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Britain: कोल्ड वॉर के दौर से मॉडर्न वर्ल्ड ऑर्डर तक... महारानी एलिजाबेथ के 70 साल के शासन में कितनी बदल गई दुनिया?

साल 1952 में पिता के निधन के बाद गद्दी संभालने वाली एलिजाबेथ की उम्र महज 25 वर्ष थी. एलिजाबेथ ने अपने 21वें जन्मदिन पर कहा था कि वह अपनी पूरी जिंदगी ब्रिटेन और कॉमनवेल्थ देशों की सेवा के लिए समर्पित करेंगी. एलिजाबेथ का जीवन बहुत सारे उतार-चढ़ावों से भरा हुआ रहा. वह अपने जीवनकाल में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर विंडसर पैलेस में आग लगने जैसे कई घटनाओं की गवाह रहीं.

ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 19 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक राज किया. 21 अप्रैल 1926 को लंदन में जन्मी एलिजाबेथ किंग जॉर्ज षष्ठम की सबसे बड़ी बेटी थीं. साल 1952 में पिता के निधन के बाद गद्दी संभालने वाली एलिजाबेथ की उम्र महज 25 वर्ष थी. एलिजाबेथ ने अपने 21वें जन्मदिन पर कहा था कि वह अपनी पूरी जिंदगी ब्रिटेन और कॉमनवेल्थ देशों की सेवा के लिए समर्पित करेंगी. एलिजाबेथ का जीवन बहुत सारे उतार-चढ़ावों से भरा हुआ रहा. वह अपने जीवनकाल में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर विंडसर पैलेस में आग लगने जैसे कई घटनाओं की गवाह रहीं. 70 सालों तक ब्रिटेन पर राज करने वाली एलिजाबेथ की किस्मत में इस शाही गद्दी का आना भी एक योग ही था. 

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साल 1926 में जन्मी एलिजाबेथ को घर में सब प्यार से लिलीबैट कहकर बुलाते थे. एलिजाबेथ और उनकी छोटी बहन मार्गरेट की शिक्षा घर पर ही हुई. इसके बावजूद वह कई भाषाएं जानती थीं. उन्हें विशेष रूप से इतिहास में गहरी रुचि थी. हालांकि, उस समय राजघरानों के बच्चों की शिक्षा घर पर हुआ करती थी, स्कूल जाकर पढ़ाई करने का कोई चलन नहीं था. एलिजाबेथ बचपन से समझदार और जिम्मेदारियों को समझने वाली रहीं. वहीं, दूसरी तरफ उनकी बहन मार्गरेट बेफिक्र और आत्मकेंद्रित थी. एलिजाबेथ एक आम इंसान की तरह जिंदगी जीना पसंद करती थीं. 

उन्होंने एक बार बचपन में कहा था कि वह शाही शानो-शौकत से दूर एक आम जीवन जीना चाहती हैं. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इस बीच 1939 में उनकी जिंदगी में प्रिंस फिलिप आए. उस समय एलिजाबेथ महज 13 साल की थीं. एलिजाबेथ अपनी मां के साथ डार्टमथ के रॉयल नेवल कॉलेज गईं, जहां उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि वह प्रिंस फिलिप को चाहने लगी हैं. हालांकि, दोनों की मुलाकातें पहले भी कई बार हो चुकी थीं. इस मुलाकात के बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा लेकिन तभी द्वितीय विश्वयुद्ध अपने चरम पर पहुंच चुका था और नौसेना में होने की वजह से प्रिंस फिलिप को युद्ध में जाना पड़ा. दोनों के बीच पत्रों के माध्यम से बातचीत जारी रही. इसके बाद 1947 में दोनों ने शादी कर ली. उस समय एलिजाबेथ की उम्र 21 साल थी.

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एलिजाबेथ की किस्मत में था राजयोग

जब एलिजाबेथ का जन्म हुआ, उस समय उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम ब्रिटेन की गद्दी संभाल रहे थे. किंग जॉर्ज पंचम की पांच संतानें थीं, जिनमें उनके सबसे बड़े बेटे एडवर्ड गद्दी के वारिस थे जबकि एलिजाबेथ के पिता जॉर्ज षष्ठम सिंहासन की रेस में दूसरे नंबर पर थे. किंग जॉर्ज पंचम के निधन के बाद एलिजाबेथ के चाचा एडवर्ड को राजा घोषित किया गया. वह किंग एडवर्ड अष्ठम के नाम से जाने गए लेकिन उस समय अमेरिकी नागरिक और सोशलाइट वैलिस सिंपसन से प्यार करने वाले एडवर्ड ने प्यार के लिए गद्दी छोड़ दी. इसकी वजह थी कि वैलिस तलाकशुदा थीं, उस समय ब्रिटेन में इस बात का काफी विरोध भी हुआ था.

एलिजाबेथ के चाचा ने जिस समय गद्दी छोड़ी, उस समय एलिजाबेथ की उम्र 10 साल थी. किंग एडवर्ड अष्ठम के गद्दी छोड़ने पर एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज षष्ठम गद्दी पर बैठे और पिता की मौत के बाद एलिजाबेथ बनीं ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय. 

एलिजाबेथ की ताजपोशी

एलिजाबेथ ने 1948 में प्रिंस चार्ल्स, 1950 में प्रिंसेज एन, 1960 में प्रिंस एंड्रयू और 1964 में प्रिंस एंड्रूय को जन्म दिया. इससे पहले 1952 में किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन की वजह से लॉ प्रोफाइल जीवन जीना पसंद करने वाली एलिजाबेथ की जिंदगी बदल गई. जिस समय उनके पिता का निधन हुआ, वह प्रिंस फिलिप के साथ केन्या में थीं. उनके पिता के निधन की सूचना देरी से मिली लेकिन वह तुरंत ब्रिटेन लौटी. इसके बाद उन्हें तुरंत गद्दी सौंप दी गई लेकिन एक साल बाद 1953 में उनकी आधिकारिक तौर पर ताजपोशी की गई, जिसका दुनियाभर में लाइव प्रसारण कराया गया, जो काफी विवादों में भी रहा. 

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प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के निशाने पर थीं एलिजाबेथ

जिस समय महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी की गई, उस समय ब्रिटेन द्वितीय विश्वयुद्ध के दंश से उबर रहा था. यह वह दौर था, जब ब्रिटेन में हालात काफी खराब थे. ऐसे में उनकी ताजपोशी पर खर्च हुई भारी धनराशि से चर्चिल खुश नहीं थे और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी यह नाराजगी जाहिर भी की थी. जैसे ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ तो विंस्टन चर्चिल की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार भंग हो गई और उसकी जगह नई कंजर्वेटिव सरकार सत्ता में आई. आम चुनाव में क्लेमेंट एटली की अगुवाई में लेबर पार्टी सत्ता में आई. ब्रिटेन युद्ध की मार से जूझ रहा था. ब्रिटेन की माली हालत खराब हो चुकी थी, ऐसे में महारानी की ताजपोशी से देश दो धड़ों में बंट गया था. एक जो इस ताजपोशी से खुश थी और महारानी की और उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था तो दूसरा वह वर्ग था, जो कमरतोड़ महंगाई के बीच इस ताजपोशी पर हुए अथाह खर्च से गुस्से में था. 

ब्रिटेन के अधिकार से कई देश आजाद हुए

ब्रिटेन की गद्दी संभालने के बाद एलिजाबेथ को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, उनमें से एक यह भी था कि धीरे-धीरे कई उपनिवेश उनके अधिकार से मुक्त हो रहे थे. भारत जैसे कई देश जिन पर ब्रिटेन का अधिकार था, वे स्वतंत्र हो गए थे. इस तरह ब्रिटेन के साम्राज्य को भी चुनौती मिल रही थी. ऊपर से ब्रिटेन का युवा वर्ग बेरोजगारी से बेहाल था और लगातार प्रदर्शन कर रहा था.

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एलिजाबेथ ने ब्रिटेन के पुराने तौर-तरीके बदले

यूं तो ब्रिटेन की जनता ने एलिजाबेथ के राज्याभिषेक को उम्मीद भरी नजरों से देखा था. इतिहास के सबसे मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा ब्रिटेन गद्दी से उम्मीद लगाए बैठा था. उस समय की स्थितियों और प्रिंस फिलिप की सलाह पर महारानी एलिजाबेथ ने ब्रिटेन के राजघराने के पारंपरिक तौर तरीकों में बदलाव करना शुरू कर दिया. वह शाही घराना जो अब तक आम जनता से दूरी बनाता आया था. महारानी ने उस छवि को तोड़ना शुरू किया और आम जनता के बीच जाना शुरू कर दिया. वह गद्दी और आम जनता के बीच दशकों से बने उस कम्युनिकेशन गैप को कम करना चाहती थी, जो शुरुआत में बिल्कुल भी आसान नहीं था. पुराने रूढ़िवादी तरीकों को बदला गया और इसी कड़ी में ब्रिटेन के राजघराने की एक डॉक्यूमेंट्री भी जारी की गई, जिसमें शाही परिवार के जीवन की झलकियों को दर्शाया गया. 

बाद में महारानी एलिजाबेथ 1970 में न्यूजीलैंड के दौरे पर गई. यह दौरा ब्रिटेन के लिए काफी खास रहा. ठीक इसी तरह 1991 में वह अमेरिकी दौरे पर गईं, जहां उन्होंने अमेरिकी संसद को संबोधित किया. वह अमेरिकी संसद को संबोधित करने वाली पहली ब्रिटिश शासक बनी. 

विंडसर पैलेस में आग और विवाद

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1992 में विंडसर पैलेस में भयंकर आग लग गई, जिसने एक और विवाद को जन्म दिया. ब्रिटेन में आमजनों के बीच चर्चा होने लगी कि आग से हुए नुकसान की भरपाई किस तरह होगी. ब्रिटेन की जनता के पैसे की बर्बादी के कयास लगाए जाने लगे. इसी बीच महारानी एलिजाबेथ ने इनकम टैक्स भरने पर सहमति जताई.

प्रिंस चार्ल्स और डायना विवाद से छवि को नुकसान 

महारानी एलिजाबेथ के बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स ने 1981 में लेडी डायना स्पेंसर से शादी की थी. शादी के एक साल बाद डायना ने प्रिंस विलियम और दो साल बाद प्रिंस हैरी को जन्म दिया लेकिन यह शादी खुशहाल नहीं थी. प्रिंस चार्ल्स की बेवफाई के किस्से अब ब्रिटेन से बाहर दुनियाभर में फैलने लगे. कैमिला से प्रिंस चार्ल्स के संबंधों और प्रिंसेज डायना की लगातार बढ़ रही लोकप्रियता से शाही खानदान को दिक्कतें होनी लगी. बाद में प्रिंस चार्ल्स से डायना के तलाक और 1999 में पेरिस में कार दुर्घटना में डायना की मौत ने ब्रिटेन के राजघराने के तौर-तरीकों पर गहरा प्रभाव डाला.

साल 2002 महारानी एलिजाबेथ के लिए काफी स्याह रहा. इस साल एक-एक महीने के अंतराल पर उनकी बहन मार्गरेट और मां का निधन हो गया. लेकिन गमों से जूझती हुई एलिजाबेथ जब भी आम जनता के बीच जाती, तो उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती. यह उनका अलहदा अंदाज ही था, जिसने उन्हें आम जनता से जोड़े रखा और अब उनके निधन के बाद लोग उन्हें आखिरी विदाई देने 14 किलोमीटर लंबी कतार में खड़े होकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. 

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