
सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई पर चीन और पाकिस्तान के अलग-अलग विचार हैं. अपने दोस्त पाकिस्तान से विपरीत चीन ने जहां अंकारा से कुर्दिश बलों के खिलाफ कार्रवाई रोकने को कहा है. वहीं, पाकिस्तान ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है. तुर्की ने पिछले हफ्ते सीरियन कुर्दिश पीपल्स प्रोटेक्शन यूनिट के खिलाफ हमला शुरू किया था. तुर्की उसे अपनी सरजमीं पर कुर्दिश उग्रवादियों की आतंकवादी शाखा मानता है.
तुर्की उस क्षेत्र में एक सुरक्षित क्षेत्र बनाना चाहता है, जहां वह देश में रह रहे करीब 20 लाख सीरियाई शरणार्थियों को बसा सके. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सैन्य अभियान में अबतक दर्जनों नागरिक मारे गए हैं और कम से कम 160,000 लोग इलाके से भाग गए हैं.
चीन बोला- बंद हो कार्रवाई
चीन ने मंगलवार को तुर्की से सैन्य कार्रवाई बंद करने का आह्वान किया और कहा कि इससे आईएसआईएस आतंकवादी बचकर निकल सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों को झटका लग सकता है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सीरिया की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता, एकता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की जानी चाहिए. हम तुर्की से सैन्य कार्रवाई बंद करने और राजनीतिक समाधान के सही मार्ग पर लौटने की अपील करते हैं.
चीन की चिंता पर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने भी बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि आईएस आतंकी को सीरिया से भागने नहीं दिया जाएगा. एर्दोआन ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) का कोई भी लड़ाका उत्तर-पूर्वी सीरिया से भाग नहीं पाए. उन्होंने सीरिया में कुर्दों के खिलाफ तुर्की के अभियान के चलते बड़े पैमाने पर आतंकियों के भागने की पश्चिमी देशों की आशंका को पाखंड करार दिया.
एर्दोआन ने कहा कि जो देश आज आईएसआईएस से लड़ने के मुद्दे पर तुर्की को भाषण देते हैं, वही देश 2014 और 2015 में विदेशी आतंकवादियों की बाढ़ को रोकने में विफल रहे.
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन इस महीने के आखिर में इस्लामाबाद जा सकते हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान का समर्थन व्यक्त करने के लिए एर्दोआन को फोन किया था.