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भूटानी पीएम के चीन पर बयान से भारत में मची खलबली, अब भूटान किंग ने उठाया ये कदम

भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नांग्याल वांगचुक भारत आ रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वो पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलेंगे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भूटान के पीएम लोटे शेरिंग ने चीन सीमा को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि चीन ने उनके देश में किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है.

भूटान नरेश नांग्याल वांगचुक सोमवार से भारत दौरे पर हैं (Photo- AFP) भूटान नरेश नांग्याल वांगचुक सोमवार से भारत दौरे पर हैं (Photo- AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक सोमवार से तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं. वांगचुक का यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग के चीन सीमा को लेकर दिए हालिया बयानों से भारत में नाराजगी है. अपनी यात्रा के दौरान भूटान नरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे.

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यात्रा की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह यात्रा दोनों देशों को द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा करने, विकास और वित्त सहयोग सहित करीबी द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी.' 

नांग्याल के साथ भूटान के विदेश और विदेश व्यापार मंत्री डॉ टांडी दोरजी और भूटान के शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी आएंगे. माना जा रहा है कि वांग्याल की इस यात्रा के दौरान डोकलाम पर भूटानी पीएम का विवादित बयान एक मुद्दा होने वाला है.

भूटान के प्रधानमंत्री ने क्या कहा था जिससे बढ़ सकती है भारत की टेंशन

भूटानी पीएम शेरिंग ने बेल्जियम के दैनिक न्यूजपेपर ला लेब्रे को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 'चीन ने जो गांव बनाए हैं, वे भूटान के भीतर नहीं हैं.' साल 2020 में एक रिपोर्ट आई थी जिसके अनुसार, डोकलाम पठार के 9 किमी पूर्व में चीन ने उस क्षेत्र में गांव बसा लिया है जो भूटान का है. इसी क्षेत्र में साल 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच भारी तनाव की खबरें आई थीं.

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हालांकि, अपने क्षेत्र में चीन के घुसपैठ से भूटानी पीएम ने इनकार किया था. उन्होंने कहा था कि चीन ने हमारे क्षेत्र में कोई घुसपैठ नहीं की है. उन्होंने कहा था, 'हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है. यह एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है और मुझे पता है कि हमारा हिस्सा कहां तक है. भूटान में चीन के निर्माण को लेकर मीडिया में कई तरह की बातें कही जा रही हैं. हमें इससे कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यह भूटान में नहीं है.'

शेरिंग ने यह भी कहा है कि डोकलाम विवाद का समाधान केवल भूटान के हाथ में नहीं है बल्कि चीन भी इसमें शामिल है और भूटान, भारत के साथ चीन भी सीमा मुद्दे में एक समान हितधारक है. शेरिंग ने सुझाव दिया कि भारत, भूटान और चीन तीनों देश मिलकर इस सीमा विवाद को सुलझाएं.

हालांकि, लोटे शेरिंग ने स्थानीय अखबार, द भूटानीज को दिए अपने हालिया इंटरव्यू में अपने बयान का स्पष्टीकरण दिया है और कहा है कि डोकलाम को लेकर भूटान के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है.

भारत, चीन और भूटान के त्रिकोण पर स्थित है डोकलाम पठार

डोकलाम पठार भारत, भूटान और चीन के एक त्रिकोण पर स्थित है. इसके पहाड़ी इलाके पर भूटान और चीन दोनों ही अपने दावे पेश करते हैं. भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है. जब साल 2017 में चीनी सेना ने इस क्षेत्र में सड़क का निर्माण शुरू कर दिया था तब भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक गतिरोध की स्थिति रही थी.

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भूटानी पीएम ने क्यों दिया ऐसा बयान? मोदी सरकार की बढ़ेगी टेंशन

भारत-चीन के बीच का सीमा तनाव

डोकलाम विवाद के बाद साल 2020 में गलवान घाटी में एक बार भारतीय और चीनी सैनिक आमने- सामने आ गए थे. इस दौरान तनाव काफी बढ़ गया था और झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. दिसंबर 2022 में भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में झड़प हुई थी. नौ दिसंबर को चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुस गए थे जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मार्च में जारी 2022 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट मे कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की चीन की एकतरफा कोशिशों ने क्षेत्र को अस्थिर किया है.

रिपोर्ट में कहा गया, 'चीन के साथ भारत एक जटिल रिश्ता साझा करता है. अप्रैल-मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने के चीनी प्रयासों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को भंग किया है और समग्र संबंधों को प्रभावित किया.'

भारतीय विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट मे आगे कहा था, 'चीन के साथ भारत के रिश्ते जटिल हैं. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि सीमा विवाद का अंतिम समाधान होने तक, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक जरूरी आधार है.' 

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डोकलाम भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा

डोकलाम का मुद्दा भारत के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि चीन का भूटान के इलाकों में अतिक्रमण भारत से जुड़ा हुआ है. विश्लेषकों का मानना है कि डोकलाम में चीन का नियंत्रण सीधे तौर पर भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ होने वाला है. चीन भूटान को मजबूर कर उसके क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है और भारत से लगी सीमाओं पर यथास्थिति में बदलाव कर रहा है.

भारत डोकलाम में चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करता रहा है क्योंकि डोकलाम भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर के करीब है. यह कॉरिडोर भारत के लिए सामरिक महत्व का है जो पूर्वोत्तर के राज्यों को देश के अन्य भागों से जोड़ता है. 

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