
कुछ दिन पहले जैसा महाराष्ट्र में हुआ था, अब वैसा ही ब्रिटेन में हो रहा है. जिस तरह से उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई थी, वैसी ही बगावत बोरिस जॉनसन की अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी में भी शुरू हो गई है. अब तक चार कैबिनेट मंत्री समेत 40 से ज्यादा मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब ऐसे में जिस तरह से उद्धव सरकार पर संकट आ गया था, वैसा ही संकट बोरिस जॉनसन की सरकार पर भी आ गया है.
लेकिन बोरिस जॉनसन की सरकार पर ये संकट आया कैसे? इसकी शुरुआत वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद के इस्तीफे से हुई. दोनों ने 5 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनका कहना था कि बोरिस जॉनसन की लीडरशिप पर उन्हें भरोसा नहीं है.
ऋषि सुनक ने अपने इस्तीफे में कहा था कि लोग सरकार से उम्मीद करते हैं कि वो ठीक तरह से काम करेगी. वहीं, साजिद जाविद ने कहा था कि सरकार राष्ट्र हित में काम नहीं कर रही है. दोनों ने ये इस्तीफा बोरिस जॉनसन से माफी मांगने के बाद दिया था. हालांकि, दोनों अब भी सरकार में बने हुए हैं.
ऋषि सुनक और साजिद जाविद के बाद एक और कैबिनेट मंत्री साइमन हार्ट ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके अलावा एक और कैबिनेट मंत्री ब्रैंडन लुईस ने भी इस्तीफा दे दिया है.
बगावत होने के बाद बोरिस जॉनसन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है. विपक्ष ने उनसे इस्तीफा देने की मांग की है. हालांकि, इसके बावजूद जॉनसन इस्तीफा देने के मूड में नहीं है. जॉनसन का कहना है कि उन्हें वोटर्स ने चुना था.
ब्रिटेन की राजनीति में आगे क्या होता है? क्या जिस तरह से उद्धव ठाकरे को वर्षा (मुख्यमंत्री आवास) छोड़ना पड़ा था, वैसे ही बोरिस जॉनसन को भी 10 डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री आवास) छोड़ना पड़ेगा?
माना जा रहा है कि मंत्रियों के इस्तीफे का सिलसिला थमने वाला नहीं है. कई मंत्री और सांसद ऋषि सुनक की राह पकड़ सकते हैं. ऐसा होता है तो जॉनसन की मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं. हो सकता है कि जिस तरह थेरेसा मे (पूर्व प्रधानमंत्री) को अपनी ही पार्टी में वोटिंग का सामना करना पड़ा था, वैसा ही जॉनसन को भी करना पड़ सकता है. हालांकि, थेरेसा मे वोटिंग में जीत गई थीं.
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पर इस्तीफे क्यों? बगावत का कारण क्या है?
- इस पूरी बगावत के केंद्र में जिसका नाम सामने आ रहा है, वो हैं क्रिस पिंचर. क्रिस पिंचर पर 'सेक्स स्कैंडल' के आरोप हैं. इसी साल फरवरी में जॉनसन ने क्रिस पिंचर को पार्टी का डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया था.
- 30 जून को ब्रिटेन के अखबार 'द सन' ने एक रिपोर्ट छापी, जिसमें दावा किया गया कि क्रिस पिंचर ने लंदन के एक क्लब में दो मर्दों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ था. इस रिपोर्ट के आने के बाद पिंचर को डिप्टी चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. पिंचर पर पहले भी यौन दुराचार के आरोप लगते रहे हैं.
- अखबार की रिपोर्ट सामने आने के बाद उनकी ही पार्टी ने आरोप लगाया कि जॉनसन को पिंचर के आरोपों के बारे में जानकारी थी, फिर भी उन्होंने उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. 1 जुलाई को सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री जॉनसन को आरोपों के बारे में नहीं पता था. लेकिन 4 जुलाई को फिर सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि जॉनसन को आरोपों की जानकारी थी, लेकिन पिंचर की नियुक्ति को रोकना सही नहीं समझा क्योंकि आरोप साबित नहीं हुए थे.
- 5 जुलाई को सबसे पहले ऋषि सुनक और थोड़ी देर बाद साजिद जाविद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद पार्टी में इस्तीफों की झड़ी लग गई. 6 जुलाई को कैबिनेट मंत्री साइमन हार्ट ने भी इस्तीफा दे दिया. बीबीसी के मुताबिक, अब तक 4 कैबिनेट मंत्री, 16 मंत्री, 21 प्राइवेट सेक्रेटरी और 5 अन्य लोगों ने इस्तीफा दे दिया है.
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पार्टीगेट से तो बच निकले, क्या इससे बच पाएंगे जॉनसन?
- बोरिस जॉनसन इससे पहले पार्टीगेट मामले में फंस गए थे. उनके ऊपर कोरोना लॉकडाउन के दौरान पार्टी करने का आरोप लगा था. ब्रिटिश मीडिया में दावा किया गया था कि 19 जून 2020 को जॉनसन का बर्थडे था और इस दिन डाउनिंग स्ट्रीट में एक पार्टी हुई थी. इस पार्टी में 30 लोग शामिल हुए थे, जबकि लॉकडाउन में सिर्फ दो लोगों के ही शामिल होने की इजाजत थी.
- पार्टीगेट सामने आने के बाद बोरिस जॉनसन पर फिर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया था. उनकी ही पार्टी के लोग उनके खिलाफ हो गए थे. अप्रैल 2022 में जॉनसन पर लॉकडाउन नियमों को तोड़ने के आरोप में जुर्माना भी लगा. जॉनसन पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन पर पद पर रहते हुए नियमों को तोड़ने का आरोप है.
- पार्टी करने को लेकर जॉनसन के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. हालांकि, ये अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था. 359 सदस्यों वाले सदन में जॉनसन के पक्ष में 211 और विपक्ष में 148 वोट पड़े थे.
अब आगे क्या?
- इस्तीफा छोड़ने का दबाव बढ़ेगाः 40 से ज्यादा मंत्रियों के बाद जॉनसन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है. उनकी ही पार्टी के लोग उन्हें इस्तीफा देने के लिए बोल सकते हैं. हाल ही में हुए Yougov के सर्वे में 69% लोगों ने कहा था कि जॉनसन को अपना पद छोड़ देना चाहिए.
- खुद से ही इस्तीफा दे देंः चूंकि जॉनसन पर उनकी ही पार्टी का भरोसा नहीं रहा है और एक के बाद एक लोग इस्तीफा देते जा रहे हैं, तो अब वो खुद ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दें. हालांकि, जॉनसन कह चुके हैं कि उन्हें लोगों ने चुना है.
- विपक्ष खुलकर आएः विपक्षी लेबर पार्टी प्रधानमंत्री जॉनसन से इस्तीफा तो मांग रही है, लेकिन खुलकर सामने नहीं आई है. लेबर पार्टी प्रधानमंत्री को सदन में विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर कर सकती है.