
चीन ने बीते कुछ दिनों ही सेना में शीर्ष पदों बड़े पैमाने पर फेरबदल करने के साथ-साथ अपने सैन्य अफसरों के खिलाफ एक्शन भी लिया है. जिनपिंग ने इस कार्रवाई के तहत 9 शीर्ष जनरलों को बर्खास्त तक कर दिया है. इनमें 3 रॉकेट फोर्स के कमांडर हैं. रॉकेट फोर्स चीन में न्यूक्लियर मिसाइलों की निगरानी करती है. चीन ने यह कदम क्यों उठाया इसकी वजह सामने नहीं आई है, लेकिन विश्लेषक इसे भ्रष्टाचार से जोड़कर देख रहे हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि चीनी जनरलों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) कमजोर कर दिया है. विश्लेषक मानते हैं कि चीनी सेना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो गया है ऐसे में भू-राजनीतिक तनाव के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सैन्य आधुनिकीकरण अभियान को झटका लग सकता है. चीन के शीर्ष सांसदों ने शुक्रवार को राष्ट्रीय विधायी निकाय के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की. सरकारी मीडिया ने बताया कि देश की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) से बर्खास्त अधिकारियों में PLA के रॉकेट फोर्स के तीन शीर्ष कमांडर भी शामिल हैं जो देश के परमाणु हथियारों के घटक मिसाइल सेक्शन का कामकाज देखते थे.
जिनपिंग के प्लान को झटका
यह कदम शी के लिए एक झटका है, जिन्होंने 2050 तक "विश्व स्तरीय" सेना बनाने के अपने आधुनिकीकरण प्रयासों के तहत उपकरण खरीदने और विकसित करने में अरबों डॉलर खर्च किए हैं. बीते कुछ सालों से बीजिंग का भारी भरकम रक्षा बजट इसकी अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी तेज गति से बढ़ा है. हालांकि, जनरलों और सैन्य उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की वजह से सेना कुछ हद तक कमजोर हुई है. विश्लेषकों ने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि क्या बड़े पैमाने पर किए गए सैन्य निवेशों पर सही तरीके से निगरानी नहीं की गई ? वह भी ऐसे समय में जब दक्षिण चीन सागर और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में ताइवान और अमेरिका उसके सामने खड़े हैं.
शी ने अब कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार को लेकर एक्शन उठाने शुरू कर दिए हैं, शी का मेन फोकस सेना यानि पीएलए हैं. जिन पीएलए के जनरलों पर एक्शन लिया गया है उनमें से नौ जनरल कई सैन्य डिवीजनों में तैनात थे. तीन पीएलए अधिकारी रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडर या वाइस कमांडर थे; एक पूर्व वायु सेना प्रमुख और एक दक्षिण चीन सागर की जिम्मेदारी निभा रहा नौसेना कमांडर था. चार अधिकारी ऐसे थे जो उपकरणों की खरीद के लिए जिम्मेदार थे. यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट फॉर पीस में चीन के प्रतिष्ठित फेलो एंड्रयू स्कोबेल ने कहा, "यह एक स्पष्ट संकेत है कि चीन की सेना में सफाई का काम जारी है."
अभी और लोगों का भी आएगा नंबर
बीजिंग ने यह नहीं बताया कि जनरलों को क्यों हटाया गया. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि उनके खिलाफ जो सबूत मिले हैं वो पीएलए रॉकेट फोर्स द्वारा उपकरण खरीद में हुए भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं. सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू कहते हैं, "अभी और लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. रॉकेट फोर्स के आसपास केंद्रित कार्रवाही अभी खत्म नहीं हुई है.'
पूर्व रक्षा मंत्री तक गायब
पूर्व रक्षा मंत्री वेई फेंघे, जो रॉकेट फोर्स के प्रमुख थे वो भी लापता हैं. उनके ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर, रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने अगस्त में कहा था कि सेना भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करती है. उनके उत्तराधिकारी ली शांगफू को कई महीनों तक गायब रहने के बाद अक्टूबर में बिना किसी स्पष्टीकरण के अचानक रक्षा मंत्री पद से हटा दिया गया था. वह पहले उपकरण विभाग के प्रमुख थे. उनके तत्कालीन डिप्टी में से एक को शुक्रवार को संसद से हटा दिया गया था. उसी दिन, दक्षिण चीन सागर पृष्ठभूमि वाले पूर्व चीनी नौसेना प्रमुख डोंग जून को रक्षा मंत्री के रूप में ली के स्थान पर नामित किया गया था.
जारी रहेगा जिनपिंग का एक्शन!
विश्लेषकों का कहना है कि यह सर्वविदित है कि चीनी सेना लंबे समय से भ्रष्टाचार के लिए जानी जाती है, हालिया कार्रवाई और पीएलए के रॉकेट फोर्स की भागीदारी चौंकाने वाली है. विश्लेषकों का कहना है कि जब तक जिनपिंग अपने घर को व्यवस्थित करने में कामयाब नहीं हो जाते तब तक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के निष्कासन से रॉकेट फोर्स अस्थायी रूप से कमजोर हो सकती है.
वाशिंगटन डी.सी. स्थित थिंकटैंक, स्टिमसन सेंटर में चीन कार्यक्रम के निदेशक यूं सन ने कहा, 'चीन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के अहम पिलर और ताइवान पर अंतिम उपाय के रूप में किसी पर भरोसा करता है तो वह रणनीतिक परमाणु फोर्स हैं. चीन को भ्रष्टाचार की सफाई करने और रॉकेट फोर्स की क्षमता और विश्वसनीयता में फिर से विश्वास बहाल करने में कुछ समय लगेगा. इसका मतलब है कि फिलहाल, चीन कमजोर स्थिति में है.'
क्या मानते हैं विश्लेषक
विश्लेषक मानते हैं कि लंबे समय तक चीनी सेना में भ्रष्टाचार की पुरानी समस्या बनी रहेगी क्योंकि इसके पीछे कुछ मूल कारण भी हैं जिनमें अधिकारियों का कम वेतन और सैन्य व्यय में अस्पष्टता शामिल हैं, जिस पर सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया है. शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर चेन डाओयिन ने कहते हैं, 'सैन्य अफसरों पर की कई मौजूदा कार्रवाई के बाद जिनपिंग अगले 5-10 वर्षों में अन्य सेनाओं के साथ गंभीर टकराव का जोखिम नहीं उठा सकते हैं.'
चेन, जो अब चिली में स्थित एक राजनीतिक टिप्पणीकार हैं, कहते हैं, 'यह जानने से पहले कि भ्रष्टाचार किस कदर फैला हुआ है, जिनपिंग ने सोचा होगा क्या सेना वास्तव में लड़ाई लड़ सकती है और जीत सकती है, जैसा वो सोचते हैं. जनरलों के खिलाफ उठाए गए एक्शन से अब उन अफसरों में खौफ होगा जो सिर्फ अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं, जिनपिंग जान गए हैं कि पार्टी और सेना के प्रति वफादारी की उनकी घोषणाएं खोखली हैं. मुझे लगता है कि इससे उनका आत्मविश्वास भी कुछ हद तक कम हुआ होगा.'