
नेपाल ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है. इसके बाद चीन ने नेपाल के इस कदम पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. दरअसल नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली गुरुवार को तीन दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचे थे. इसके बाद नेपाल के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की.
इस मुलाकात के दौरान प्रदीप ग्यावली ने भारत के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की. लेकिन जब मीडिया में नेपाल द्वारा भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता का समर्थन करने की बात सामने आई तो चीनी राजदूत ने उसी शाम नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली से मिलकर उनके निर्णय पर अपना ऐतराज जताया.
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने शनिवार को कहा कि नेपाल अपनी घरेलू राजनीति में कभी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि वह अपनी आंतरिक समस्याओं को संभालने में खुद सक्षम है. ग्यावली का यह बयान नेपाल की संसद भंग होने के बाद पड़ोसी देश में पैदा हुए राजनीतिक संकट में चीन के हस्तक्षेप करने की पृष्ठभूमि में आया है.
ग्यावली ने भारत दौरे के समापन पर कहा कि सीमा संबंधी मुद्दे के समाधान के लिए नई दिल्ली और काठमांडू की 'साझा प्रतिबद्धता' है और दोनों ही पक्ष इसका हल निकालने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नेपाल के भारत और चीन दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं और वह कभी एक-दूसरे (इन दोनों देशों) के साथ संबंधों की तुलना नहीं करता है. नेपाल में राजनीतिक संकट को कम करने के नाम पर चीन की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर नेपाली विदेश मंत्री ने कहा, 'हम अपनी घरेलू राजनीति में कभी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करते. हम अपनी समस्याओं के समाधान में सक्षम हैं. करीबी पड़ोसी (देश) होने के नाते कुछ चिंताएं या सवाल हो सकते हैं, लेकिन हम कभी दखल मंजूर नहीं करते.'
नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों की इस मुद्दे के समाधान की एक जैसी प्रतिबद्धता है. उन्होंने कहा, 'हमारी इसे सुलझाने की साझा प्रतिबद्धता है. सीमा की शुचिता और सुरक्षा समग्र विकास सहयोग के विस्तार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. हम दोनों ने इस जरूरत को समझा है.'
ग्यावली ने कहा कि दोनों पक्ष संबंधित क्षेत्रों के मानचित्रण के तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं. भारत के साथ संपूर्ण रिश्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह 'अच्छे' रहे हैं और दोनों पक्षों ने इसे और गति प्रदान करने के लिहाज से सुलझा लिया है.
उन्होंने कहा, 'मतभेदों (सीमा मुद्दे पर) और कोविड-19 महामारी के बावजूद दोनों पक्ष उच्चस्तरीय विकास सहयोग को बनाकर रखने में सफल रहे. मतभेद संपूर्ण संबंधों पर असर नहीं डाल सके हैं. नेपाल के लिए भारत के साथ साझेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है.'
नेपाल ने पिछले साल एक नये राजनीतिक मानचित्र का प्रकाशन किया था और उसमें तीन भारतीय क्षेत्रों- लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपने हिस्सों के तौर पर दर्शाया था जिसके बाद दोनों के संबंधों में तनाव आ गया था.