीर

पिछले 10 साल से परिषद लगातार यूनिवर्सिटीज को अप्रोच करता रहा कि उनके काडर को परिबेश परिषद में जगह दी जाए. यूनिवर्सिटी में एडमिशन देने वाले छात्रों पर शुरुआत से ही जमात ने अपनी इस इकाई के जरिए प्रभाव डालना शुरू कर दिया. 2023 तक आते-आते पूरे बांग्लादेश में इस्लामी छात्र शिबिर का एक ऐसा काडर तैयार हो गया जो एक ही संदेश में बांग्लादेश की सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतर जाता. यह काडर लगातार शेख हसीना और भारत के खिलाफ मुद्दा बनाते रहे.

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चुनाव से पहले भी किया था आंदोलन

शेख हसीना के 2024 में चुनाव जीतने से ठीक पहले साल 2023 के अक्टूबर से दिसंबर के बीच भी छात्र शिबिर ने ढाका और उसके आसपास के इलाकों में कई आंदोलन किए थे. लेकिन वह हसीना सरकार की वापसी को नहीं रोक सके. इसी छात्र इकाई से जुड़ा पूर्व सदस्य नुरुल इस्लाम बुलबुल फिलहाल ढाका की स्थानीय राजनीति में बेहद सक्रिय है. 2024 से पहले वह लगातार भारत विरोधी और शेख हसीना विरोधी प्रदर्शन में शामिल रहा था.

शेख हसीना ने लगाया था बैन

शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा छात्र शिबिर और इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कदम बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं.

यह भी पढ़ें: 'मंदिर तोड़े जा रहे, निशाने पर हिंदू, एकजुट होकर लड़ना होगा', बांग्लादेश के हालात पर बोले CM योगी

जमात-ए-इस्लामी क्या है? 

जमात-ए-इस्लामी एक राजनीतिक पार्टी है, जिसे बांग्लादेश में कट्टरपंथी माना जाता है. यह राजनीतिक पार्टी पूर्व पीएम खालिदा जिया की समर्थक पार्टियों में शामिल है. जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन के तहत अविभाजित भारत में हुई थी. बता दें कि जमात-ए- इस्लामी का बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमला करने में भी नाम आता रहा है. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जमात-ए-इस्लामी और छात्र शिविर लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाते रहे हैं. बांग्लादेश में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों का आकलन है कि साल 2013 से 2022 तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर 3600 हमले हुए हैं. इसमें जमात-ए-इस्लामी का कई घटनाओं में रोल रहा है.

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