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कनाडा से भारत तक हलचल मचाने वाला हरदीप सिंह निज्जर कैसे बना कनाडाई नागरिक? पढ़ें- Inside Story

साल 1997 में पंजाब के एक छोटे से गांव का निज्जर कनाडा पहुंचा. टोरंटो पीयरसन एयरपोर्ट पर उतरते ही निज्जर को इमिग्रेशन अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. रवि शर्मा नाम की फर्जी पहचान के जरिए वह कनाडा की सरहद में दाखिल हुआ था. जेल की सलाखों से बचने के लिए निज्जर ने पंजाब पुलिस की झूठी बर्बरता की कहानी गढ़ी.

हरदीप सिंह निज्जऱ हरदीप सिंह निज्जऱ
Ritu Tomar
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

18 जून 2023... खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि हत्या के तीन महीने बाद इस मामले की गूंज एक बार फिर सरहदों को पार कर दुनियाभर में सुर्खियां बटोरेगी. सोमवार को जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो संसद पहुंचे तो उन्होंने भारत को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिससे दोनों देशों के बीच तल्खी चरम पर पहुंच गई. 

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ट्रूडो ने कनाडाई संसद से भारत पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया. यह पहला मौका है जब किसी देश ने भारत पर इस तरह के संगीन आरोप लगाए हैं. आरोप भी कोई छोटा-मोटा नहीं बल्कि हत्या में शामिल होने का. 

ट्रूडो ने संसद के भीतर से जो कुछ भी कहा, उसे एक बार रुककर समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कनाडा के नागरिक की उसी की सरजमीं पर हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है. उन्होंने निज्जर को कनाडाई नागरिक बताया. लेकिन निज्जर को कनाडा की नागरिकता कब और कैसे मिली?  इसकी इनसाइड स्टोरी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. 

रवि शर्मा बनकर कनाडा में दाखिल हुआ था निज्जर

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साल 1997 में पंजाब के एक छोटे से गांव का निज्जर कनाडा पहुंचा. टोरंटो पीयरसन एयरपोर्ट पर उतरते ही निज्जर को इमिग्रेशन अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. रवि शर्मा नाम की फर्जी पहचान के जरिए वह कनाडा की सरहद में दाखिल हुआ था. जेल की सलाखों से बचने के लिए निज्जर ने पंजाब पुलिस की झूठी बर्बरता की कहानी गढ़ी.

यह वह समय था जब कनाडा और यूरोपीय देशों में बड़ी संख्या में प्रवासियों ने बसना शुरू कर दिया था. ऐसे में निज्जर ने खालिस्तानी आतंकियों से गठजोड़ की वजह से भारत में उत्पीड़न का राग अलापना शुरू किया. इमिग्रेशन रिकॉर्ड्स के मुताबिक, निज्जर ने कनाडा में राजनीतिक शरण के लिए हलफनामा दायर किया. इस हलफनामे में उसने पंजाब में अशांति के बीच पुलिस की बर्बरता और परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी का हवाला दिया था.

एक चिट्ठी से खुली थी झूठ की पोल

निज्जर लगातार इमिग्रेशन अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक रहा था. भारत में पुलिस की बर्बरता की अपनी बात को साबित करने के लिए उसने एक भारतीय डॉक्टर की मदद ली. लेकिन इसी डॉक्टर की एक चिट्ठी से निज्जर के झूठ की पोल खुली. ग्लोबल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अंग्रेजी में लिखी इस चिट्ठी में स्पेलिंग्स की बहुत गलतियां थीं. जैसे Intesticals की स्पेलिंग गलत लिखी हुई थी. एक चिट्ठी में इतनी सारी गलतियों को देखकर इमिग्रेशन अधिकारियों का शक गहरा होता चला गया. बाद में निज्जर की राजनीतिक शरण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया.

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एक फॉर्म बना जी का जंजाल

कनाडा की नागरिकता हासिल करने के लिए जब निज्जर ने एप्लिकेशन फॉर्म भरना शुरू किया. तो वह फॉर्म में पूछे गए एक सवाल के जाल में फंस गया. पूछा गया था कि क्या वह ऐसे किसी ग्रुप का हिस्सा रहा है, जिसने राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य पूरा करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया है या उसकी वकालत की है. इसके जवाब में निज्जर ने स्पष्ट शब्दों में ना लिखा. 

कनाडाई नागरिकता के लिए चला आखिरी दांव

कनाडा की नागरिकता के लिए निज्जर की तरकीबें एक के बाद एक ध्वस्त होती जा रही थीं. ऐसे में निज्जर ने आनन फानन में ब्रिटिश मूल की कनाडाई महिला से शादी कर ली. इस शादी का मकसद रेजिडेंट परमिट हासिल करना था. उन्होंने शादी की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए शादी का निमंत्रण पत्र, शादी की तस्वीरें और एक दूसरे से गले मिलती तस्वीरें पेश की. 

खुला पत्नी का राज....

इस दौरान एक अजीब वाकया हुआ. निज्जर की शादी को कानूनी दर्जा देने के लिए जब सरकारी दस्तावेज खंगाले गए तो पता चला कि निज्जर जिस महिला से शादी करने का दावा कर रहा है. उस महिला ने एक साल पहले भी एक विदेशी शख्स को कनाडा की नागरिकता दिलाने के लिए उससे शादी की थी. ऐसे में 'मैरिज विद बेनेफिट' की मोहर लगाकर निज्जर की रुखसती की गई. 

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लेकिन इसके कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है कि आखिर निज्जर को कनाडा की नागरिकता कब दी गई. लेकिन कई रिपोर्ट्स में यह जरूर कहा गया है कि इमिग्रेशन विभाग और रेजडेंट परमिट एडमिनिस्ट्रेशन से एप्लिकेशन खारिज होने के बाद वह कई सालों तक अदालतों में अपील करता रहा. वह याचिका खारिज करने के इमिग्रेशन अधिकारियों के फैसले के खिलाफ अदालतों का रुख कर रहा था, जिसमें उसे आखिरकार जीत मिली.

ट्रूडो ने संसद में क्या कहा था?

आज मैं सदन को एक बेहद गंभीर मामले से वाकिफ कराना चाहता हूं. मैंने प्रत्यक्ष तौर पर विपक्ष के नेताओं को सूचित किया है लेकिन मैं अब सभी कनाडाई नागरिकों को यह बताना चाहता हूं. 

बीते कुछ हफ्तों से कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर और भारत सरकार के संभावित कनेक्शन के विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय तौर पर जांच कर रही है. कनाडा कानून का पालन करने वाला देश है. हमारे नागरिकों की सुरक्षा और हमारी संप्रभुता की रक्षा मौलिक है. 

हमारी शीर्ष प्राथमिकता यह रही है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां और कानून प्रवर्तन एजेंसियां सभी कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. इस हत्या के दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. कनाडा ने भारत सरकार के शीर्ष अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया है. पिछले हफ्ते मैंने जी20 में व्यक्तिगत तौर पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष यह मुद्दा उठाया था. किसी भी कनाडाई नागरिक की हमारी ही सरजमीं पर हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है. 

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हम इस बेहद गंभीर मामले पर हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. मैं हर संभावित कड़े शब्दों में भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले की तह तक जाने के लिए वह कनाडा के साथ सहयोग करें. 

मैं जानता हूं कि कई कनाडाई नागरिक विशेष रूप से भारतीय मूल के कनाडाई समुदाय के लोग गुस्से में हैं और शायद फिलहाल डरे हुए हैं. इस तरह की घटनाओं से हमें बदलने को मजबूर मत कीजिए. हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों और कानून का पालन करने की हमारी प्रतिबद्धता को लेकर हमें शांत और दृढ़ रहने दीजिए. यही हमारी पहचान है और कनाडाई होने के नाते हम यही करते हैं.

निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. वह बीते कई सालों से कनाडा में रह रहा था और वहां से भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकवाद को हवा दे रहा था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, निज्जर भारतीय जांच एजेंसियों के लिए पिछले एक साल में इसलिए और भी ज्यादा बड़ा सिरदर्द बन गया था क्योंकि उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गों को विदेशों में लॉजिस्टिक और पैसा मुहैया करवाना शुरू कर दिया था.

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