
खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर भारत और कनाडा के बीच बढ़ रही दूरियों के बीच नई दिल्ली में आयोजित हुई जी-20 बैठक में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो शामिल तो हुए, लेकिन कहीं न कहीं उनका रूखा व्यवहार रहा. भारत में ट्रूडो तीन दिनों तक रहे, लेकिन एक भी दिन उनकी भारत सरकार से किसी भी अन्य मुद्दे पर बात नहीं हुई. अब उन्हें अपने घर यानी कनाडा में ही आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. कनाडा के सस्केचेवान प्रांत की सरकार के प्रीमियर (प्रमुख) स्कॉट मो ने ट्रूडो पर भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाया है.
दरअसल, स्कॉट मो ने सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी शेयर की है. यह चिट्ठी उनकी सरकार के व्यापार मंत्री जेरेमी हैरिसन ने कनाडा की केंद्रीय सरकार के व्यापार मंत्री को लिखी थी. इस चिट्ठी में जेरेमी हैरिसन ने कहा कि किस तरह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत और कनाडा के बीच का व्यापार खराब कर रहे हैं.
स्कॉट मो ने चिट्ठी शेयर करते हुए लिखा कि, ''क्या ट्रूडो यह समझ भी रहे हैं कि वे भारत और कनाडा के व्यापारिक रिश्तों को कितना नुकसान पहुंचा रहे है. जबकि दोनों देश एक दूसरे के बेहद अहम व्यापार सहयोगी हैं.''
नुकसान कर रहे हैं ट्रूडो
चिट्ठी में सस्केचेवान के व्यापार मंत्री जेरेमी हैरिसन ने तर्क दिया है कि ट्रूडो घरेलू राजनीति फायदा के लिए भारत से संबंध कम कर हे हैं. उनके इस रवैये की वजह से प्रांत के सबसे अहम निर्यात बाजारों को नुकसान पहुंच रहा है.
सीबीसी कनाडा के मुताबिक, हैरिसन ने लिखा कि, 'ट्रूडो सरकार ने एक बार फिर अपने घरेलू राजनीतिक हितों को राष्ट्रीय आर्थिक हित से आगे रखा है, खासकर उस समय जब यह पश्चिमी कनाडा में बनी चीजों के निर्यात और कारोबार से संबंधित हैं.'
हैरिसन ने पत्र में यह भी कहा कि भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार ने हाल ही में अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट (EPTA) को लेकर चौंकाने वाली बात कही थी. हैरिसन ने पत्र में बताया कि उच्चायुक्त संजय कुमार ने कनेडियन प्रेस को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि कनाडा सरकार ने इस एग्रीमेंट के लिए चल रही बातचीत को पिछले महीने ही रोकने की मांग की थी.
हैरिसन ने पत्र में आगे कहा कि इस खबर से देश के नेता भी हैरान हैं. उन्होंने आगे कहा कि, उनके साथियों के पास भी जुलाई के बाद से ही इस समझौते पर बातचीत का कोई अपडेट नहीं है.
आपको बता दें कि कनाडा और भारत के बीच अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट (EPTA) पर बातचीत पिछले काफी समय से चल रही थी. इस एग्रीमेंट के जरिए दोनों देशों का कारोबार बढ़ाने का लक्ष्य बनाया जा रहा था. हालांकि, अभी बातचीत बंद है और कुछ अपडेट भी दोनों देशों की सरकारों की ओर से नहीं दिया जा रहा है.
साल 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे की भी आलोचना
हैरिसन ने पत्र में जस्टिन ट्रूडो के साल 2018 के भारत दौरे से जुड़े विवाद के आधार पर लिखा कि, ''यह साफ है कि जो आपकी सरकार ने किया था, उस वजह से पहले ही भारत और कनाडा के रिश्तों पर दाग लग चुका था.
दरअसल, साल 2018 में जब भारत यात्रा पर थे तो उनके लिए आयोजित एक डिनर प्रोग्राम में खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को आमंत्रण भेजा गया था. पार्टी की एक तस्वीर भी वायरल हो गई थी, जिसपर काफी विवाद भी हुआ था. बाद में कनाडाई उच्चायुक्त ने सफाई भी पेश की थी
निर्यात में एक तिहाई हिस्सेदार है सस्केचेवान प्रांत
कनाडा से भारत निर्यात होने वाली चीजों में सस्केचेवान प्रांत की हिस्सेदारी एक तिहाई है. जिसका आर्थिक आंकड़ा करीब एक अरब डॉलर से ज्यादा है. ऐसे में वहां की सरकार हमेशा भारत से अच्छे रिश्तों की उम्मीद रखती, लेकिन इसके उलट कनाडा की केंद्रीय सरकार व्यवहार भारत के लिए पहले से कम मीठा हो गया है.
पिछले साल कुछ ऐसा रहा था कारोबार
मालूम हो कि भारत और कनाडा एक दूसरे के साथ बड़े स्तर पर व्यापार करता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-फरवरी में भारत ने कनाडा को 3.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जबकि इस अवधि में भारत ने कनाडा से 3.7 अरब डॉलर का आयात किया था.
दोनों देशों के बीच यह व्यापार वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले 20 परसेंट ज्यादा है और 7 अरब डॉलर से बढ़कर 8.16 अरब डॉलर पहुंच गया है. अगर दोनों देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट आगे बढ़ता है तो इस कारोबार के और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है.
खालिस्तानी मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच बढ़ रही दूरियां
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में कभी ज्यादा खटास तो नहीं रही लेकिन खालिस्तानी मुद्दे ने भारत को हमेशा सतर्क रखा. ट्रूडो के कार्यकाल में कई खालिस्तानी आतंकियों ने भारतीय मूल के लोगों पर हमला भी किया, जिस वजह से भारत की ओर से आलोचना भी लगातार की गई. धीरे-धीरे ट्रूडो का खालिस्तानी प्रेम बढ़ता जा रहा है, जिससे भारत और उसके संबंधों में दूरियां भी बढ़ती जा रही हैं.