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Queen Elizabeth: राजकुमारी से लेकर महारानी का सफर, एलिजाबेथ-II ने ब्रिटेन में सात दशक तक किया राज

किंग जॉर्ज-VI के निधन के बाद ये साफ हो गया था कि अब ब्रिटेन को नई महारानी मिलने वाली थी. एलिजाबेथ ब्रिटेन से केन्या जब रवाना हुईं तब वह एक राजकुमारी थीं, लेकिन जब वो लौटीं तो एक महारानी के रूप में. 6 फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की महारानी नियुक्त हुईं, 2 जून 1953 को उनका आधिकारिक रूप से राज्याभिषेक किया गया.

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II का निधन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II का निधन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:54 AM IST

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ-II ने 96 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा. 21 अप्रैल 1926 को उनका जन्म हुआ था. एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज-VI भी ब्रिटेन के राजा बने. क्वीन एलिज़ाबेथ का पूरा नाम एलिजाबेथ एलेक्जेंडरा मैरी विंडसर था क्वीन एलिजाबेथ की एक बहन थीं. जिनका नाम प्रिंसेज मार्ग्रेट था.

क्वीन एलिजाबेथ ने अपनी पढ़ाई घर में ही पूरी की. उनकी एक बायोग्राफी में लिखा गया है कि बचपन में ही क्वीन एलिजाबेथ का लगाव घोड़ों, डॉग्स में था जो जीवन भर रहा. बाद में वह घोड़ों की रेस पर दांव भी लगाया करती थीं.

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राजकुमारी जब महारानी बन गईं...

साल 1947 में जब भारत अपनी आजादी की तैयारियों में जुटा था, उसी वक्त एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की शादी हुई. ब्रिटेन के शाही परिवार ने बड़े धूमधाम से इस शादी का जश्न मनाया. शादी के कुछ वक्त बाद ही प्रिंस फिलिप, एलिजाबेथ शाही परिवार के लिए अपनी ड्यूटी में लग गए. शादी के करीब पांच साल बाद यानी साल 1952 में प्रिंस फिलिप, प्रिंसेस एलिजाबेथ केन्या के दौरे पर थे. दरअसल, किंग जॉर्ज-VI की तबीयत काफी खराब रहती थी और उनका ऑस्ट्रेलिया दौरा बार-बार टल रहा था. 

ऐसे में तय हुआ था कि केन्या में छुट्टियां मनाने के बाद एलिजाबेथ और फिलिप ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे. लेकिन केन्या के इसी दौरे पर 6 फरवरी, 1952 को सबकुछ बदल गया. लंबे वक्त से बीमार चल रहे एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज का निधन हो गया. एलिजाबेथ क्योंकि केन्या के ग्रामीण इलाके में थीं ऐसे में उनके पास ये संदेश पहुंचने में कुछ देर हुई. लेकिन खबर मिलने के बाद एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को अपनी छुट्टियां रद्द कर तुरंत वापस ब्रिटेन आना पड़ा. जब ये घटना हुई तब एलिजाबेथ की उम्र सिर्फ 25 साल थी.

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इसी घड़ी में सब कुछ बदल गया. क्योंकि किंग जॉर्ज-VI के निधन के बाद ये साफ हो गया था कि अब ब्रिटेन को नई महारानी मिलने वाली थी. एलिजाबेथ ब्रिटेन से केन्या जब रवाना हुईं तब वह एक राजकुमारी थीं, लेकिन जब वो लौटीं तो एक महारानी के रूप में लौटीं. 6 फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की महारानी नियुक्त हुईं, 2 जून 1953 को उनका आधिकारिक रूप से राज्याभिषेक किया गया.

महारानी एलिजाबेथ-II का निधन

दूसरे विश्व युद्ध में भले ही ब्रिटेन को जीत मिल गई हो, लेकिन उसके बाद से ही ब्रिटेन कमजोर होने लगा था. यही कारण था कि जिन देशों पर ब्रिटेन का राज था, वहां से वह हटना शुरू हो गया था और सत्ता स्थानीय सरकारों को सौंपना शुरू कर दिया था. भारत भी उनमें से ही एक देश था. लेकिन इसी कमजोर वक्त के बीच क्वीन एलिजाबेथ को ब्रिटेन की कमान मिली थी. जब 25 साल की एक युवा लड़की एक शाही परिवार की प्रमुख बनी और उस देश के अंतर्गत दर्जनों देश आते थे, तब दुनिया की नजरें सिर्फ क्वीन एलिजाबेथ पर ही थीं. 1953 में राज्याभिषेक के बाद क्वीन एलिजाबेथ ने आधिकारिक रूप से अपना कामकाज संभाला.

साल 1961 में एक वक्त ऐसा आया, जब सबकुछ बदल गया. दरअसल, साल 1961 में क्वीन एलिजाबेथ ने घाना का दौरा किया था, तब घाना कई मुश्किलों से जूझ रहा था और उसके ऊपर एक तानाशाह का खतरा भी मंडरा रहा था. लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद क्वीन एलिजाबेथ ने यहां का दौरा किया. विवाद को अपने दम पर हल किया और इसी दौरे ने एक युवा महारानी के ओहदे को दुनिया की नज़रों में बढ़ा दिया. घाना 1957 में ही आजाद हुआ था और उसके बाद से ही वहां पर हिंसा का दौर चल रहा था.

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1961 में महारानी को वहां का दौरा करना था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उन्हें ना जाने की सलाह दी. इस सलाह को दरकिनार करते हुए महारानी ने घाना का दौरा किया. महारानी के पहुंचने से पांच दिन पहले ही घाना की राजधानी पर बम से हमला हो गया था. इसके बावजूद महारानी ने अपने दौरे को पूरा किया, घाना के शासक, आम लोगों के साथ वक्त बिताया और अंतत: ये सफल दौरा हुआ. यहां के शासक ने ब्रिटेन के साथ मिलकर काम करना तय किया. इस दौरे का सभी कॉमनवेल्थ देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा.

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