
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. जिसके बाद अब महिला को उसकी मौत के चार साल बाद दफनाया जाएगा.
दरअसल, 2013 में यहां एक हिंदू महिला ने मुस्लिम पुरुष के साथ शादी की थी. दावा है कि महिला ने शादी के बाद अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था. हालांकि, दोनों के परिवार ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया और रिश्ता तोड़ने का दबाव बनाया गया.
पति ने कर ली थी आत्महत्या
घरवालों के दबाव के चलते महिला का पति काफी परेशान हो गया था. जिसके बाद 2014 में शादी के एक साल बाद ही उसने सुसाइड कर लिया. महिला भी अपने पति के जाने से दुखी हो गई और 2 महीने बाद ही जहर खाकर उसने भी जान दे दी.
महिला की मौत के बाद उसके परिवारवालों ने शव को दफनाने का विरोध किया. एक तरफ यह कहा जा रहा था कि महिला ने शादी के बाद धर्म बदल लिया था. जबकि महिला के परिवारवालों का दावा था कि आत्महत्या से पहले उनकी बेटी फिर से अपने धर्म में वापस आ गई थी.
महिला के परिवारवालों ने इस दलील के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपने बेटी के शव का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करने की मांग की. जबकि लड़के के घरवाले महिला के शव को दफनाने की मांग कर रहे थे.
पूरे देश में यह मामला चर्चा का विषय बना. जिसके बाद केस देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बीते गुरुवार को इस पर फैसला दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला ने क्योंकि इस्लाम धर्म अपना लिया था, इसलिए उसके शव को दफनाया जाना चाहिए. बता दें कि मौत के बाद से ही महिला के शव को शवगृह में रखा गया था.