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धोखा, निराशा और देश से पलायन... सीरिया में कुछ ऐसे बीते थे बशर अल-असद के आखिरी घंटे

असद ने अपने छोटे भाई महेर, जो सेना की एलीट 4th आर्मर्ड डिवीजन के कमांडर थे, को भी अपनी योजना के बारे में नहीं बताया. तीन सहयोगियों के अनुसार, महेर ने हेलीकॉप्टर से इराक और फिर रूस का रुख किया. असद के मामा के बेटे एहाब और इयाद मखलूफ को भी दमिश्क से भागते समय पीछे छोड़ दिया गया.

बशर अल असद बशर अल असद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

सीरिया के राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद की सत्ता का तख्तापलट हुए लगभग हफ्ते भर बीत चुके हैं.असद को देश छोड़कर भागना पड़ा. इस दौरान उनके प्लेन के क्रैश होने जैसी अफवाह भरी खबरें भी सामने आईं, हालांकि अगले दिन तक यह स्पष्ट हो गया कि वह सुरक्षित हैं और देश छोड़कर निकल चुके हैं. अब उनकी पहचान रूस के शरणार्थी के तौर पर है और इस तरह सीरिया में असद परिवार के 50 साल के तानाशाही शासन का खात्मा हुआ. 

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पलायन की योजना की किसी को जानकारी नहीं
हालांकि असद को लेकर सवाल अभी भी बाकी हैं. सबसे बड़ा सवाल ये कि, उन्होंने देश छोड़ने का फैसला कब लिया. किसने उन्हें सलाह दी, वह कैसे और कब निकली और इस पूरे एग्जिट प्लान की रूपरेखा कब तैयार हुई. इसे लेकर सामने आया है कि, बशर अल-असद ने सीरिया छोड़ने की अपनी योजना के बारे में लगभग किसी को नहीं बताया था. एक तरफ जब उनके शासन की नींव ढह रही थी, तो उन्होंने सहयोगियों, अधिकारियों और यहां तक कि रिश्तेदारों को भी इससे अंधेरे में रखा. सीरिया में जो कुछ घटा, इसके बारे में जानकारी रखने वाले 12 से अधिक लोगों ने रॉयटर्स से बातचीत में यह बातें सामने रखीं.

असद को थी रूसी सैन्य सहायता की आस
मॉस्को भागने से कुछ घंटे पहले, असद ने शनिवार को रक्षा मंत्रालय में लगभग 30 सेना और सुरक्षा प्रमुखों की एक बैठक में भरोसा दिलाया कि रूसी सैन्य सहायता जल्द ही पहुंचेगी. उन्होंने ज़मीन पर तैनात बलों से मोर्चा संभालने का आग्रह किया. इस बैठक में शामिल एक कमांडर ने यह जानकारी दी, लेकिन नाम न बताने की शर्त पर. एक करीबी सहयोगी ने बताया कि असद ने शनिवार को अपने प्रेसिडेंशियल ऑफिस मैनेजर से कहा कि काम खत्म करने के बाद वह घर जा रहे हैं, लेकिन इसके बजाय वे एयरपोर्ट चले गए थे.

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अपने समर्थकों को उनके हाल पर छोड़ गए अशद
उन्होंने अपनी मीडिया सलाहकार बुशैना शाबान को भी फोन किया और उन्हें भाषण तैयार करने के लिए अपने घर बुलाया. लेकिन जब वह पहुंचीं, तो घर खाली था. "असद ने आखिरी लड़ाई भी नहीं लड़ी. उन्होंने अपने सैनिकों को संगठित करने की कोशिश तक नहीं की," अरब रिफॉर्म इनिशिएटिव के निदेशक नदीम हौरी ने कहा. "उन्होंने अपने समर्थकों को उनके हाल पर छोड़ दिया."

14 लोगों से हुई बातचीत
समाचार एजेंसी असद से मॉस्को में संपर्क नहीं कर सकी है, जहां उन्हें राजनीतिक शरण दी गई है. उनकी सत्ता के अंतिम दिनों और घंटों को करीब से जानने वाले 14 लोगों से हुई बातचीत एक ऐसे नेता की तस्वीर पेश करती है, जिसने अपनी 24 साल की हुकूमत बचाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए धोखा और गुप्त योजनाओं का सहारा लिया. इन सूत्रों में पूर्व राष्ट्रपति के करीबी सहयोगी, क्षेत्रीय राजनयिक, सुरक्षा अधिकारी और वरिष्ठ ईरानी अधिकारी शामिल हैं. इन ज्यादातर सूत्रों ने संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बात करने के लिए अपना नाम गोपनीय रखने का अनुरोध किया.

असद के छोटे भाई को भी नहीं थी पलायन की खबर
असद ने अपने छोटे भाई महेर, जो सेना की एलीट 4th आर्मर्ड डिवीजन के कमांडर थे, को भी अपनी योजना के बारे में नहीं बताया. तीन सहयोगियों के अनुसार, महेर ने हेलीकॉप्टर से इराक और फिर रूस का रुख किया. असद के मामा के बेटे एहाब और इयाद मखलूफ को भी दमिश्क से भागते समय पीछे छोड़ दिया गया. एक सीरियाई सहयोगी और एक लेबनानी सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि दोनों कार से लेबनान भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन रास्ते में विद्रोहियों के हमले का शिकार हो गए. एहाब मारे गए और इयाद घायल हुए. हालांकि, इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी, और समाचार एजेंसी इसे सत्यापित नहीं करती. 

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म़ॉस्को से नहीं मिला था पॉजिटिव मैसेज

रूस ने 2015 में अपने हस्तक्षेप से सीरिया के गृह युद्ध में असद के पक्ष में माहौल बदला था, और ईरान, उनका कट्टर सहयोगी रहा है, लेकिन इस बार दोनों में कोई भी सैन्य सहायता देने को तैयार नहीं थे. सीरिया के विपक्षी नेता हादी अल-बहरा ने कहा कि असद ने अपनी मास्को यात्रा के बाद अपने कमांडरों और सहयोगियों को बताया कि सैन्य समर्थन आ रहा है, लेकिन यह एक झूठ था. "मॉस्को से उन्हें जो संदेश मिला था, वह निगेटिव था."

रूस ने सैन्य हस्तक्षेप से किया इनकार
29 नवंबर को मास्को की अपनी यात्रा में असद ने सहायता मांगी, लेकिन रूस ने किसी तरह का सैन्य हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. इसके बाद 2 दिसंबर को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरक़ची ने असद से मुलाकात की. तब तक विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था और दमिश्क की ओर बढ़ रहे थे. असद इस मुलाकात के दौरान बेहद परेशान दिखे. एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक ने बताया कि उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी सेना अब प्रभावी प्रतिरोध करने में सक्षम नहीं है.

...और, फिर असद ने स्वीकार कर लिया सत्ता का पतन
आखिरकार, असद ने अपनी सत्ता के पतन को स्वीकार किया और देश छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने पहले संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेने की योजना बनाई, लेकिन वहां से इनकार कर दिया गया. रूस ने असद को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशें शुरू कीं. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कतर और तुर्की के साथ कूटनीतिक प्रयास किए. असद ने 8 दिसंबर को दमिश्क से विमान द्वारा उड़ान भरी. उनका विमान रडार से बचने के लिए ट्रांसपोंडर बंद कर उड़ान भर रहा था. वे पहले सीरियाई तट पर लटाकिया में रूस के हमीमिम एयरबेस पहुंचे और वहां से मास्को चले गए. उनके परिवार के सदस्य पहले से ही मॉस्को में उनका इंतजार कर रहे थे.

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असद के घर के वीडियो, जो विद्रोहियों द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए, बताते हैं कि उन्होंने काफी हड़बड़ी में भागने का फैसला किया. स्टोव पर पका हुआ खाना और व्यक्तिगत सामान जैसे फोटो एलबम वहीं छोड़ दिए गए थे.

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