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शेख हसीना ने किसी देश से नहीं मांगी शरण, बेटे वाजेद ने दावों को बताया अफवाह

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अभी भारत में हैं और उनके बेटे के मुताबिक उन्होंने अब तक शरण की मांग नहीं की है. उनका कहना है कि शरण को लेकर चल रही खबरें गलत हैं. उन्होंने कहा कि अब बांग्लादेश में कानून व्यवस्था नहीं है और अवामी लीग के सांसदों को मारा जा रहा है.

शेख हसीना (File photo: AFP) शेख हसीना (File photo: AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:37 PM IST

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे साजीब वाजेद का कहना है कि यह उनकी मां का आखिरी कार्यकाल था. वह हाल ही में पांचवी बार और लगातार चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनी थीं. उन्होंने कहा कि अब बांग्लादेश में कानून व्यवस्था नहीं रह गया है और अवामी लीग के लोगों की हत्या की जा रही है. इस अशांति के पीछे जमात और बीएनपी का हाथ है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश अब अफगानिस्तान की राह पर जा सकता है.

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पूर्व पीएम हसीना के बेटे वाजेद ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, "मैंने कल उनसे (मां शेख हसीना से) बात की थी. मेरा फोन लगातार बज रहा है, इसलिए मुझे तब से उन्हें कॉल करने का मौका नहीं मिला है. वह ठीक हैं, लेकिन निराश हैं. वह इस बात को लेकर निराश हैं कि उन्होंने बांग्लादेश के लिए इतना कुछ किया और फिर भी लोग उनके खिलाफ हो गए."

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असफल देश से बना दिया एक सफल देश!

साजिब वाजेद ने अपनी मां के कार्यकाल को लेकर कहा, "उन्होंने देश को एक गरीब देश, असफल देश, भ्रष्ट देश से एक सफल देश में बदल दिया. उन्होंने लोगों के जीवन में सुधार किया है. हमने अपने देश को विकसित बनाने में बहुत मेहनत की है. उन्होंने (मां ने) मुझसे कहा कि वह राजनीति से तंग आ चुकी हैं. यह उनका आखिरी कार्यकाल होने वाला था. ऐसे भी वह 77 साल की हो गई हैं और रिटायर हो चुकी हैं."

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शेख हसीना ने फिलहाल शरण नहीं मांगी हैं और उनके बेटे का भी कहना है कि उनके शरण को लेकर चल रही खबरें गलत हैं. उन्होंने बताया कि हसीना ने किसी भी देश से शरण नहीं मांगी हैं. उन्होंने ऐसा कुछ फैसला नहीं किया है. यह उनको ही तय करना है. वह अलग-अलग देशों में अपने पोते-पोतियों से मिलने आ सकती हैं. हमारा पूरा परिवार विदेशों में रहता है. ऐसे में उनकी शरण की मांग वाले खबरें अफवाह हैं."

सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांगें पूरी कर दी थी

बांग्लादेश में बिगड़े हालात को लेकर साजिब वाजेद ने कहा, "किसी ने इसकी उम्मीद नहीं की थी. किसी ने भी नहीं सोचा था कि छात्र और उनके पीछे के उग्रवादी इतने हिंसक हो जाएंगे. हमने प्रदर्शनकारियों की सभी मांगें पूरी कर दी थीं, इसलिए हमें समझ में नहीं आया और न ही उम्मीद थी. हमने तो यहां तक कि मेरी मां ने भी उनसे पूछा था और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि वे सरकार के इस्तीफे की मांग करेंगे और फिर पूरी तरह से हमला करेंगे."

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साजिब वाजेद ने कहा, "ये कोई शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन नहीं था. पुलिस स्टेशनों पर आग्नेयास्त्रों से हमला किया गया. पुलिसकर्मियों की हत्या की गई और आपने बांग्लादेश में उनके द्वारा की गई हिंसा देखी है, और हिंसा अभी और बढ़ रही है. भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद पुलिस के पास कोई कानून व्यवस्था नहीं है.

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''मेरे दादा के घर को जला दिया गया''

साजिब वाजेद ने कहा, "पुलिस ने हार मान ली है. उन्होंने काम छोड़ दिया है. हमारे सभी मंत्रियों के घर जला दिए गए हैं. राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान, मेरे दादा का घर जो अब एक संग्रहालय है, जहां 1975 के तख्तापलट में मेरे पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी, उसे जला दिया गया है. मंदिर जलाए जा रहे हैं. हमारे संसद सदस्यों को मारा जा रहा है. अल्पसंख्यकों पर हमला किया जा रहा है और उन्हें मारा जा रहा है."

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