Advertisement

Chandrayaan2: लैंडर विक्रम से टूटा संपर्क तो पाकिस्तान के मंत्री ने खोया आपा, हुए ट्रोल

पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री फवाद को साइंस का ककहरा भले ही पता नहीं, लेकिन चले आए दुनिया के सबसे कठिन मिशन चंद्रयान-2 पर टिप्पणी करने. उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि जो काम नहीं आता, पंगा नहीं लेते ना..डियर एंडिया.

पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी (फाइल फोटो) पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • इस्लामाबाद,
  • 07 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

  • विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी ने इंडिया को लिखा एंडिया
  • कहा, पीएम मोदी ऐसे भाषण दे रहे जैसे राजनेता नहीं अंतरिक्ष यात्री हों
  • फवाद ने किए एक के बाद एक कई ट्वीट, सोशल मीडिया पर हुए ट्रोल

कहते हैं ''गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले!'' पाकिस्तान पर ये शेर बिल्कुल सटीक बैठता है. पाकिस्तान के झंडे में भले ही चांद का टुकड़ा दिखता हो लेकिन उसके बस की बात नहीं कि वह चांद पर जाने की कभी सोचे भी. हालांकि इसरो के चंद्रयान-2 मिशन का संपर्क विक्रम लैंडर से टूटा तो इमरान के बड़बोले मंत्री आपा खो बैठे.

Advertisement

चंद्रयान-2 से संपर्क इसरो का टूटा और बेचैनी पड़ोसी मुल्क को होने लगी. जुबान फवाद चौधरी की लड़खड़ाने लगी. पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री फवाद को साइंस का ककहरा भले ही पता नहीं, लेकिन चले आए दुनिया के सबसे कठिन मिशन चंद्रयान-2 पर टिप्पणी करने. उन्होंने ट्वीट करके लिखा, "जो काम नहीं आता, पंगा नहीं लेते ना..डियर एंडिया."

जनाब इतनी हड़बड़ी में थे कि इंडिया को एंडिया लिख डाला. फिर क्या था सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के इस मंत्री की खूब लानत-मलानत होने लगी. लेकिन इनकी बेशर्मी यहीं नहीं रुकी.

पीएम मोदी जिस वक्त इसरो के चेयरमैन पी सिवन और उनकी टीम की हौसला-अफजाई कर रहे थे, उसी वक्त पाकिस्तान के इस मंत्री ने एक और ट्वीट कर लिखा कि मोदीजी सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर ऐसे भाषण दे रहे हैं जैसे कि वह राजनेता की बजाय अंतरिक्ष यात्री हों.

Advertisement

भारत से पहले शुरू हुआ था पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम

सन 1961 में पाकिस्तान ने अपना पाकिस्तान स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमिशन बनाया, जबकि भारत ने बनाया 8 साल बाद 1969 में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो.

पाकिस्तान ने अपना पहला सेटेलाइट 1990 में छोड़ा और वह भी दूसरे देश की मदद से, लेकिन भारत ने तो इसरो बनाया और छह साल के अंदर ही 1975 में अपना पहला सेटलाइट आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेज दिया.

जहां हिंदुस्तान ने हमेशा ही वैज्ञानिकों को सम्मान और तरजीह दी और इसरो का प्रमुख कोई महान वैज्ञानिक बनता रहा है, वहीं पाकिस्तान अपने स्पेस कमिशन का मुखिया सेना के अधिकारियों को बनाता रहा है.

अब जिस देश का अंतरिक्ष विज्ञान भी आतंकवादियों से भरी फौज का मोहताज हो, उसका तो खुदा भी कुछ नहीं कर सकते. इसरो ने अंतरिक्ष का परिचय भारत को करवा दिया. लेकिन पाकिस्तान है कि आतंकवाद से अपना परिचय छोड़ने को तैयार नहीं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement