
ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन ने 7 जुलाई को पीएम और पार्टी नेता के पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद 12 जुलाई को ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी (टोरी पार्टी) के नेतृत्व के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. शुरुआत में 8 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी. लेकिन 5 राउंड की वोटिंग के बाद सिर्फ दो उम्मीदवार ऋषि सुनक और लिज ट्रस रह गए हैं. 5 सितंबर को कंजर्वेटिव पार्टी के नए नेता के नाम का ऐलान किया जाएगा. यही ब्रिटेन का अगला पीएम होगा. खास बात ये है कि लगातार 5 राउंड की वोटिंग में टॉप पर चल रहे सुनक के लिए पीएम की रेस के लिए आखिरी दौर की लड़ाई काफी कठिन बताई जा रही है. आइए जानते हैं कि आखिर ऋषि सुनक के लिए आखिरी राउंड क्यों कठिन माना जा रहा है और भारत से ब्रिटेन में पीएम उम्मीदवार की रेस कितनी अलग है?
सितंबर 2013 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह मीडिया को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हमारी पार्टी की परंपरा रही है कि जब भी लोकसभा चुनाव होता है, तब बीजेपी पीएम उम्मीदवार का ऐलान करती रही है. इस बार 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इस बार भी हमने यही परंपरा जारी रखी है. इस विषय पर बीजेपी की संसदीय दल की बैठक हुई. इस बैठक में संसदीय दल ने फैसला किया है कि नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए. ये फैसला जनता और कैडर का मूड देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने किया है. बीजेपी ने बहुमत के साथ 2014 का चुनाव जीता. नरेंद्र मोदी पीएम बने. उनके नेतृत्व में 2019 में भी पार्टी सरकार बनाने में सफल रही.
इसी तरह कुछ 2004 में हुआ था, तब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और 145 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सोनिया गांधी सरकार बनाने के दावे के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से मिलीं. इसके बाद माना जा रहा था कि सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनेंगी. लेकिन बीजेपी ने एक बार फिर सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया. सहयोगी दलों के साथ तमाम बैठकें हुईं. सभी सोनिया गांधी के पीएम बनने के पक्ष में थे. लेकिन सोनिया गांधी ने ये कहकर सभी को चौंका दिया कि वे पीएम का पद मनमोहन सिंह को ऑफर कर रही हैं.
हालांकि, भारत में भी किसी पार्टी के लिए पीएम उम्मीदवार का चयन करना उतना आसान नहीं रहता, जितना नजर आ रहा है. इसके लिए तमाम दौर की बैठकें होती हैं. जनता का रुख, कार्यकर्ताओं का मूड और अन्य राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर पार्टी अपना नेता चुनती है. कई बार एक से अधिक उम्मीदवार होने पर अंदरूनी चुनाव भी होता है. हालांकि, यह इतना जोर शोर से नहीं होता, जितना ब्रिटेन में देखने को मिलता है.
ब्रिटेन में कैसे होता है पीएम उम्मीदवार का चयन
ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में हैं. बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद से नए नेता की तलाश की जा रही है. कंजर्वेटिव पार्टी में दो चरणों में चुनाव होता है. यहां सिर्फ वही उम्मीदवार पार्टी नेता के पद के लिए नामांकन कर सकता है, जिसके पास 20 से सांसदों का समर्थन होता है.
इस बार भी ब्रिटेन में 8 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. इसके बाद पार्टी के सांसद वोट करते हैं. जिस उम्मीदवार को कम वोट मिलते हैं, वो बाहर हो जाता है. ये प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक दो उम्मीदवार न रह जाएं.
5 राउंड के बाद अब बचे सिर्फ 2 उम्मीदवार
5 राउंड की वोटिंग के बाद सिर्फ दो उम्मीदवार ऋषि सुनक और लिज ट्रस रह गए हैं. खास बात ये है कि ऋषि सुनक सभी राउंड में सबसे आगे रहे हैं. उन्हें 5वें दौर में 137 वोट मिले. जबकि लिज ट्रस को 113 वोट मिले.
आखिरी फैसला कार्यकर्ताओं के हाथ में
भले ही कंजर्वेटिव पार्टी में सांसद आखिर 2 उम्मीदवार रहने तक वोटिंग में हिस्सा लेते हों, लेकिन पार्टी नेता के नाम पर अंतिम मुहर कार्यकर्ताओं की ही लगती है. अब ऋषि सुनक और लिज ट्रस देशभर में प्रचार में जुट गए हैं और पार्टी के कार्यकर्ताओं से वोट देने की अपील कर रहे हैं. टोरी पार्टी के करीब 1.6 लाख वोटर पोस्टल बैलेट से मतदान करेंगे और ऋषि सुनक और लिज ट्रस में एक को अपना नेता चुनेंगे.
कंजर्वेटिव पार्टी में पहले कैसे चुना जाता था नेता ?
1965 से पहले तक कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद आपस में चर्चा करके नए नेता का चुनाव करते थे, तब पार्टी में चुनाव नहीं होते थे. हालांकि, 1965 में तत्कालीन पार्टी नेता एलेक्स डगलस-होम ने नई प्रक्रिया का ऐलान किया, कि भविष्य में नए नेता को कंजर्वेटिव सांसद मतदान से चुनेंगे. पहले राउंड में जीतने के लिए उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट हासिल करने होंगे. अगर किसी को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिलते तो चुनाव तब तक होता रहेगा, जब तक उम्मीदवार को 50% वोट नहीं मिलते. लेकिन मौजूदा नियमों को 1998 में कंजर्वेटिव पार्टी के तत्कालीन नेता विलियम हेग द्वारा लाया गया था.
आखिरी दौर में ऋषि सुनक के पिछड़ने का डर !
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटेन के अगले पीएम बनने के लिए अब ऋषि सुनक और लिज ट्रस में सीधा मुकाबला है. अब पार्टी के 1.6 लाख कार्यकर्ता पोस्टल बैलेट के जरिए वोट करके अपने नेता का चुनाव करेंगे. लेकिन तमाम सर्वे के मुताबिक इस चुनाव में ऋषि सुनक पिछड़ते नजर आ रहे हैं. हाल ही में YouGov ने पार्टी के 730 सदस्यों पर एक सर्वे किया है. इसमें 62% लोगों ने लिज ट्रस के समर्थन में वोट किया. जबकि ऋषि सुनक को 38% ने अपना समर्थन किया.
हालांकि, यह सिर्फ एक सर्वे है, जिसमें सिर्फ 730 सदस्यों ने वोट किया. जबकि पार्टी नेतृत्व का फैसला 1.6 लाख कार्यकर्ताओं को करना है. इससे पहले ब्रिटिश अखबार द्वारा कंजर्वेटिव पार्टी के कार्यकर्ताओं का सर्वे कराया गया था. इसमें पेनी मोर्डेंट सबसे आगे थीं. उन्हें 19.6% लोगों ने अपना समर्थन किया था. जबकि केमी बडेनॉच 18.7% के साथ दूसरे और ऋषि सुनक 12.1% के साथ तीसरे नंबर पर थे. वहीं, सुएला ब्रेवरमैन को 11.05% और लिज ट्रस को 10.93% लोगों ने समर्थन दिया था. यानी लिज इस सर्वे में 5वें नंबर पर थीं. अब ऋषि सुनक और लिज को छोड़कर बाकी उम्मीदवार पीएम की रेस से बाहर हो गए हैं.
ऋषि सुनक ने शनिवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ''मुझे कोई शक नहीं है कि मैं कमतर हूं और कंजर्वेटिव पार्टी में कुछ ताकतें चाहती हैं कि दूसरे उम्मीदवार को पीएम का पद सौंपा जाए. लेकिन मुझे लगता है कि सदस्य विकल्प चाहते हैं और वो सुनने के लिए तैयार हैं.''
कौन हैं लिज ट्रस, जो ऋषि सुनक के लिए बड़ी चुनौती हैं?
लिज ट्रस का जन्म साल 1975 में ऑक्सफोर्ड में हुआ. लिज ट्रस ब्रिटेन की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं. ट्रस ने लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ राजनीति की शुरुआत की. बाद में कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल हो गईं. वे 2001 और 2005 में कंजर्वेटिव पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ीं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. वे 2006 में ग्रीनिच की काउंसलर चुनी गईं. 2010 में दक्षिण पश्चिम नॉरफॉक सीट से सांसद बनीं. 2012 में वे शिक्षा मंत्री बनीं.