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भारत से तनातनी के बीच बांग्लादेश के लिए चीन ने किया बड़ा फैसला

चीन ने बांग्लादेश को लोन चुकाने के लिए बड़ी राहत दी है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने बांग्लादेश को दिए कर्ज को चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया है. चीन दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान यह अनुरोध किया था, जिसे चीन ने स्वीकार कर लिया है.

फोटो- बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस फोटो- बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

शेख हसीना के प्रत्यर्पण के मामले में भारत से विवाद के बीच बांग्लादेश की करीबी चीन के साथ बढ़ती जा रही है. सोमवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन चीन के दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान चीन की शी जिनपिंग सरकार की ओर से बांग्लादेश की मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार को बड़ी राहत पहुंचाने वाला एक फैसला लिया गया है.

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चीनी सरकार के फैसले के अनुसार, बांग्लादेश को दिये हुए कर्ज को चुकाने की अवधि को बढ़ा दी गई है. चीन की शी जिनपिंग सरकार की ओर से बांग्लादेश को लोन चुकाने के लिए 20 साल की जगह 30 साल की मोहलत दी गई है. वहीं चीन सरकार की ओर से कर्ज की ब्याज दर को कम करने की कोशिश का वादा भी किया गया है.

इसके साथ ही इस मुलाकात में दोनों देशों की ओर से चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) योजना के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस बाबत आधिकारिक बयान भी जारी किया है.

बयान में कहा है कि, 'तौहीद हुसैन ने चीन से कर्ज की ब्याज दर को 2-3 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने, कमिटमेंट फी माफ और लोन चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 करने का अनुरोध किया था. कर्ज चुकाने में हमारा पिछला अच्छा रिकार्ड देखते हुए चीन ने अवधि को बढ़ाने का अनुरोध स्वीकार कर लिया और ब्याज दर को घटाने की कोशिश करने का भी वादा किया है.'

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तौहीद हुसैन से मिलकर चीनी विदेश मंत्री ने कही ये बात

बांग्लादेश के विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि वह बांग्लादेश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपना समर्थन जारी रखना चाहते हैं. 

चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि, चीन हमेशा बांग्लादेश की राष्ट्रीय स्वतंत्रता, संप्रभुता और राष्ट्रीय गरिमा को बनाए रखने में अपना समर्थन जारी रखेगा. इसके साथ ही विकास करने के लिए एक ऐसा रास्ता खोजेगा जो अभी के हालात के हिसाब से बांग्लादेश के हित में हो.  

चीनी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, चीनी सरकार पारंपरिक दोस्ती को जारी रखने, रणनीतिक संवाद को मजबूत करने, व्यावहारिक सहयोग को गहरा करने और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) योजना समेत कई विकास परियोजनाओं को संयुक्त रूप से पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करना चाहती है. 

बांग्लादेश के सिर पर है चीन का भारी कर्ज

मालूम हो कि बांग्लादेश ने विकास परियोजनाओं के लिए चीन से पीबीसी और जीसीएल एग्रीमेंट के तहत कर्ज लिया है. अभी तक कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, बांग्लादेश के पास इसे चुकाने के लिए 20 साल का समय था और 5 साल का ग्रेस पीरियड भी था.

बांग्लादेश को चीन ने जो लोन जीसीएल एग्रीमेंट के तहत दिया है, उसकी ब्याज दर 2 फीसदी है और जो कर्ज पीबीसी एग्रीमेंट के तहत दिया है, उसकी ब्याज दर 3 प्रतिशत है.

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इकोनॉमिक रिलेशंस डिविजन (ईआरडी) के अनुसार, बांग्लादेश के सिर पर चीन का 5.57 खरब डॉलर का भारी कर्ज है. यह बांग्लादेश के ऊपर कुल कर्ज का 9 फीसदी है. इसके साथ ही चीन चौथा ऐसा देश भी है जिसने अभी तक बांग्लादेश को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है.

शेख हसीना को लेकर भारत- बांग्लादेश के रिश्तों में खटास

जहां एक तरफ पड़ोसी देश चीन से बांग्लादेश की मोहम्मद युनूस सरकार की करीबियां बढ़ रही हैं तो वहीं भारत से रिश्तों में धीरे-धीरे खटास पैदा हो रही है. खासतौर पर यह खटास पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर है.

दरअसल, पिछले साल अगस्त में शेख हसीना एक विद्रोह के चलते वहां से भारत आ गई थीं. उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. शेख हसीना के वहां से भागकर भारत आने पर बांग्लादेश ने कड़ी आपत्ति जताई थी. 

इसके बाद से ही बांग्लादेश की ओर से लगातार शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की जा रही है. हालांकि, भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से अभी तक बांग्लादेश की इस मांग का कोई जवाब नहीं दिया है. दूसरी ओर, शेख हसीना की वीजा अवधि को भी बढ़ा दिया गया है जिस कारण वह कुछ समय और भी भारत में रह सकती हैं.

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