
बांग्लादेश में सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्माचारी की देशद्रोह मामले में गिरफ्तारी चर्चा का विषय बनी हुई है. चटगांव में पुंडरीक धाम नाम इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय दास को सोमवार दोपहर ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा ने हिरासत में लिया. मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया जिस कारण अदालत के बाहर विरोध-प्रदर्शन हुए.
चिन्मय दास के साथ-साथ अन्य 18 लोगों के खिलाफ एमडी फिरोज खान नाम के एक शख्स ने चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया कि 25 अक्टूबर को चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर 'सनातन जागरण मंच' के बैनर तले हिंदू समुदाय की तरफ से आजोयित एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराया गया.
मामले में आरोप लगाया गया है कि यह कृत्य अपवित्र था और इससे देश की संप्रभुता का अपमान हुआ. आरोप में इसे 'अराजक वातावरण बनाकर राष्ट्र को अस्थिर करने के मकसद से की गई देशद्रोही गतिविधि' बताया गया.
बांग्लादेश का कानून क्या कहता है?
बांग्लादेश के ध्वज नियम 1972 के मुताबिक, राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कोई अन्य ध्वज नहीं फहराया जा सकता. 2010 में किए गए संशोधनों के अनुसार, इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक का कारावास, 5,000 टका तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.
चिन्मय कृष्ण दास के मामले में दंड संहिता की धारा 124 (ए) का भी उल्लेख किया गया है. इसके तहत विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति अवमानना और घृणा के कृत्य देशद्रोह की लिस्ट में आते हैं.
धारा के मुताबिक, 'जो कोई भी मौखिक या लिखित, संकेतों, वीडियो या किसी अन्य तरीके से कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना का काम करता है या असंतोष फैलाता है तो उसे आजीवन कारावास या जुर्माने के साथ तीन साल का कारावास हो सकता है.'
बांग्लादेश के वकील क्या कह रहे?
बांग्लादेश के कई प्रतिष्ठिति वकीलों ने कहा है कि किसी झंडे को फहराना स्वाभाविक रूप से देशद्रोह नहीं है. उनका तर्क है कि अगर ऐसे कामों को देशद्रोह माना जाने लगा तो बांग्लादेश में हजारों लोगों को फुटबॉल विश्व कप के दौरान इन आरोपों का सामना करना पड़ता क्योंकि उस दौरान फैंस अपनी पसंदीदा टीम के झंडे को लहराते हैं.
वकीलों ने बताया कि हालांकि, अगर किसी को लगता है कि किसी दूसरे झंडे को फहराने के कारण उसकी राष्ट्रीय भावनाओं पर हमला हुआ है, तो उसे शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है. जांच के बाद अदालत यह फैसला लेती है कि मामला देशद्रोह के दायरे में आता है या नहीं.
बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डॉ. काजी जाहेद इकबाल ने स्थानीय अखबार 'ढाका ट्रिब्यून' से बात करते हुए कहा, 'जानबूझकर दूसरा झंडा फहराना देशद्रोह का मामला हो सकता है, लेकिन इसे अदालत में साबित किया जाना चाहिए. या फिर आरोपी कानूनी उपाय अपना सकता है.'
चिन्मय दास मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल
एक अन्य वकील वकील जेड.आई. खान पन्ना ने मामले की आलोचना करते हुए कहा कि मामला पूरी तरह से साफ नहीं है और इसमें जरूरी डिटेल्स का अभाव है. वकील का कहना है कि बांग्लादेश की बड़ी हस्तियों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज होते रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि भविष्य में मोहम्मद यूनुस (बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार) को भी इस तरह के देशद्रोह के मामले का सामना करना पड़ सकता है, जब वो मुख्य सलाहकार की कुर्सी पर नहीं होंगे.'
उन्होंने चिन्मय दास के खिलाफ चटगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए देशद्रोह के मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, 'दंड संहिता 121 और 124 के आधार पर किसी भी देशद्रोह का मामला दर्ज करने के लिए गृह मंत्रालय की अनुमति की जरूरत होती है. मुझे नहीं पता कि कोई पुलिस स्टेशन इसकी अनुमति कैसे दे सकता है.'