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कम वोटिंग, डमी कैंडिडेट और BNP का बहिष्कार… बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी के संकेत हैं ये फैक्टर?

बांग्लादेश में करीब 40 फीसदी मतदान हुआ है. 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था. चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, "मतदान शाम 4 बजे समाप्त हो गया और गिनती शुरू हो गई है." उन्होंने कहा कि नतीजे सोमवार सुबह तक आने की उम्मीद है.

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:16 PM IST

छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी पार्टी BNP और उसके सहयोगियों के बहिष्कार के बीच बांग्लादेशी रविवार को आम चुनाव में वोट डालने वाले लोगों की संख्या कम ही रही है. कम मतदान के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना के लगातार चौथी बार जीत हासिल करने की संभावना प्रबल है. मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने कहा कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मतदान लगभग 40 प्रतिशत था, लेकिन अंतिम गिनती के बाद यह आंकड़ा बदल सकता है.

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सिर्फ 40 फीसदी के करीब वोटिंग
मतदान ख़त्म होने के बाद चुनाव आयोग के मुताबिक वहां सिर्फ 40% मतदान हुआ है. 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था. चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, "मतदान शाम 4 बजे समाप्त हो गया और गिनती शुरू हो गई है." उन्होंने कहा कि नतीजे सोमवार सुबह तक आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं के अलावा, 300 में से 299 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा. एक उम्मीदवार की मृत्यु के कारण आयोग ने एक सीट पर मतदान सस्पेंड कर दिया.

चुनाव आयोग ने वोटिंग के दौरान, पूर्वोत्तर चट्टोग्राम में सत्तासीन अवामी लीग के उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द कर दी. आरोप था कि प्रत्याशी ने एक पुलिस अधिकारी को धमकाया था. इसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र में सत्तासीन पार्टी के दो बागी उम्मीदवारों के बीच चुनाव लड़ा गया. 

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BNP ने किया चुनाव बहिष्कार
मतदान का प्रतिशत इसलि भी कम रहा क्योंकि नजरबंद बीमार पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनाव का बहिष्कार किया. पार्टी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के तहत कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा. चुनाव के दिन लोगों में कहीं भी वोटिंग को लेकर जरा भी उत्साह नजर नहीं आया. यहां तक ​​कि चुनाव प्रचार बूथों के सामने भी सत्ताधारी दल समर्थित समर्थकों और चुनाव एजेंटों के अलावा मतदाताओं की मौजूदगी नहीं थी. कई बूथ पर पीठासीन अधिकारी खाली बैठे रहे और वहां कोई कतार नहीं लगी. 

तीन केंद्रों पर रद्द हुए मतदान
इसके साथ ही सामने आया है कि, तीन केंद्रों पर मतदान रद्द भी किया गया है. इनमें नरसिंगड़ी का एक और नारायणगंज के दो मतदान केंद्र शामिल हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग ने उद्योग मंत्री नुरुल माजिद महमूद हुमायूं के बेटे को नरसिंगडी में चुनावी धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. चट्टोग्राम-10 सीट से चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच झड़प के दौरान गोलियां चलीं. इसके साथ ही दो लोगों - 24 वर्षीय शांतो बरुआ और 35 वर्षीय जमाल को गोली मार दी गई और उन्हें चैटोग्राम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया.

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कई केंद्रों पर झड़प, फायरिंग
जमालपुर के शारिशाबारी में एक मतदान केंद्र पर अवामी लीग के उम्मीदवार और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के समर्थकों के बीच झड़प के बाद दो लोग घायल हो गए. ढाका के हज़ारीबाग़ में एक मतदान केंद्र के पास दो देशी बम विस्फोट होने से एक बच्चे सहित चार लोग घायल हो गए. बांग्लादेश के चुनाव आयोग के अनुसार, कुल 119.6 मिलियन पंजीकृत मतदाता 42,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर रविवार के मतदान में मतदान करने के पात्र थे. 

1500 से अधिक उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव
चुनाव में 436 स्वतंत्र उम्मीदवारों के अलावा 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. भारत के तीन सहित 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षकों ने 12वें आम चुनाव की निगरानी की, जो कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहा है. चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा बलों के 7.5 लाख से अधिक सदस्यों को तैनात किया गया है. मतदान शुरू होने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री हसीना ने ढाका सिटी कॉलेज मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला. उनके साथ उनकी बेटी साइमा वाजेद भी थीं.

2009 से सत्ता में हैं 76 साल की हसीना
76 वर्षीय हसीना 2009 से सत्ता में हैं और उनकी अवामी लीग ने दिसंबर 2018 में पिछला चुनाव जीता था. वह प्रधानमंत्री के रूप में लगातार चौथी बार और एकतरफा चुनाव में कुल मिलाकर पांचवीं बार कार्यकाल हासिल करने के लिए तैयार हैं. हसीना ने वोट डालने के बाद संवाददाताओं से कहा, "देश में मतदान बहुत अच्छे से चल रहा है. मुझे उम्मीद है कि सभी लोग मतदान करने आएंगे और अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे. देश में लोकतांत्रिक प्रवाह बनाए रखें और लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काम करें, वोट करें.'

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BNP पर लगाए ये आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी)-जमात-ए-इस्लामी गठबंधन लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता है. उन्होंने कहा, "लोग अपनी इच्छानुसार मतदान करेंगे और हम मतदान का माहौल बनाने में सक्षम थे. हालांकि बीएनपी-जमात गठबंधन ने आगजनी हमलों सहित कई घटनाओं को अंजाम दिया है."

भारत की तारीफ की
एक सवाल के जवाब में, हसीना ने संवाददाताओं से कहा कि भारत बांग्लादेश का "विश्वसनीय मित्र" है. उन्होंने कहा कि "हम बहुत भाग्यशाली हैं. भारत हमारा विश्वसनीय मित्र है. हमारे मुक्ति संग्राम के दौरान, उन्होंने न केवल 1975 के बाद हमारा समर्थन किया, जब हमने अपना पूरा परिवार - पिता, माता, भाई, सभी को (एक सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था - और केवल हम दोनों (हसीना और उसकी छोटी बहन रेहाना) जीवित बचे, उन्होंने हमें आश्रय दिया. इसलिए, भारत के लोगों के प्रति हमारी शुभकामनाएं हैं.

लोगों का चुनाव को स्वीकार करना जरूरी
अगस्त 1975 में, शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों द्वारा हत्या कर दी गई थी. उनकी बेटियाँ हसीना और रेहाना विदेश में होने के कारण बच गईं. जब बीएनपी इसका बहिष्कार कर रही है तो चुनाव कितना स्वीकार्य होगा, इस सवाल के जवाब में हसीना ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी लोगों के प्रति है. उन्होंने कहा कि,  "लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, मुझे उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकृति की परवाह नहीं है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवादी पार्टी ने क्या कहा या नहीं?"

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शेख हसीना की जीत की है उम्मीद
हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग (एएल) के चुनाव जीतने की उम्मीद है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (78) भ्रष्टाचार के आरोप में घर में नजरबंद हैं. उनकी पार्टी बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया है. बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया लेकिन 2018 में इसमें शामिल हो गई. चुनाव लड़ने वाले 27 राजनीतिक दलों में विपक्षी जातीय पार्टी (JAPA) भी शामिल है. बाकी सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले गठबंधन के सदस्य हैं, जिन्हें विशेषज्ञ "सैटेलाइट पार्टियां" कहते हैं.

बीएनपी 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल कर रही है जो शनिवार सुबह 6 बजे शुरू हुई और सोमवार सुबह 6 बजे समाप्त होगी. इसने मतदाताओं से चुनाव से दूर रहने का आह्वान किया था ताकि इसे "फासीवादी सरकार" के अंत की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जा सके.

15 अन्य राजनीतिक दलों ने किया बहिष्कार
चुनावों से पहले, हसीना की सरकार ने हजारों प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया, इस कदम की अधिकार समूहों ने विपक्ष को पंगु बनाने के प्रयास के रूप में निंदा की है. पंद्रह अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया. सत्तारूढ़ दल ने चुनाव को सहभागी और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया. इसने पार्टी नेताओं को "स्वतंत्र" उम्मीदवारों के रूप में बड़ी संख्या में चुनाव में शामिल होने की अनुमति दी. परिणामस्वरूप, प्रत्येक सीट पर दो या दो से अधिक एएल उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होते हैं.

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पूर्व चुनाव आयुक्त ने चुनाव को बताया अनोखा
पूर्व चुनाव आयुक्त ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) सखावत हुसैन ने रविवार के चुनावों को पिछले दो चुनावों की तुलना में अनोखा बताया. सखावत ने कहा, "इस बार चुनाव निर्दलीय और डमी उम्मीदवारों के नाम पर एक ही पार्टी के उम्मीदवारों के बीच हो रहा है. नतीजतन, मतदाताओं की चुनाव में रुचि कम है." उन्होंने कहा, "यह एक अनोखा मॉडल चुनाव है. चुनाव के नतीजे निश्चित हैं, हर कोई जानता है कि कौन जीतने वाला है. एकमात्र अनिश्चित बात यह है कि विपक्षी बेंच में कौन होगा."

BNP को था हार का डर, इसलिए नहीं लड़ी चुनाव
उधर, गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने रविवार को कहा कि मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने संसदीय चुनाव में इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि उसे पता था कि वह हार जाएगी. उन्होंने  ढाका ट्रिब्यून अखबार के हवाले से कहा  “बीएनपी ने विभिन्न बहानों, विभिन्न मांगों के साथ चुनाव का बहिष्कार करने की रणनीति अपनाई है. उन्होंने 2018 के चुनाव में भाग लिया और कुछ संसदीय सीटें हासिल कीं, लेकिन इस साल उन्होंने यह जानते हुए भाग नहीं लिया कि वे हार जाएंगे.”

खान ने ढाका के फार्मगेट इलाके के मोनीपुरीपारा में वोट डालने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने आरोप लगाया कि बीएनपी लोगों की हत्या और आगजनी के हमलों में शामिल है जैसा कि उन्होंने 2014 में किया था. “लोग ऐसी यातना और हिंसा नहीं चाहते हैं. इसलिए वे उत्सव के मूड में मतदान केंद्रों पर आ रहे हैं.”

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