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हाइपरसोनिक मिसाइल दाग पूरी दुनिया में मचाई सनसनी! अब चीन ने कही ये बात

हाल ही में ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से एक खबर सामने आई थी कि चीन दो महीने पहले ही सीक्रेट तौर पर पावरफुल हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर चुका है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने इस मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा था और चीन की हाइपरसोनिक क्षमताओं के चलते अमेरिकी खुफिया एजेंसिया सकते में हैं. अब इस मामले में चीन ने प्रतिक्रिया दी है. 

Zhao lijian, Photo credit: Reuters Zhao lijian, Photo credit: Reuters
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 19 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST
  • चीन ने बताया फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट को गलत
  • चीन ने कहा- मिसाइल नहीं, स्पेसक्राफ्ट था

हाल ही में ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से एक खबर सामने आई थी कि चीन दो महीने पहले ही सीक्रेट तौर पर पावरफुल हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर चुका है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने इस मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा था और चीन की हाइपरसोनिक क्षमताओं के चलते अमेरिकी खुफिया एजेंसिया सकते में हैं. अब इस मामले में चीन ने प्रतिक्रिया दी है. 

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सोमवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिएन ने हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण की बात को गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि जुलाई के महीने में एक रुटीन टेस्ट किया गया था ताकि अलग-अलग तरह की स्पेस क्राफ्ट टेक्नोलॉजी को चेक किया जा सके. उन्होंने कहा कि वो एक हाइपरसोनिक मिसाइल नहीं थी बल्कि एक स्पेसक्राफ्ट था और ये रूटीन स्पेसक्राफ्ट के उपयोग की लागत को कम करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा कि कई देशों ने इससे पहले भी इसी तरह के कई परीक्षण किए हैं. झाओ से जब पूछा गया कि क्या फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट गलत है तो उन्होंने इस मामले में हामी भरी. बता दें कि फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में पांच अज्ञात सोर्स के हवाले से ये कहा गया था कि चीन ने कुछ समय पहले गर्मियों में हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च की थी. इस रिपोर्ट में ये भी लिखा था कि लो-ऑर्बिट स्पेस में यात्रा करते हुए ये मिसाइल थोड़े से अंतर से अपने लक्ष्य से चूक गई थी.

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हाइपरसोनिक मिसाइल से निपटना आसान नहीं 

वहीं, बीते सोमवार को अमेरिका के निरस्त्रीकरण राजदूत रॉबर्ड वुड ने कहा कि अमेरिका काफी चिंतित था और हाइपरसोनिक तकनीक को मिलिट्री इस्तेमाल के तौर पर इस्तेमाल करने से गुरेज कर रहा था. हालांकि, इस तकनीक को लेकर रूस और चीन काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए अमेरिका भी इस मामले में एक्टिव हुआ है. जेनेवा में रिपोर्टर्स के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि हमें अब तक ये नहीं पता चला है कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी से आत्म-रक्षा कैसे की जाए. सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि चीन और रूस को भी नहीं पता है कि इस तकनीक से अपनी सुरक्षा कैसे करनी है. 

गौरतलब है कि एएफपी की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव को लेकर कुछ सुपरपावर देशों ने सिस्टम तैयार कर लिए हैं लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल को लेकर ऐसे दावे नहीं किए जा सकते हैं. खासतौर पर इन मिसाइल्स को ट्रैक करना बेहद मुश्किल है. अगर कोई देश हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करता है तो उसे एंटी डिफेंस मिसाइल सिस्टम की मदद से रोकना लगभग नामुमकिन होगा. गौरतलब है कि अमेरिका, चीन, रूस और उत्तर कोरिया हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं. 


 

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