
बांग्लादेश में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. आर्थिक आंकड़े गिरावट के संकेत दे रहे हैं, और राजनीतिक नेतृत्व मोहम्मद यूनुस में विश्वास खोता जा रहा है. मोहम्मद यूनुस की सरकार पर पक्षपात का सीधा आरोप लगाया है इस वक्त बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी बीएनपी ने. बीएनपी ने तो यहां तक कहा है कि अगर ये सरकार न्यूट्रल नहीं रह सकती है तो चुनाव के समय देश में दूसरी तटस्थ सरकार की जरूरत पड़ सकती है.
वहीं मोहम्मद यूनुस अभी तक बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना पर दोषारोपण करना नहीं छोड़ रहे हैं. मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना के राज में आए 8 प्रतिशत के विकास के आंकड़ों को गुमराह करने वाला और गलत बताया है.
वहीं शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के नेता शेख हसीना के संपर्क में हैं और देश में 'कानून का शासन' लौटने का इंतजार कर रहे हैं. इस तरह से बांग्लादेश की राजनीति अभी आरोपों के त्रिकोण में फंसी है.
BNP ने ही यूनुस की निष्पक्षता पर किए सवाल
मोहम्मद यूनुस के लिए सबसे बड़ी चिंता की जो बात है वो यह है कि जिस खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने उन्हें अगस्त की कथित क्रांति के बाद देश की सत्ता सौंपी वहीं बीएनपी अब उनपर निष्पक्ष न होने का आरोप लगा रही है.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने गुरुवार को मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से निष्पक्षता से अपने कर्तव्यों का पालन करने का आग्रह किया है और आरोप लगाया कि सरकार कुछ मुद्दों पर तटस्थता बनाए रखने में विफल रही है.
गौरतलब है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सबसे बड़ी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया इस वक्त लंदन में हैं. उनके बेटे तो 8 साल से लंदन में हैं. पार्टी का सारा काम अभी फखरुल इस्लाम आलमगीर जैसे नेता देख रहे हैं.
फखरुल इस्लाम आलमगीर ने बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार को बड़ा बयान दिया और देश में चुनावों से पहले नई सरकार की पैरवी कर दी. उन्होंने कहा, "यदि अंतरिम सरकार निष्पक्ष नहीं रह सकती है, तो चुनावों के दौरान एक तटस्थ सरकार की आवश्यकता होगी. यह बयान देने के पीछे एक कारण है. हम देखते हैं कि अंतरिम सरकार कई मुद्दों पर तटस्थता बनाए रखने में असमर्थ है."
बीएनपी ने तल्ख लहजा अपनाते हुए कहा कि अंतरिम सरकार को अपनी जिम्मेदारियों का पालन तटस्थता से करनी चाहिए और देश जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसका निदान करना चाहिए.
उन्होंने अंतिरम सरकार को कामचलाऊ सरकार बताते हुए कहा कि चुनाव के बाद बनी सरकार ही लोगों से किये गए वादे को पूरा करने में सफल होगी, इससे लोगों की आकांक्षाएं पूरी होगी.
इसी साल करवाएं चुनाव
उन्होंने यूनुस सरकार से जितना जल्द हो सके रिफॉर्म करने के बाद चुनाव करवाने की मांग की. गौरतलब है कि 84 साल के मोहम्मद यूनुस 2025 के आखिर में या फिर 2026 तक चुनाव करवाना चाहते हैं. मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि चुनाव का समय काफी हद तक राजनीतिक आम सहमति और सुधारों की सीमा पर निर्भर करेगा.
फखरूल ने जल्द चुनावों की मांग करते हुए कहा कि क्या हमें 4 से 5 साल तक इंतजार करना चाहिए? बीएनपी ने कहा कि चुनाव इसी साल जुलाई या अगस्त में करवाये जाने चाहिए.
इधर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में भाग लेने दावोस पहुंचे मोहम्मद यूनुस ये कहते सुने गए कि बांग्लादेश की सत्ता चलाने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है.
नीचे जा रही है बांग्लादेश की इकोनॉमी
अस्थिता की शिकार बांग्लादेश की इकोनॉमी में अभी गिरावट का दौर चल रहा है. द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के बाद पहली बार 2024-25 की पहली छमाही में देश का राजस्व संग्रह निगेटिव में चला गया है.
द डेली स्टार की रिपोर्ट कहती है कि अर्थशास्त्रियों और व्यापारियों के अनुसार राजस्व संग्रह में यह नकारात्मक वृद्धि ही मुख्य मुद्दा नहीं है बल्कि, यह धीमी होती अर्थव्यवस्था और बड़े स्तर पर बढ़ती दरारों का लक्षण है.
विश्व बैंक ने घटाया विकास दर
गौरतलब है कि विश्व बैंक ने "हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बाद महत्वपूर्ण अनिश्चितताओं" और "डेटा अनुपलब्धता" के कारण वित्त वर्ष 2025 के लिए बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को 1.7 प्रतिशत अंक घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है.
यूनुस ने शेख हसीना के ग्रोथ रेट को बताया 'फेक'
इधर शेख हसीना पर मोहम्मद यूनुस के हमले बंद नहीं हो रहे हैं. दावोस में यूनुस ने पूर्व पीएम के विकास दावे को 'गलत' और 'भ्रामक' बताते हुए कहा कि, "वह दावोस में सभी को बता रही थीं कि देश कैसे चलाया जाता है. किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया. यह बिल्कुल भी अच्छी विश्व व्यवस्था नहीं है. पूरी दुनिया इसे संभव बनाने के लिए जिम्मेदार है. इसलिए यह दुनिया के लिए एक अच्छा सबक है, उन्होंने कहा, हमारी विकास दर बाकी सभी से आगे है.ये फेक ग्रोथ रेट है, पूरी तरह से नकली."
बता दें कि 2009 में जब हसीना ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली उस वक्त विकास दर 5 फीसदी थी लेकिन 2017/18 में आंकड़ा बढ़कर 8 फीसदी हो गया था.