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ब्रिटेन के PM पद की रेस से पीछे हटे बोरिस जॉनसन, जीत के बेहद करीब पहुंचे ऋषि सुनक

पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने खुद को पीएम पद की रेस से अलग कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को उन्होंने खुद ऐलान करते हुए ब्रिटेन के अगले पीएम बनने से इनकार कर दिया है. वहीं इसके साथ ही भारतीय मूल के ऋषि सुनक इस पद के लिए जीत के और भी करीब पहुंच गए हैं.

बोरिस जॉनसन और ऋषि सुनक बोरिस जॉनसन और ऋषि सुनक
aajtak.in
  • लंदन,
  • 24 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:12 AM IST

ब्रिटेन में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने खुद को पीएम पद की रेस से अलग कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को उन्होंने खुद ऐलान करते हुए ब्रिटेन के अगले पीएम बनने से इनकार कर दिया है. वहीं इसके साथ ही भारतीय मूल के ऋषि सुनक इस पद के लिए जीत के और भी करीब पहुंच गए हैं. दरअसल, बोरिस जॉनसन ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उनके पास अगले चरण में बढ़त बनाने के लिए पर्याप्त सांसदों का समर्थन है, लेकिन वह आगे चल रहे पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक की तुलना में कम है. 

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उन्होंने कहा कि इस बात की बहुत अच्छी संभावना है कि मैं कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों के साथ चुनाव में सफल हो जाऊंगा, लेकिन यह करना सही नहीं होगा. पिछले कुछ दिनों में मैं दुख के साथ इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आप तब तक प्रभावी ढंग से शासन नहीं कर सकते जब तक आपके पास संसद में एक संयुक्त पार्टी न हो.

बता दें कि रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस बार सुनक को कंजर्वेटिव पार्टी के 128 सांसद समर्थन कर रहे हैं, जो कि पीएम बनने के लिए न्यूनतम 100 के आंकड़े से काफी ज्यादा है. वहीं, बोरिस जॉनसन को अब तक समर्थन देने के लिए 100 सांसद नहीं मिले हैं. इस बीच बोरिस के बयान से ऋषि सुनक की जीत की राह और भी आसान हो गई है.

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गौरतलब है कि कुछ समय पहले तक जॉनसन सरकार में सुनक वित्त मंत्री के रूप में काम कर रहे थे. बाद में सुनक ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद अन्य सांसदों ने भी साथ छोड़ दिया. ऐसे में जॉनसन को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. लिज ट्रस नई पीएम बनीं. हालांकि, वे ज्यादा दिन तक सरकार नहीं चला सकीं और मिनी बजट में आर्थिक फैसलों की वजह से विवादों में आ गईं और 45 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा. अब एक बार फिर नए पीएम को लेकर कंजर्वेटिव पार्टी के नेता चुनने की कवायद तेज हो गई.

ऋषि सुनक का जन्म और शुरुआती जीवन 

ऋषि के माता-पिता भारतीय मूल के थे. उनके पिता यशवीर का जन्म और लालन पोषण केन्या में हुआ था जबकि उनकी मां उषा का जन्म तंजानिया में हुआ था. ऋषि के दादा-दादी का जन्म पंजाब प्रांत (ब्रिटिश इंडिया) में हुआ था. वे बाद में 1960 के दशक में अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन में आकर बस गए थे. 12 मई 1980 को ब्रिटेन के साउथम्पैटन में ऋषि का जन्म हुआ. उनके पिता डॉक्टर जबकि मां दवाखाना चलाती थीं. ऋषि तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं. 

ऋषि सुनक की पढ़ाई और करियर 

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भारतीय मूल के ऋषि का जन्म ब्रिटेन के साउथैम्पटन में हुआ था. उन्होंने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की. इसके बाद उनका दाखिला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ, जहां उन्होंने फिलोसॉफी और इकॉनोमिक्स की पढ़ाई की. वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फुलब्राइट स्कॉलर थे, जहां से उन्होंने एमबीए किया था. ऋषि सुनक ने ग्रैजुएशन के बाद गोल्डमैन सैक्स के साथ काम किया था और बाद में हेज फंड फर्म्स में पार्टनर बन गए थे. ऋषि ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक अरब पाउंड की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी की स्थापना की थी. यह कंपनी ब्रिटेन के छोटे कारोबारों में निवेश में मददगार थी. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए के दौरान ही उनकी मुलाकात इंफोसिस के सह संस्थापक और दिग्गज कारोबारी नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई, जिनसे बाद में उन्होंने शादी कर ली. उनकी दो बेटी कृष्णा और अनुष्का हैं. 

राजनीति में प्रवेश 

यॉर्कशर के रिचमंड से सांसद ऋषि सुनक 2015 में पहली बार संसद पहुंचे थे. उस समय ब्रेग्जिट का समर्थन करने के चलते पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता चला गया. ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री टेरीजा मे की कैबिनेट में ऋषि ने जूनियर मिनिस्टर के तौर पर काम किया. उन्हें हमेशा से कंजरवेटिव पार्टी के एक उभरते सितारे के रूप में देखा गया. पार्टी के कई बड़े नेता गाहे-बगाहे उनकी प्रशंसा भी करते रहे हैं. ऋषि सुनक फिटनेस को लेकर जुनूनी हैं. उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल के अलावा फिल्में देखने का भी शौक हैं. उनके आकर्षक व्यक्तित्व को देखकर उन्हें डिशी ऋषि के निक नेम से भी बुलाया जाता है.

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