
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कुछ दिनों पहले पड़ोसी देश बेलारूस में टेक्टिकल परमाणु हथियार तैनात करने की बात कही थी. पुतिन के इस बयान से दुनियाभर में खलबली मच गई थी. लेकिन अब बेलारूस ने खुद आगे आकर रूस से स्ट्रैटेजिक परमाणु हथियारों की मांग की है.
बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने शुक्रवार को कहा कि रूस से परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर हमने बातचीत तेज कर दी है. पड़ोसी देश पोलैंड से बेलारूस में हमले की योजनाएं बन रही हैं.
उन्होंने सांसदों और सरकारी अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बेलारूस में रूसी परमाणु हथियारों की तैनाती से देश की सुरक्षा होगी. बेलारूस को पश्चिमी देशों से खतरा है. वे बेलारूस पर हमला करने की योजना बना रहे हैं.
'मैं डरा नहीं रहा'
उन्होंने कहा कि वे हमारे देश को बर्बाद करने की योजना बना रहे हैं. मैं किसी को डराने की कोशिश नहीं कर रहा. मैं बेलारूस की सुरक्षा चाहता हूं और यहां के लोगों के लिए शांति सुनिश्चित करना चाहता हूं.
लुकाशेंको ने कहा कि अगर रूस को यह लगेगा कि उसे खतरा है तो वह सबसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगा. वह और पुतिन जरूरत पड़ने पर तय करेंगे कि बेलारूस की धरती पर परमाणु हथियारों को कहां पर तैनात किया जाएगा. अमेरिका और पश्चिमी देश लुकाशेकों को उखाड़ फेंकने का कैंपेन चला रहे हैं.
लुकाशेंको का यह बयान पुतिन की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें पुतिन ने कहा था कि वह बेलारूस में टेक्टिकल परमाणु हथियारों की तैनाती करने जा रहे हैं. 1991 में सोवियत संघ के बिखरने के बाद यह पहला मौका होगा, जब रूस अपनी सीमाओं से बाहर परमाणु हथियारों की तैनाती करेगा.
बता दें कि परमाणु हथियारों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. एक है- स्ट्रैटजिक और दूसरा- टेक्टिकल. स्ट्रैटजिक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल लंबी दूरी के लिए किया जाता है. ज्यादा तबाही मचाने के लिए किया जाता है. दूसरी ओर, टेक्टिकल परमाणु हथियार कम दूरी के लिए और कम तबाही मचाने के लिए होता है.
पुतिन और लुकाशेंकों गहरे दोस्त
एलेक्जेंडर लुकाशेंको और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अच्छे दोस्त माने जाते हैं. पुतिन की तरह ही लुकाशेंको भी सोवियत संघ के टूटने से नाराज थे. बताया जाता है कि लुकाशेंको एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने सोवियत संघ के विघटन के खिलाफ वोट दिया था.
सोवियत संघ के टूटने के बाद बेलारूस भी अलग देश बन गया. 1994 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको ने वादा किया कि वो बेलारूस को गड्ढे से निकालेंगे. इस चुनाव में लुकाशेंको ने 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. 2020 में लुकाशेंको लगातार छठवीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति चुने गए थे.
ऐसे बने बेलारूस के राष्ट्रपति
- लुकाशेंको का राजनीतिक सफर 1990 से शुरू हुआ. उस समय लुकाशेंको रिपब्लिक ऑफ बेलारूस की सुप्रीम काउंसिल के डिप्टी चुने गए. 1993 में उन्हें बेलारूस की संसद की एंटी-करप्शन कमेटी का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया.
- 1994 में बेलारूस में पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. चुनाव दो राउंड में हुए. पहले राउंड में लुकाशेंको ने 45 फीसदी और दूसरे राउंड में 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए. लुकाशेंको शुरू से ही रूस के करीबी बने रहे.
- बेलारूस में राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 5 साल का है. लेकिन लुकाशेंको का पहला कार्यकाल 2 साल के लिए बढ़ाया गया था. 2001 में यहां दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें लुकाशेंको 75 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर दूसरी बार राष्ट्रपति बने. इसके बाद 2006, 2011, 2015 और 2020 के चुनावों में भी लुकाशेंको की ही जीत हुई.