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अफगानिस्तान संकट पर एकजुट होंगी दुनिया की 7 ताकतें, ब्रिटिश PM ने बुलाई G7 देशों की बैठक

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की घोषणा उनके हालिया बयान के बाद आई है जब उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान के लिए देश की प्रतिबद्धता स्थाई है और अगर जरूरत पड़ी तो तालिबान के साथ भी बातचीत करेंगे.

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है तालिबान (तस्वीर-PTI) अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है तालिबान (तस्वीर-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST
  • अफगानिस्तान पर चिंतित ब्रिटिश सरकार
  • जी-7 देशों की बुलाई गई है बैठक
  • बोरिस जॉनसन करेंगे बैठक का नेतृत्व

अफगानिस्तान में जारी संकट के खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. देश में तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां के नागरिकों में डर का माहौल है और पूरी दुनिया वहां महिलाओं और बच्चों के भविष्य को लेकर आशंकित है. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने ऐलान किया है कि वे G-7 देशों के साथ अफगानिस्तान संकट पर चर्चा करेंगे. 

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बोरिस जॉनसन ने रविवार को ट्वीट के जरिए कहा कि वे अफगानिस्तान संकट पर तत्काल बातचीत के लिए मंगलवार को एक अर्जेंट बैठक बुलाएंगे. बैठक में अफगानिस्तान संकट पर चर्चा की जाएगी और वहां की त्रासदी पर मंथन किया जाएगा.

बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया, 'अफगानिस्तान में प्रभावित लोगों के रेस्क्यू के लिए, मानवीय त्रासदी से बचने के लिए काम करने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय की जरूरत है. बीते 20 वर्षों से जारी अफगानिस्तान की लड़ाई के लिए, अफगानिस्तान के लोगों के लिए मिलकर काम करें.'

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ग्रुप-7 में शामिल हैं कितने देश?

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है. इन देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इस समूह को ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है. दुनिया के ताकवर देशों का यह समूह, अफगानिस्तान संकट का हल निकाल सकता है.

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तालिबानियों ने 7 नागरिकों का किया कत्ल

गौरतलब है कि ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने दावा किया था  काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास कम से कम 7 अफगान मारे गए हैं, जो देश में तालिबानी शासन के बाद भागने की कोशिश कर रहे थे. द एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक भीड़ में भगदड़ और कुचलने की चोटें आई हैं. खासकर तालिबानी लड़ाकों ने देश से बाहर जाने के लिए बेताब लोगों को रोकने के लिए हवा में गोलियां चलाई हैं.

ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि जमीन पर स्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन हम स्थिति को यथासंभव काबू करने और सुरक्षित तरीके से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. 

'दुनिया भर के जिहादी समूह अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर जाने पर खुश'

9/11 के आतंकी हमलों के बाद 20 साल पहले अफगानिस्तान में सैनिकों को तैनात करने वाले तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर ने अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से हटने पर जो बाइडेन की आलोचना भी की है. उन्होंने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से दुनियाभर में हर जिहादी समूह उत्साहित हैं.

'अफगानिस्तान संकट पर नजर रखना ब्रिटेन का दायित्व'

शनिवार देर रात अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लंबे आलेख में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने कहा कि सैनिकों को वापस लेने का निर्णय दुखद, खतरनाक, गैरजरूरी था. टोनी ब्लेयर ने कहा है कि ब्रिटेन का अब नैतिक दायित्व है कि उन सभी लोगों को बाहर निकाले जिन्हें अफगानिस्तान में खतरा है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन से बाहर निकलना पश्चिमी देशों या अफगानिस्तान के हित में नहीं था. तालिबान अब अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में काबिज हो चुका है.

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