
शेख हसीना द्वारा नियुक्त बांग्लादेश के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को मंगलवार देर रात बर्खास्त कर दिया गया. द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने मंगलवार को घोषणा की कि ट्रैफिक और ड्राइविंग स्कूल के कमांडेंट मोहम्मद मैनुल इस्लाम नए पुलिस महानिरीक्षक होंगे. बर्खास्त आईजीपी अल-मामून कॉन्ट्रैक्ट पर थे. वह दो साल पहले ही अपनी सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी कर चुके थे और पूर्ववर्ती सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दिया था.
सार्वजनिक प्रशासन मंत्रालय ने एक अधिसूचना के माध्यम से उनका कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया. पुलिस प्रमुख के रूप में चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को दूसरा सेवा विस्तार हाल ही में 5 जुलाई को मिला था. पूरे बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने के बाद अल-मामून को उनके पद से हटाया गया. चौधरी को 21 सितंबर, 2022 को बांग्लादेश पुलिस के महानिरीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. नए आईजीपी 58 वर्षीय मोहम्मद मैनुल ने अपना पुलिस करियर जनवरी 1991 में शुरू किया था.
उन्होंने बांग्लादेश पुलिस के विशिष्ट बल, रैपिड एक्शन बटालियन में भी काम किया है. नए पुलिस प्रमुख यदि 59 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं तो उनका आईजीपी के रूप में कार्यकाल एक वर्ष का होगा. बांग्लादेश पुलिस में प्रमुख पदों पर बैठे कई अन्य एडिशनल आईजीपी को दरकिनार कर ड्राइविंग स्कूल प्रमुख मैनुल को शीर्ष पद पर पदोन्नत किया गया है. लेकिन निश्चित रूप से वह सिविल सेवा कैडर में उनमें से अधिकांश से वरिष्ठ हैं.
बांग्लादेश में चल रही अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया
प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा विवादास्पद जॉब कोटा सिस्टम पर अपनी सरकार के खिलाफ घातक विरोध प्रदर्शन के कारण इस्तीफा देने और देश छोड़ने के एक दिन बाद, तीनों सेना प्रमुखों और स्टूडेंट यूनियन के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के साथ बैठक कर अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा की. बांग्लादेशी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने मंगलवार देर रात एक बयान में बताया कि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है. कोटा सिस्टम और हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट यूनियनों ने यूनुस के नाम का प्रस्ताव रखा था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया.
हसीना सरकार के पतन का कारण बना जॉब कोटा सिस्टम
बता दें कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था, जिसका विरोध करते हुए छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ था. यह उस वक्त हिंसक हो गया जब शेख हसीना सरकार के निर्देश पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में बांग्लादेश के कोटा सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया और 93 फीसदी भर्तियां मेरिट के आधार पर कर दीं और आरक्षण का दायरा सिर्फ 7 प्रतिशत तक सीमित रखा.
बांग्लादेश से भागने पर मजबूर हुईं हसीना, अभी भारत में हैं
इस फैसले के बावजूद खिलाफ प्रदर्शनकारी छात्रों का गुस्सा कम नहीं हुआ और वे सड़कों पर उतर आए. प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें 4 अगस्त को 100 से अधिक लोगों की जान चली गई. उग्र भीड़ ने राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 'गणभवन' पर धावा बोल दिया और जमकर लूटपाट मचाई. स्थिति को भांपते हुए बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने इसके पहले ही शेख हसीना को इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दे दिया था और उन्हें 45 मिनट के अंदर देश छोड़ने के लिए कहा. हसीना ने 5 अगस्त की शाम को बांग्लादेश छोड़ दिया और फिलहाल वह भारत में हैं.