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'भारत के फैसलों से सहमत नहीं', कनाडा के डिप्लोमैट्स को निकालने पर अमेरिका के बाद ब्रिटेन का भी आया बयान

India-Canada row: अमेरिका के बाद ब्रिटेन सरकार ने भी मोदी सरकार के उन फैसलों पर नाराजगी जताई है, जिस वजह से कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा है. इसी महीने 3 अक्टूबर को भारत सरकार की ओर से कनाडा को चेतावनी दी गई थी कि अगर राजनयिकों की संख्या कम नहीं की जाती है तो उनकी सभी राजनयिक छूट खत्म कर दी जाएगी.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST

India-Canada standoff: मोदी सरकार द्वारा 41 कनाडाई राजनयिकों को वापस भेजने के कदम पर अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी नाराजगी जाहिर की है. ब्रिटेन सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा है कि भारत के इस कदम से राजनयिक संबंधों के लिए बने वियना कन्वेंशन के प्रभावी कामकाज पर असर पड़ा है. हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश राजनयिक संबंधों के लिए 1961 में बने वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों का पालन करेंगे.

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इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों के लिए 1961 में बने वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों का पालन करेगा. मिलर ने कहा था कि कनाडाई राजनयिकों के भारत से वापस जाने से हम चिंतित हैं. किसी भी मतभेद को सुलझाने के लिए राजनयिकों की जरूरत होती है.

दरअसल, भारत और कनाडा में जारी राजनयिक विवाद के बीच कनाडा ने गुरुवार को भारत से अपने 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुला लिया है.

भारत के आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और संख्या की अधिकता का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने ट्रूडो सरकार को 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था. तीन अक्टूबर को भारत सरकार की ओर से कनाडा को चेतावनी दी गई थी कि अगर राजनयिकों की संख्या कम नहीं की जाती है तो उनकी सभी राजनयिक छूट खत्म कर दी जाएगी.

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भारत के फैसलों से सहमत नहींः ब्रिटेन

शुक्रवार को ब्रिटिश विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) की ओर से जारी बयान में कहा गया है, " किसी भी प्रकार के मतभेदों को सुलझाने के लिए बात-चीत और राजनयिकों की जरूरत होती है. हम भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं हैं. भारत के इस निर्णय से कई कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा है."

बयान में आगे कहा गया है, "हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश राजनयिक संबंधों के लिए 1961 में बने वियना कन्वेंश के तहत अपने दायित्वों का पालन करेंगे. राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी देश द्वारा दिए जाने वाले विशेषाधिकारों को एकतरफा खत्म करना वियना कन्वेंशन के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है."

ब्रिटेन ने यह भी कहा है कि हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड जांच में वह कनाडा का सहयोग करे.

अमेरिका ने क्या कहा था?

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था, " हम कनाडा के राजनयिकों के भारत से चले जाने से चिंतित हैं. मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की जरूरत होती है. हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वो कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में कमी पर जोर ना दे और कनाडा में चल रही जांच में सहयोग करे. हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेगा, जिसमें कनाडा के राजनयिक मिशन के मान्यता प्राप्त सदस्यों द्वारा प्राप्त विशेषाधिकार शामिल हैं."

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कनाडा ने वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का लगाया था आरोप

ब्रिटेन की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने गुरुवार को कहा था, "भारत की धमकी के बाद राजनयिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने भारत से उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है. भारत में रह रहे हमारे 41 राजनयिक और उनका परिवार भारत छोड़ चुके हैं." मेलानी जॉली ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है. 

कनाडाई विदेश मंत्री ने कहा था, "भारत के इस कदम की हमें उम्मीद नहीं थी. इस तरह की घटना कभी नहीं हुई है. किसी भी देश के राजनयिकों के विशेषाधिकारों और छूट को एकतरफा खत्म करना अंतराराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है. यह राजनयिक संबंधों के लिए बने वियना कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन है. इस तरह से छूट खत्म करने की धमकी देना वेबजह किसी विवाद को बढ़ावा देना है."

वियना कन्वेंशन का उल्लंघन नहींः भारत

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को बयान जारी करते हुए कहा था कि कनाडा के उन आरोपों को हम सिरे से खारिज करते हैं कि कनाडाई डिप्लोमैट की संख्या को बराबरी में लाने के लिए हमने किसी भी तरह का अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है. 

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विदेश मंत्रालय ने कहा है, "राजनयिकों की संख्या को बराबरी में लाने के लिए उठाया गया हमारा कदम वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप है. जिसमें कहा गया है- राजनयिक मिशन के आकार (डिप्लोमैट्स की संख्या) को लेकर अगर कोई विशेष एग्रीमेंट नहीं है तो रिसीविंग देश किसी देश के राजनयिक की संख्या उस लिमिट में रख सकता है जितनी वह जरूरत और समान्य समझे और जब तक कि उसे किसी विशेष मिशन के लिए अतिरिक्त डिप्लोमैट की जरूरत नहीं हो."

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