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ब्रेग्ज‍िट: यूरोपीय संघ से बिना करार अलग हो सकता है ब्रिटेन

ब्रेग्ज‍िट डील पर ढाई साल की बातचीत और दो असफल प्रयासों के बाद भी इस पर दुविधा बनी हुई है. अगर ब्रिटेन को डील पर बातचीत के लिए और समय चाहिए तो उसे परिषद के 27 सदस्यों की सहमति चाहिए. 

ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे (file) ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे (file)
aajtak.in
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  • 14 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST

ब्रिटिश सांसदों ने बुधवार को प्रधानमंत्री थेरेसा मे के ब्रेग्ज‍िट डील को खारिज कर दिया. अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि ब्रिटेन बिना किसी करार के यूरोपीय संघ से अलग होगा. ब्रिटिश संसद में डील के विपक्ष में 278 के बदले 321 वोट पड़े. दूसरी तरफ यूरोपीय संघ ने कहा कि वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. अगर ब्रिटिश संसद यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौते को मंजूर करने में असफल होती है और संघ ज्यादा समय देने में असमर्थ रहता है तो ब्रिटेन 29 मार्च को संघ से बिना किसी समझौते के अलग हो जाएगा. 

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ब्रेग्ज‍िट डील पर ढाई साल की बातचीत और दो असफल प्रयासों के बाद भी इस पर दुविधा बनी हुई है. अगर ब्रिटेन को डील पर बातचीत के लिए और समय चाहिए तो उसे परिषद के 27 सदस्यों की सहमति चाहिए. संघ की वार्ताकार मिशेल बार्नियर ने कहा कि परिषद यह जानना चाहता है कि ब्रिटेन क्यों बातचीत के लिए और समय चाहता है. अब इसका हल लंदन से ही निकाला जा सकेगा. संघ इसमें कुछ और नहीं कर सकता. हम तीसरी बार मौका नहीं दे सकते. 

ब्रेग्ज‍िट डील से दुनिया भर के बाजारों पर असर हो रहा है. गोल्डमैन सैक्स और जेपी मॉर्गन ने कहा कि प्रधानमंत्री थेरेसा मे के डील पर 55 फीसदी समस्या खत्म हो चुकी है. 35 प्रतिशत बदलाव और 10 फीसदी उम्मीद खारिज होने की है. ब्रिटेन ने वर्ष 2016 में यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला लिया था. इसी साल 23 जून को जनमत संग्रह में ब्रिटेन के 51.89 फीसदी लोगों ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में मत दिया था.

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19 जून 2017 से इस संबंध में यूरोपीय संघ की परिषद में बातचीत चल रही है. पहली बार ब्रिटिश संसद में 15 जनवरी 2019 को मतदान हुआ था. उस समय भी यह प्रस्ताव 230 वोटों के अंतर से गिर गया था. 

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