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ब्रिटेन के एक सांसद ने जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित हिंदुओं के 'नरसंहार' की 35वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए एक संसदीय प्रस्ताव पेश किया है. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मुद्दे पर अर्ली डे मोशन (EDM) पेश किया.
क्या है अर्ली डे मोशन?
EDM ब्रिटिश सांसदों द्वारा किसी विशेष मुद्दे पर संसद का ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका है. EDM में कहा गया है कि यह सदन जनवरी 1990 में कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर सीमा पार से आए आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा किए गए हमलों की 35वीं वर्षगांठ को गहरे दुख और निराशा के साथ स्मरण करता है.
प्रस्ताव में ब्रिटिश हिंदू नागरिकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं, जिनके मित्र और परिवार मारे गए, जिनका रेप किया गया, घायल हुए और इस नियोजित नरसंहार में जबरन विस्थापित हुए. साथ ही ब्रिटेन में हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा का वचन दिया गया है, जिसमें न्याय की मांग करने का अधिकार भी शामिल है.
प्रस्ताव की चिंताएं और मांगें
प्रस्ताव में कहा गया है कि कश्मीरी हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हुए अत्याचारों को अब तक न्याय और मान्यता नहीं मिली है. सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वालों की कड़ी निंदा की गई है. प्रस्ताव में ये चिंता व्यक्त की गई कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले संगठन ब्रिटेन में सक्रिय हैं.
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत 'रिस्पॉन्सिबिलिटी टू प्रोटेक्ट' (सुरक्षा की जिम्मेदारी) के तहत राज्यों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. भारत सरकार से अपील की गई है कि वह जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार को मान्यता और स्वीकार्यता प्रदान करे. यह भी कहा गया है कि कश्मीरी हिंदू समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा अब भी जारी है.