
चीन के एक प्रमुख अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान में चीन के 50 अरब डॉलर के निवेश से बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर का काम भारत के विरोध के चलते कुछ समय के लिए लटक सकता है. लेकिन अगर बीजिंग और इस्लामाबाद आपसी सहयोग के लिए दृढ़ रहे तो वह भारत के संदेह को दूर कर सकते हैं.
इस लेख में लिखा गया है कि कुछ लोगों का मानना है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के विकास की राह का भारत रोड़ा बनता जा रहा है.
दरअसल भारत सीपीईसी का विरोध केवल इसलिए करता है क्योंकि यह कॉरीडोर पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है और इससे सीपीईसी के विकास कार्य कुछ समय के लिए धीमा पड़ सकता है. लंबे समय के लिए, चीन और पाकिस्तान अगर दृढ़ रहे और अपने पड़ोसी देश के साथ लगातार बातचीत करते रहे तो भारत के विरोध को हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है.
चीन ने सीपीईसी में 51 परियोजनाओं में निवेश किया है जिनमें से 19 पूरी हो चुकी हैं. पाकिस्तान ने घोषणा की है कि इस परियोजना में निवेश 50 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है.
गौरतलब है कि CPEC के जरिए झिंजियांग को पाकिस्तान के बलूचिस्तान के ग्वादर तक सड़क और रेल मार्ग से जोड़ना है. भारत CPEC का निरंतर विरोध करता रहा है, जोकि बेल्ट और रोड इनीशिएटिव(बीआरआई) का हिस्सा है और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है.
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