Advertisement

क्या विदेशी फंडिंग के दम पर खड़ा हुआ था बांग्लादेश का छात्र आंदोलन? नेताओं ने क्रिप्टो में किया करोड़ों का निवेश

अंतरिम सरकार में आईटी एडवाइजर और एडीएसएम कोऑर्डिनेटर नाहिद इस्लाम ने 204.64 बिटकॉइन (BTC) का निवेश किया है, जिसकी कीमत 17.14 मिलियन डॉलर (147 करोड़ रुपये) है. इस भारी निवेश ने उनके पैसे के स्रोत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

बांग्लादेश छात्र आंदोलन (Photo: Reuters) बांग्लादेश छात्र आंदोलन (Photo: Reuters)
शिवानी शर्मा
  • ढाका,
  • 22 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST

बांग्लादेश में कथित छात्र आंदोलन के पीछे विदेशी फंडिंग के बड़े लिंक सामने आए हैं. एक जांच में खुलासा हुआ है कि इस आंदोलन को भारी विदेशी धनराशि से समर्थन मिला था. इसके नेताओं द्वारा किए गए बड़े क्रिप्टो निवेश ने मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका को जन्म दे दिया है.

एडीएसएम (ADSM) लीडर और 'जातीय नागरिक कमेटी' के संस्थापक सरजिस आलम ने 7.65 मिलियन डॉलर (65 करोड़ रुपये) क्रिप्टोकरेंसी टेथर (Tether) में निवेश किए. बेहद साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आकर इतनी बड़ी संपत्ति बनाना अवैध विदेशी फंडिंग की ओर इशारा करता है.

Advertisement

मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका

अंतरिम सरकार में आईटी एडवाइजर और एडीएसएम कोऑर्डिनेटर नाहिद इस्लाम ने 204.64 बिटकॉइन (BTC) का निवेश किया है, जिसकी कीमत 17.14 मिलियन डॉलर (147 करोड़ रुपये) है. इस भारी निवेश ने उनके पैसे के स्रोत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सीटीजी विश्वविद्यालय (CTG University) से जुड़े एडीएसएम लीडर खान तलत महमूद रफी ने 11.094 बिटकॉइन का निवेश किया जिसकी कीमत 1 मिलियन डॉलर (8.60 करोड़ रुपये) है. कोई ज्ञात संपन्न पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद इतना बड़ा निवेश मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाओं को दर्शाता है.

मीडिया के लोग भी जाल में शामिल

प्रधान सलाहकार के प्रेस सचिव और पत्रकार शफीकुल आलम के पास 93.06 बिटकॉइन (10 मिलियन डॉलर, 86 करोड़ रुपये) की संपत्ति है. इससे यह साफ होता है कि आंदोलन से जुड़े मीडिया के लोग भी इस विदेशी फंडिंग के जाल का हिस्सा थे.

Advertisement

बांग्लादेश के जिस आंदोलन को कभी छात्र-नेतृत्व वाले बदलाव का प्रयास माना जा रहा था, उस पर अब विदेशी फंडिंग के आरोप लग रहे हैं. क्रिप्टो निवेशों ने इन बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश किया है.

पिछले साल शुरू हुआ था आंदोलन

पिछले साल अगस्त में छात्रों ने आरक्षण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जो बढ़ते-बढ़ते प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिराने पर रुका. देश की बागडोर कुछ समय के लिए अंतरिम सरकार के हाथ में आ गई. उम्मीद थी कि इस बीच चुनाव होंगे और नई लोकतांत्रिक सरकार आ जाएगी लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ. सरकार गिराने वाले छात्र राजनैतिक दल बना चुके हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement