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बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले के बीच इस अमेरिकी सर्वे की क्यों हो रही है चर्चा?

यह सर्वे अक्टूबर के आखिर में किया गया था जिसके अनुसार, 64.1% लोगों का मानना ​​है कि कार्यवाहक सरकार पिछली शेख हसीना शासन की तुलना में अल्पसंख्यकों को अधिक सुरक्षा प्रदान कर रही है. द डेली स्टार, ढाका ट्रिब्यून, बांग्ला न्यूज 24 और द बिजनेस स्टैंडर्ड सहित ज्यादातर बांग्लादेशी मीडिया हाउस ने इसी लाइन पर फोकस किया. 

बांग्लादेश का मीडिया 'अल्पसंख्यकों की सुरक्षा' पर VOA का सर्वे शेयर कर रहा है बांग्लादेश का मीडिया 'अल्पसंख्यकों की सुरक्षा' पर VOA का सर्वे शेयर कर रहा है
सुशीम मुकुल
  • ढाका,
  • 30 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

बांग्लादेश में शुक्रवार की नमाज के बाद हिंदुओं और मंदिरों पर हमलों के बीच, ढाका के मीडिया आउटलेट्स ने देश में अल्पसंख्यकों पर 'वॉयस ऑफ अमेरिका' के एक सर्वे को शेयर करते हुए खुशी जाहिर की. यह सर्वे दावा करता है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूह मुहम्मद यूनुस की 'अंतरिम सरकार के तहत अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं'. 

हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और है जो इस सर्वे के सैंपल से बयां हो रही है. अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक हिंदू पुजारी की गिरफ्तारी और इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश के बीच बांग्लादेशी मीडिया की ओर से वॉयस ऑफ अमेरिका के एक सर्वे को जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है. 

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क्या दावा करता है सर्वे?

यह सर्वे अक्टूबर के आखिर में किया गया था जिसके अनुसार, 64.1% लोगों का मानना ​​है कि कार्यवाहक सरकार पिछली शेख हसीना शासन की तुलना में अल्पसंख्यकों को अधिक सुरक्षा प्रदान कर रही है. द डेली स्टार, ढाका ट्रिब्यून, बांग्ला न्यूज 24 और द बिजनेस स्टैंडर्ड सहित ज्यादातर बांग्लादेशी मीडिया हाउस ने इसी लाइन पर फोकस किया. 

सर्वे में शामिल लोगों में से 15.3% ने माना कि स्थिति पहले से खराब हो गई है, जबकि 17.9% ने महसूस किया कि इसमें कोई बदलाव नहीं आया है. सर्वे में 1,000 लोग शामिल थे, जिनमें से 92.7% ने खुद को मुस्लिम बताया. इसका मतलब है कि यह सर्वे बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम रेस्पोंडेंट की धारणा को दिखाता है. 

अल्पसंख्यक सुरक्षा को लेकर अलग-अलग धारणाएं

सर्वे से पता चलता है कि मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच अल्पसंख्यक सुरक्षा की धारणा अलग-अलग है. केवल 13.9% मुस्लिम रेस्पोंडेंट का मानना ​​था कि यूनुस सरकार के तहत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा स्थिति खराब हुई है. वहीं 33.9% गैर-मुसलमानों का मानना ​​था कि स्थिति पहले से खराब हुई है.

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डर के साये में जी रहे बांग्लादेशी अल्पसंख्यक

ढाका स्थित प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हिरेन पंडित ने बांग्लादेश के बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमारे गांव के घर जला दिए गए और हम अभी भी असुरक्षा के साथ जी रहे हैं.' सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, राजधानी ढाका में भी अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा बढ़ गई है. एक एनजीओ वर्कर जयति सरकार ने मीडिया आउटलेट को बताया, 'पहले, मैं अपनी बेटी के साथ रात 11 बजे भी घर लौटने में हिचकती नहीं थी. लेकिन अब, रात 8 बजे भी मैं असुरक्षित महसूस करती हूं.'

'हिंसा का शिकार बने अल्पसंख्यक समुदाय'

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) की एक हालिया रिपोर्ट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यों और गलत कदमों का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि 'धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक और हाशिए पर रहने वाले समुदाय सेना समर्थित मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले 100 दिनों के दौरान 'हिंसा के शिकार' बने हैं.'

अक्टूबर के आखिर में जब VOA सर्वे हुआ था तो उससे पहले 20 अगस्त को प्रकाशित एक अन्य VOA रिपोर्ट की हेडिंग थी, 'बांग्लादेश में, राजनीतिक अशांति के दौरान धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया'.

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