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भारत-कनाडा के बीच ताजा तनाव पर क्या कह रहा है कनाडा का विपक्ष?

कनाडा के प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया में कंजर्वेटिव पार्टी के MLA जॉन रुस्ताद ने कहा, "हमारे देश में विदेशी एजेंट, खास तौर पर भारत से एजेंट्स के सक्रिय होने की खबरें चिंताजनक हैं और इनसे पूरी कानूनी ताकत से निपटना चाहिए. सिख समुदाय, हर दूसरे समूह की तरह, विदेशी सरकारों द्वारा डराने-धमकाने या उत्पीड़न के डर के बिना सुरक्षित रहने का हकदार है."

भारत-कनाडा विवाद (फाइल फोटो) भारत-कनाडा विवाद (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST

कनाडा (Canada) ने भारत के साथ एक 'डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन' साझा किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य भारतीय राजनयिक जून 2023 में खालिस्तान समर्थक एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल थे. इसके बाद भारत ने कनाडा के 'डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन' को सिरे से खारिज करते हुए कड़ा जवाब दिया. 

भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है और कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने का भी फैसला किया. भारत सरकार ने इन्हें 19 अक्टूबर की रात 12 बजे तक भारत छोड़ने को कहा है.

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विदेशी हस्तक्षेप की जांच करने की मांग

अब कनाडा की विपक्षी पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी के MLA, जॉन रुस्ताद (John Rustad) ने  सिख समुदाय और अन्य कनाडाई लोगों को निशाना बनाने वाले विदेशी हस्तक्षेप की जांच की मांग की है. उनका कहना है कि भारत के एजेंट ब्रिटिश कोलंबिया और पूरे कनाडा में लक्षित आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं. रुस्ताद ने इस बात पर जोर दिया कि सभी कनाडाई लोगों, खासकर सिख समुदाय की सुरक्षा को विदेशी राज्य की उन कार्रवाइयों से बचाया जाना चाहिए, जो उनकी सुरक्षा और अपने राजनीतिक विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने के अधिकार को खतरे में डालती हैं.

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रुस्ताद ने कहा, "हमारे देश में विदेशी एजेंट, खास तौर पर भारत से एजेंट्स के सक्रिय होने की खबरें चिंताजनक हैं और इनसे पूरी कानूनी ताकत से निपटना चाहिए. ब्रिटिश कोलंबिया में सिख समुदाय, हर दूसरे समूह की तरह, विदेशी सरकारों द्वारा डराने-धमकाने या उत्पीड़न के डर के बिना सुरक्षित रहने का हकदार है. यह कनाडा की संप्रभुता का उल्लंघन है और हर नागरिक के अधिकारों और आजादी के लिए खतरा है."

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सिख समुदाय की सुरक्षा

रुस्ताद ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिटिश कोलंबिया में सिख समुदाय इन डराने-धमकाने वाली रणनीतियों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहा है और यह अहम है कि सरकार उन्हें और अन्य कनाडाई लोगों की सुरक्षा के लिए त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करे.

रुस्ताद ने कहा, "किसी को भी और विशेष रूप से ब्रिटिश कोलंबिया के सिख समुदाय को अपने डेली लाइफ में विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चिंता करने या राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने या उन वजहों की वकालत करने के लिए परेशान नहीं होना चाहिए, जिनकी उन्हें परवाह है. इसे तुरंत रोका जाना चाहिए."

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भारतीय हस्तक्षेप की पूरी जांच

जॉन रुस्ताद विदेशी हस्तक्षेप, विशेष रूप से भारतीय एजेंटों की कार्रवाइयों की पूरी और पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कनाडा का हर नागरिक चाहे उनकी राजनीतिक मान्यताएं या सांस्कृतिक बैकग्राउंड कुछ भी हों, उन्हें कनाडा में काम करने वाली विदेशी सरकारों द्वारा असहमति को दबाने या आपराधिक कृत्य करने के खतरे से मुक्त होना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि हम भारत सहित किसी भी विदेशी शक्ति को कनाडा में दंड से मुक्त होकर काम करने की छूट नहीं दे सकते. यह केवल एक समुदाय के बारे में नहीं है, यह कनाडा के सभी लोगों को विदेशी धमकी से बचाने और यह तय करने के बारे में है कि हमारे कानून और मूल्य बरकरार रहें."

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जॉन रुस्ताद  ने कहा, "यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह सुरक्षा और न्याय का मामला है. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सिख-कनाडाई समुदाय और हर कनाडाई को विदेशी धमकी से बचाया जाए और विदेशी एजेंट्स को हमारी धरती पर किसी भी आपराधिक गतिविधि के लिए तुरंत जवाबदेह ठहराया जाए. चाहे आप किसी भी धर्म को मानते हों, आपको ब्रिटिश कोलंबिया में सुरक्षित रहना चाहिए.

'संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए...'

जॉन रुस्ताद  ने कनाडा के सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि ब्रिटिश कोलंबिया और देश के बाकी हिस्से विदेशी प्रभाव और धमकी से मुक्त रहें.

उन्होंने कहा कि कनाडा एक ऐसी जगह बना रहना चाहिए, जहां लोग विदेशी प्रतिशोध के डर के बिना अपनी मान्यताओं को व्यक्त करने के लिए आजाद हों. हम विदेशी सरकारों द्वारा हमारे नागरिकों की सुरक्षा और संप्रभुता को कमजोर करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

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प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने क्या कहा?

कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने के भारत सरकार के फैसले पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रतिक्रिया दी है. पीएम ट्रूडो ने कहा, "कनाडा का प्रधानमंत्री होने के नाते मेरे देश के नागरिकों की सुरक्षा मेरे लिए सर्वोपरि है. हम अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे." 

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बता दें कि ट्रूडो ने कनाडा में पनप रहे खालिस्तानी टेरर, उनकी एंटी इंडिया गतिविधियों पर कोई बयान नहीं दिया.

पीएम ट्रूडो ने ओटावा में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि जैसा कि रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कमिश्नर ने पहले कहा था कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जो जनसुरक्षा के लिए खतरा हैं. इनमें खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की तकनीक, दक्षिण एशियाई कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाना और हत्या सहित धमकाने और हिंसक कृत्यों के दर्जनभर से ज्यादा मामलों में संलिप्तता शामिल है.
 

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