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दोपहर में 26 मिनट की नींद लें तो बन सकते हैं बेस्ट एम्प्लॉयी, क्या है 'कैटनैप', जिसमें कंपनियां लोगों को झपकी लेने के लिए कह रही हैं?

दफ्तरों में लंच ब्रेक तो होता था, लेकिन जल्द ही झपकी ब्रेक भी मिल सकता है. कई देशों में इसका ट्रेंड बढ़ा है. कुछ वक्त पहले इसमें भारत भी शामिल हो चुका. गद्दे बनाने वाली कंपनी वेकफिट सॉल्यूशन्स ने अपने एम्प्लॉयीज के लिए बाकायदा दोपहर 2 से ढाई बजे तक का समय तय किया, जिसमें वे झपकी ले सकते हैं. ये कैटनैप है.

दफ्तर में झपकी लेना फायदेमंद हो सकता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) दफ्तर में झपकी लेना फायदेमंद हो सकता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

ऑफिस में काम करते हुए अगर किसी की आंख लग जाए तो उसका मजाक तो बनता ही है, नौकरी जाने का भी डर रहता है. लेकिन अब बहुत सी कंपनियां खुद ही कर्मचारियों को छोटी-सी नींद लेने को कह रही हैं. कोई इसके लिए टाइम तय कर रहा है तो कोई ऐसे स्पेस बनाकर दे रहा है, जहां जाकर लोग एक झपकी लेकर लौट सकें. इससे काम का नुकसान नहीं होगा, बल्कि प्रोडक्टिविटी बढ़ जाएगी, ये बात खुद नासा कहता है. 

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क्या कहती है NASA की स्टडी

दिसंबर 2019 में नासा की एक स्टडी आई, जो कहती है कि नैप यानी कुछ मिनटों से लेकर 45 मिनट तक की नींद लेने के बड़े फायदे हैं, खासकर अगर नींद दोपहर में ली जाए. स्पेस एजेंसी ने पायलेट्स पर प्रयोग के दौरान पाया कि अगर वे उड़ान भरने से कुछ पहले लगभग 25 मिनट की झपकी ले लेते हैं तो फ्लाइंग के दौरान वे काफी चौकन्ने रहते हैं और काम में भी लगभग 34 प्रतिशत तक बेहतरी दिखती है.

नासा के मुताबिक, 10 मिनट से लगभग आधे घंटे तक का नैप काफी है. इससे लंबा सो लेने पर इंसान थोड़ी देर तक सुस्त पड़ा रहता है, और कम अलर्ट रहता है. इससे काम का नुकसान हो सकता है. इसी छोटी-सी झपकी लेने को कैटनैप कहा जा रहा है. 

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झपकी लेने से उत्पादकता बढ़ने पर कई अध्ययन हो चुके. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

कहां से आया होगा कैटनैप शब्द!

कैटनैप शब्द का इतिहास क्या है, ये किसी को नहीं पता. हो सकता है कि ये बिल्लियों से प्रेरित हो. बिल्ली दिनभर छोटी-छोटी झपकियां लेती रहती है और उतनी ही चौकन्नी रहती है. इस शब्द के पीछे एक और तर्क भी है. पुराने समय में जहाज चलाने वाले या फिर जहाज पर काम करने वाले अपनी कमर पर कोड़े की तरह की एक पट्टी बांधे रहते. चमड़े और मेटल से बना ये पट्टा लगातार चुभते हुए लोगों को अलर्ट बनाए रखता था. जहाज पर कोई हादसा न हो, इसके लिए इस्तेमाल होते इस कोड़े को कैट-ओ-नाइन टेल्स कहा जाता था, जिसे अलर्ट रहने से जोड़ा गया. 

जापान झपकियां लेने में सबसे आगे

अब दुनियाभर की कंपनियां कैटनैप के फायदों पर बात कर रही हैं, लेकिन जापान इसमें सबसे आगे है. वहां पर इसके लिए जापानी टर्म है- इनेमुरी, यानी काम के बीच सोना. जापान के किसी भी ऑफिस में जाएं, दोपहर में वहां डेस्क पर सोते हुए लोग दिख जाएंगे. लोग शॉपिंग सेंटर, डिपार्टमेंटल स्टोर, कैफे, होटल, रेस्टोरेंट और मैट्रो में भी सोते हुए दिखेंगे. झपकियां लेते लोग वहां आलसी या कमजोर नहीं, बल्कि मेहनती माने जाते हैं. 

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दफ्तर में कर्मचारियों को छोटी नींद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

डेस्क पर क्यों, नैप बॉक्स में सोइए

वहां 6 फुट से कुछ ज्यादा ऊंचाई का एक वयस्क आदमी समा सके, ऐसे बॉक्स तैयार हो रहे हैं. इन्हें नैप या फ्लेमिंगो बॉक्स भी कहा जा रहा है. लंबे समय तक काम के बाद थके हुए कर्मचारी अपने साइज के डिब्बे में जाकर 10-15 मिनट सो सकेंगे. नैप बॉक्स लकड़ी का होगा, जो ऐसा होगा कि कर्मचारी अपने हाथ टिकाकर ज्यादा रिलैक्स हो सकें. इस बात का भी ध्यान रखा गया कि सोते हुए कर्मचारी का सिर बॉक्स से टकराकर जख्मी न हो जाए.

विवाद भी है कैटनैप पर

वैसे झपकी लेने के कई फायदे गिनाए तो जा रहे हैं लेकिन ये यूनिवर्सल प्रैक्टिस नहीं. ज्यादातर जगहों पर अगर आप ऑफिस में ऊंघते दिखें तो आपके प्रोफेशनल होने पर ही सवाल उठ खड़े होंगे. कैटनैप को लेकर कर्मचारी भी कम डरे हुए नहीं होते. वे मानते हैं कि अगर काम के बीच उन्हें आधे घंटे झपकी मारने के लिए दिए जाएंगे, तो बाद में लंबे घंटों तक काम करवाया जाएगा. वहीं ट्रेडिशनल कंपनियां मानती हैं कि काम करने वाले लोग इसका फायदा उठाकर दूसरे काम करने लगेंगे, जैसे आपस में गप्पें मारना, या लैपटॉप पर गैरजरूरी चीजें करना. इससे ऑफिस का समय और बिजली दोनों खर्च होंगे.

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