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जिन छात्रों ने शेख हसीना को सत्ता से हटाया, अब वे सेना का क्यों कर रहे विरोध? बांग्लादेश में सड़क पर उतरी आर्मी

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हालिया राजनीतिक तनाव के कारण सेना ने सड़कों पर गश्त तेज कर दी है. नई गठित नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने आरोप लगाया है कि सेना राजनीति में हस्तक्षेप कर रही है. इस तनाव के बीच NCP की सेना के खिलाफ नारेबाजी जारी है, जहां लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग की जा रही है.

बांग्लादेश की सड़क पर सेना बांग्लादेश की सड़क पर सेना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:36 PM IST

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इन दिनों स्थिति तनावपूर्ण है, जहां सेना की गश्त बढ़ाई गई है. इस कदम से देश में पहले से चल रहे राजनीतिक अस्थिरता में इजाफा हुआ है. नई गठित नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने इन हालातों के लिए सीधे तौर पर सेना को जिम्मेदार ठहराया है, ये आरोप लगाते हुए कि सेना राजनीति में हस्तक्षेप कर रही है.

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हाल के महीनों में एनसीपी के प्रमुख नेता को मोहम्मद यूनुस से समर्थन मिला था. हालांकि, वे ही नेता सेना पर "राजनीतिक हस्तक्षेप" का आरोप लगा रहे हैं. NCP के प्रमुख नेता हसनात अब्दुल्लाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सेना का प्रस्ताव, जिसमें अवामी लीग को आगामी चुनावों में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई है, दरअसल राजनीतिक हस्तक्षेप का एक उदाहरण है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि "उन्मुक्त बांग्लादेश में सैन्य हस्तक्षेप अस्वीकार्य होगा."

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बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नारेबाजी

विरोध रैलियों में NCP समर्थक सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज जमान के खिलाफ नारे लगाते नजर आए. इन रैलियों में शेख हसीना और उनके समर्थकों को सजा दिलाने की मांग की जा रही है. हालांकि सेना विश्वविद्यालय परिसरों में नहीं गई, मगर राजधानी में उनकी गश्त जारी है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है.

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हसनात अब्दुल्लाह ने अपने फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि मार्च 11 को "सैन्य" कैंटोनमेंट में एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे स्वीकार करने से मना करने की हिदायत दी गई.

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मोहम्मद यूनुस ने NCP में नियुक्त किए थे नेता

पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन के दौरान शेख हसीना की 16-वर्षीय शासन का अंत हो गया था, जिसके बाद प्रोफेसर योयुनुस को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया. यूनुस ने नई गठित NCP में अपने तीन पूर्व SAD नेताओं को प्रमुख पदों पर नियुक्त भी किया था. इस दौरान राजनीतिक अस्थिरता ने देश की चुनावी प्रक्रिया पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की मांग जोर पकड़ रही है.

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