
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट के लिए मंगलवार को रूस के कजान शहर पहुंच गए हैं. वह रूस के दो दिनों के दौरे पर हैं. इस दौरान वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
पीएम मोदी के रूस के लिए रवाना होने से पहले रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा था कि पीएम मोदी कजान में BRICS सदस्य देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. आज तक के साथ विशेष बातचीत में विनय कुमार ने कहा,'इस सम्मेलन में आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर जोर होगा.'
ये है 22 अक्टूबर का प्लान
पीएम मोदी सुबह 7:00 (IST) बजे कज़ान, (रूस) के लिए रवाना हो चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक वह सुबह 10:25 (MSK) कज़ान हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे. कज़ान का स्थानीय समय (MSK) दिल्ली से 2 घंटे 30 मिनट पीछे है. इस आधार पर प्लानिंग में बदलाव भी हो सकते हैं. पीएम मोदी जब होटल पहुंचेंगे तो वहां पर उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा, फिर दोपहर बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक होगी. शाम 4 बजे से शाम 6ः30 के बजे के बीच (MSK) द्विपक्षीय बैठकों के दोनों सत्र होंगे. इसके बाद कज़ान सिटी हॉल पहुंचने पर ब्रिक्स नेताओं के लिए स्वागत समारोह आयोजित होना है.
क्या चीन के साथ होगी द्विपक्षीय वार्ता?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के साथ संभावित बैठकों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन द्विपक्षीय बैठकों के एजेंडे पर भी काम चल रहा है. उन्होंने कहा,'पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठकों पर विचार किया जा रहा है.'
रूस में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने कहा,'इसके लिये अभी इंतजार करना होगा कि कौन सी बैठकें अंत में तय होती हैं. यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 20 महीनों से चल रहे युद्ध के साथ-साथ मिडिल ईस्ट में बिगड़ते संघर्ष के बीच हो रही है.'
इस समझौते के बाद बढ़ी वार्ता की उम्मीद
बता दें कि एक दिन पहले ही भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंच गये हैं. कथित तौर पर यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है. इस जानकारी के सामने आने के बाद ही पीएम मोदी और शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद और बढ़ गई है.
जंग के बीच समाधान को लेकर होगी बात!
बातचीत के दौरान कुमार ने कहा,'शांति और संघर्ष समाधान के लिए भारत एक मजबूत वकील की भूमिका में है. इस मुद्दे पर चर्चा और बातचीत हुई है. भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि संबंधित पक्षों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष का समाधान खोजने की जरूरत है. अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन आश्चर्य नहीं होगा अगर इस मुद्दे पर भी चर्चा की जाए.'
रूसी सेना में भारतीयों के मुद्दे पर कही ये बात
रूस-यूक्रेन जंग में शामिल होने के लिए गुमराह किए गए भारतीय नागरिकों के मुद्दे पर पूछे जाने पर कुमार ने कहा,'पीएम मोदी ने खुद इस मुद्दे पर राष्ट्रपति पुतिन से कई बार बात की है. रूसी सेना में भर्ती हुए ज्यादातर भारतीय नागरिकों को रिहा कर दिया गया है. हमारे हिसाब से 16-17 मामले लंबित हैं, जिन पर हम काम कर रहे हैं. यह मुद्दा समाधान की ओर बढ़ रहा है.'
BRICS के सदस्य देशों के साथ इन्हें मिला निमंत्रण
रूस (मेजबान), ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, ईरान, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, अल्जीरिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, बहरीन, बेलारूस, बोलीविया, कांगो, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, मलेशिया, मॉरिटानिया, मेक्सिको, मंगोलिया, मोरक्को, निकारागुआ, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, टर्की, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, वेनेजुएला, वियतनाम, सर्बिया, फिलिस्तीन.
2006 में बना था ब्रिक्स
ब्रिक्स की स्थापना सितंबर 2006 में हुई थी और इसमें मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत और चीन (ब्रिक) शामिल थे. सितंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद इसका नाम बदलकर ‘ब्रिक्स’ कर दिया गया.ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ ब्रिक्स वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है और यह वर्षों से वैश्विक आर्थिक विकास का एक प्रमुख प्रेरक रहा है.