
भारत की सीमा पर चीन अब तक 500 मॉडल गांव बना चुका है. दरअसल मॉडल गांव की आड़ में चीन बंकर बना रहा है और गांव की आड़ में सीमा तक सड़कें भी बना रहा है. वहीं सिक्किम में भारत चीन और भूटान के ट्राइजंक्शन डोकलाम में हुए फेस ऑफ के बाद भी भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़पें जारी रही थीं. महज 6 महीने पहले तक दोनों सेनाओं के बीच कई बार झड़पें हुई हैं. हालांकि सेना की ओर से इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है.
गलवान की घटना के बाद से ही सिक्किम में दोनों के बीच की झड़पें रुकी हैं. लेकिन भारतीय सेना, चीन के चरित्र को देखते हुए पूरी तरह से तैयार है. डोकलाम फेस ऑफ के बाद से ही चीन ने सिक्किम सीमा के पास तिब्बत में अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है. चीन ने सिक्किम के पास तक 2017 से बड़ी तेजी से चौड़ी सड़कें और पक्की संरचनाओं का निर्माण कर लिया है.
चीन ने सीमाई इलाकों में किया तेजी से काम
भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक भारत चीन में तनाव की शुरुआत सिक्किम के नाकुला से शुरू हुई थी. इसके बाद डोकलाम हुआ और फिर गलवान हुआ. ऐसे में चीन ने सिक्किम और अरुणाचल के सीमाई इलाकों में बड़ी तेजी से काम शुरू कर दिया है. दरअसल डोकलाम में चीनियों के मंसूबे कामयाब नहीं हुए. बाद में गलवान में चीनियों को मुंह की खानी पड़ी. ऐसे में चीन को अपनी हकीकत का अंदाजा बहुत अच्छे से हो गया.
अब चीनियों ने भारत सीमा पर तिब्बती मूल के लोगों को भी तैनात करना शुरू कर दिया है. खासतौर पर इतनी ऊंचाई से लड़ने के लिए तिब्बती मूल के लोग चीनी मूल के लोगों से काफी माहिर हैं. ये बात चीन को अच्छे से समझ आ चुकी है. चीन ने भारत सीमा के पास मॉडल विलेज भी बनाने शुरू कर दिए हैं और काफी संख्या में बना रहे हैं. सिर्फ उत्तर सिक्किम की सीमा पर ही चीन ने 3 मॉडल गांव तैयार कर लिए हैं.
तिब्बती मूल के लोगों को बसाने की योजना
इन मॉडल गांव में तिब्बती मूल के लोगों को बसाने की योजना है. लेकिन इन मॉडल गांव का निर्माण इतनी चालाकी से किया गया है कि इन्हें बंकर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन भारत चीन की इन चालाकियों से पूरी तरह वाकिफ है और भारत ने भी अपनी तैयारी पूरी करके रखी है.
उत्तर सिक्किम में एकमात्र तिब्बती पठार भारतीय सीमा में है. यहां भारतीय बंकर पूरी तरह से तैयार हैं और चीन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है. हर तरह के अत्याधुनिक हथियार यहां भारतीय फौज के पास हैं.
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हालांकि इन ऊंचाइयों पर सिर्फ चीन से मुकाबला नहीं है यहां मौसम भी एक बड़ा शत्रु है. यहां पर भारतीय फौज के बंकर 16 हजार से 20 हजार फुट की ऊंचाई पर हैं. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है. याददाश्त भी कमजोर होने लगती है. बेहद ठंडी हवाएं जान भी ले सकती हैं और मौसम व तापमान मिनटों में तब्दील होते हैं. इसलिए फौजियों को इतनी ऊंचाई पर तैनात करने से पहले उन्हें अभ्यस्त किया जाता है. उसके बाद भी रोटेशन में इनको ड्यूटी दी जाती है.
चीन की सामरिक ताकत को देखते हुए भारत ने भी इन ऊंचाइयों पर बोफोर्स तैनात कर रखी है. क्योंकि खराब मौसम में यहां न ही हेलीकॉप्टर उड़ सकता है और न ही फाइटर प्लेन से युद्ध लड़ा जा सकता है. ऐसे में बोफोर्स इन कठिन जगहों पर बेहद कारगर हथियार है.
सबसे बड़ी बात यह है कि बोफोर्स के जरिए यहां बेहद कम समय में दुश्मन पर हमला किया जा सकता है और जवाबी कार्रवाई भी की जा सकती है.
कमोबेश चीन और भारत की समस्त सीमाओं पर बोफोर्स को तैनात किया जा चुका है. सिर्फ बोफोर्स ही नहीं, अर्जुन टैंक भी यहां तैनात किए गए हैं.
सामरिक दृष्टिकोण से उत्तर पूर्व बेहद महत्वपूर्ण है. यहां भारत की सीमा चार देशों से मिलती हैं. भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और चीन. इसमें सबसे खास चीन और सिक्किम से लगने वाली 226 किलोमीटर की सीमा है जहां से खतरा हो सकता है. इसलिए सबसे ज्यादा डिप्लॉयमेंट भी चीन से लगने वाली सीमा पर है.