
पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले अमेरिका में नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री 'India: The Modi Question' दिखाई जाएगी. सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री मोदी के दौरे से ठीक पहले इसलिए दिखाई जा रही है ताकि यह याद दिलाया जा सके कि डॉक्यूमेंट्री को भारत में बैन कर दिया गया है.
ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले 20 जून को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी है. डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में सांसदों, पत्रकारों, विश्लेषकों को आमंत्रित किया गया है. पीएम मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है जो 24 जून तक चलेगा.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जनवरी के महीने में दो भागों में रिलीज की गई थी. डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है जिसमें दावा किया गया है कि गुजरात के उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों को रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए.
भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि इसमें चीजों को निष्पक्ष तरीके से नहीं दिखाया गया है. भारत सरकार का कहना है कि यह महज एक प्रोपेगैंडा है.
अमेरिका भारत के मानवाधिकार मुद्दों का करता रहा है बचाव
पिछले महीने जब व्हाइट हाउस में भारत में मानवाधिकार से संबंधित चिंताओं पर सवाल उठाए गए थे तब अमेरिका ने उसका बचाव किया था. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरीन जीन-पियरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राष्ट्रपति बाइडेन मानते हैं कि भारत-अमेरिका के संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं.
इसी महीने की शुरुआत में अमेरिका ने भारत के लोकतंत्र की खुलकर तारीफ भी की थी. अमेरिका ने कहा था कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और अगर किसी को यह देखना है तो खुद दिल्ली जाकर देख ले.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था, 'भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. अगर कोई इसे देखना चाहता है तो खुद दिल्ली जाकर देख सकता है. और निश्चित रूप से, मैं उम्मीद करता हूं कि लोकतांत्रिक संस्थानों की ताकत पर चर्चा होती रहनी चाहिए.'
भारत के लोकतंत्र पर उठते सवालों के जवाब में किर्बी ने कहा था, 'देखिए, हम अपनी बात कहने से हिचकते नहीं हैं. और आप दोस्तों से खुलकर बात कर सकते हैं. दुनिया में किसी को लेकर अगर हमें कोई
चिंता है तो हम उससे बात करने से हिचकते नहीं हैं.'
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में भारत पर निशाना
पिछले महीने अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें भारत में हो रही धार्मिक हिंसा पर निशाना साधा गया था. रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 20 से अधिक घटनाओं का जिक्र किया गया था. 15 मई को जारी रिपोर्ट को लेकर एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका चाहता है, भारत लगातार हो रही धार्मिक हिंसा की निंदा करे.
भारत ने अमेरिका की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और मोटिवेटेड है.
हालांकि, अमेरिका नहीं चाहता कि मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लेकर भारत पर निशाना साधे. कुछ समय पहले एक रिपोर्ट में वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया था कि अमेरिका की सरकार ने भारत में मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर चुप रहने का फैसला किया है. रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिका ने यह फैसला चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता में भारत को अपने साथ रखने के लिए किया है.
पीएम के ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी दिखाई गई थी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री
मई के महीने में जब पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थे, उसी दौरान ऑस्ट्रेलियाई संसद में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी. स्क्रीनिंग के दौरान संसद में मांग उठाई गई थी कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज पीएम मोदी से भारत में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन और प्रेस की आजादी को कम करने के आरोपों पर चर्चा करें.