
चीन (China) चाहता है कि वह नेपाल में ट्रांस-हिमालयन रेलवे (Trans-Himalayan Railway) का संचालन करे. उसके लिए वह नेपाल से चीन के लिए रेलवे लाइन बिछाना चाहता है. यानी चीन-नेपाल क्रॉस बॉर्डर रेलवे (China-Nepal Cross Border Railway). चीन के छह एक्सपर्ट हाल ही में काठमांडू आए थे. उन्होंने नेपाली अधिकारियों से इस बारे में बातचीत की. अगर यह रेल लाइन बिछती है तो भारत के लिए रणनीतिक तौर पर यह मुश्किल खड़ी कर सकता है. हालांकि दोनों हिमालयी देशों का दावा है कि इससे उनके बीच व्यापार बढ़ेगा.
अगर चीन और नेपाल के बीच सीमा-पार ट्रेन चलती है, तो इससे ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी में बढ़ोतरी होगी. यानी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि चीन लगातार पाकिस्तान के सपोर्ट में रहा है. अक्सर पाकिस्तान आतंकियों की सांठगांठ नेपाल से रही है. अगर चीन-नेपाल और पाकिस्तान एकजुट होते हैं, तो इससे भारत को घेरने का चीन को एक और मौका मिल जाएगा.
चीन से आई एक्सपर्ट टीम के लीडर फेंग डेकुआन ने कहा है कि हम फिजिबिलिटी स्टडी करने आए हैं. यह रेल लाइन चीन के केरुंग से नेपाल के काठमांडू तक बिछाई जाएगी. हमारी रिपोर्ट के आधार पर चाइना रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ग्रुप फिर से एक स्टडी करेगा. रेल लाइन का डिजाइन आदि तैयार करेगा. चीन और नेपाल दोनों हिमालय पर स्थित हैं. यहां मौसम की स्थिति बहुत ही खराब रहती है. भौगोलिक परिस्थितियां सही नहीं रहतीं.
फेंग ने कहा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में रेल लाइन बिछाना दुनिया की सबसे कठिन इंजीनियरिंग की परीक्षा होगी. नेपाली रेलवे डिपार्टमेंट के प्रवक्ता अमन चित्रकार ने कहा कि यह फिजिबिलिटी रिपोर्ट काफी एडवांस होगी. चीन के साथ रेलवे प्रोजेक्ट के लिए समझौता करके हमें खुशी मिलेगी. हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खाडका के साथ क्विंगडाओ में बैठक की थी. बैठक में भी इस रेलवे लाइन की चर्चा की गई थी. इस साल के अंत तक रेलवे लाइन के लिए सर्वे का काम पूरा हो जाएगा.