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चीन की चेतावनी के बावजूद नहीं माना पाकिस्तान, कर दी बड़ी गलती

गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान को चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने दो दिन पहले ही चेतावनी दी थी लेकिन पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने उसकी पूरी तरह से उपेक्षा कर दी. पाकिस्तान में हालिया घटनाक्रमों को लेकर चीन की चिंता और बढ़ गई है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2023,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

Pakistan Political Crisis: गंभीर आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव चरम पर है. मंगलवार को पाकिस्तानी रेंजर्स ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाइकोर्ट के बाहर से ही गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद से ही पाकिस्तान के कई क्षेत्रों में हिंसा और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं.

इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पूरे पाकिस्तान में इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण के मुताबिक, इमरान की गिरफ्तारी के बाद पूरे पाकिस्तान में ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब को भी बैन कर दिया गया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इस कदम के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और भी बढ़ गई है. दूसरी तरफ, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी चेतावनी दी है कि राजनीतिक अस्थिरता की वजह से अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन नहीं मिला तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाएगा.

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चीन के विदेश मंत्री की चेतावनी को किया अनसुना

पिछले शनिवार को चीन के विदेश मंत्री किन गांग पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की चौथी रणनीतिक वार्ता में शामिल हुए थे. यहां उन्होंने पाकिस्तान में जारी राजनीतिक अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि पाकिस्तान की तरक्की के लिए राजनीतिक स्थिरता बहुत जरूरी है. विदेश मंत्री बनने के बाद किन का यह पहला दौरा था. 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में किन ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि पाकिस्तान के सभी राजनीतिक दल देश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखेंगे और घरेलू और बाहरी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटेंगे ताकि देश की अर्थव्यवस्था पर फोकस किया जा सके." 

हालांकि, पाकिस्तान की सरकार ने चीन की सलाह की पूरी तरह उपेक्षा कर दी और चीनी विदेश मंत्री के बयान के दो दिन बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया. इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. पाकिस्तान के हालात को देखते हुए गृहयुद्ध तक की आशंका जताई जा रही है. जाहिर है कि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता खत्म नहीं हुई तो चीन का पाकिस्तान में किया निवेश भी खतरे में पड़ सकता है.

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पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता का हिमायती रहा है चीन

पाकिस्तान में सियासी संकट की शुरुआत से ही चीन राजनीतिक स्थिरता का हिमायती रहा है. चीन कई बार कह चुका है कि पाकिस्तान में स्थिर सरकार का होना बहुत जरूरी है. चीन ने पाकिस्तान को दिए कर्ज की मोहलत बढ़ाते वक्त भी देश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए कहा था.

पाकिस्तान सरकार के पूर्व सलाहकार और नीति विशेषज्ञ मुशर्रफ जैदी का कहना है कि चीन ने पाकिस्तान के कर्ज को बड़े पैमाने पर माफ करने के बजाय रोलओवर करने का फैसला किया. चीन इस कदम से पाकिस्तान को संदेश देना चाहता था कि हम आपकी मदद करेंगे लेकिन आप देश में जारी सियासी उथलपुथल से बेहतर ढंग से निपटें. उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि हम आपको पूरी तरह से फेल नहीं होने देंगे. लेकिन हम आपके कुप्रबंधन और कुशासन का समर्थन भी नहीं करेंगे. 

मूडीज ने भी चेताया, डिफॉल्ट हो सकता है पाकिस्तान

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि देश में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन नहीं मिला तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाएगा. समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्टे के मुताबिक, रेटिंग एजेंसी मूडीज के एक अधिकारी ने कहा है कि जून 2023 तक पाकिस्तान को 3.7 बिलियन डॉलर कर्ज चुकाना होगा. लेकिन पाकिस्तान बिना आईएमएफ की मदद के शायद ही कर्ज का भुगतान कर पाएगा. कर्ज ना चुका पाने की स्थिति में पाकिस्तान डिफॉल्ट हो सकता है.

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पाकिस्तान में लगभग एक साल से राजनीतिक संकट 

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लगभग एक साल पहले अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था. इमरान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से प्रधानमंत्री पद से हटाया गया. इमरान खान को सत्ता से बाहर किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है. वर्तमान में इमरान खान की पार्टी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन पार्टी के बीच मतभेद के कारण पाकिस्तान गंभीर राजनीतिक और संवैधानिक संकट से गुजर रहा है. 

पाकिस्तान की माली हालात इतनी खराब हो चुकी है कि आईएमएफ से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी आईएमएफ ने अभी तक बेलआउट पैकेज नहीं जारी किया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से रुके हुए बेलआउट पैकेज को जारी कराने और डिफॉल्ट से बचाने के लिए चीन पाकिस्तान की लगातार मदद कर रहा है.

पाकिस्तान दौरे में चीन के विदेश मंत्री किन ने कहा भी था कि चीन पाकिस्तान में वित्तीय स्थिरता लाने का अपना प्रयास जारी रखेगा. लेकिन पाकिस्तान की तरक्की के लिए जरूरी है कि राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त किया जाए. परन्तु, इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ी है. इससे चीन की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.

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آئی ایس پی آر کو میرا جواب اور وہ دو بنیادی وجوہات جن کی بنیاد پر پی ڈی ایم اور اس کے سرپرست مجھے گرفتار کرنے کی کوششوں میں لگے ہوئے ہیں:
۱۔ مجھے انتخابی مہم چلانے سے روکنے کیلئے کیونکہ انشاءاللہ جب انتخابات کا اعلان ہوگا تو میں جلسے منعقد کروں گا۔
۲- پی ڈی ایم حکومت اور اس کے… pic.twitter.com/gJDLn0BdxG

— Imran Khan (@ImranKhanPTI) May 9, 2023

 

चीन क्यों है चिंतित?

पाकिस्तान में जारी आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता चीन के लिए इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि चीन ने पाकिस्तान में भारी भरकम निवेश किया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने CPEC प्रोजेक्ट पर लगभग 60 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन जैसे विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरता है. यह प्रोजेक्ट चीन के शिनजियांग प्रांत को ईरान के पास अरब सागर तट पर स्थित ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है. इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन काराकोरम हाइवे से गुजरते हुए अरब सागर तक पहुंच जाएगा. 

CPEC (China Pakistan Economic Corridor) चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड (Belt And Road) का हिस्सा है. इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय देशों के साथ व्यापारिक मार्गों में जान फूंकना है.

पाकिस्तान पर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के फरवरी 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज 126 अरब अमेरिकी डॉलर में से लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज चीन का है. चीन का कुल कर्ज आईएमएफ के कुल कर्ज के तीन गुना से भी अधिक है. वहीं, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के कुल कर्ज से भी अधिक है. लगभग 10 साल पहले दोनों देशों के बीच शुरू हुए चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के बाद से यह कर्ज और आसमान छूता गया है.

पाकिस्तान 'चीन के कर्ज जाल' का शिकार नहीं: बिलावल भुट्टो

चीन की कर्ज देकर दूसरे देशों की संप्रभुता को कमजोर करने के आरोप भी लगते रहे हैं. चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी इस आरोप पर सफाई पेश की थी. दोनों देशों के नेताओं ने इस बात को खारिज किया कि पाकिस्तान चीन के कर्ज के जाल की कूटनीति (debt-trap diplomacy) का शिकार है और चीन अपने भू-सामरिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों को कर्ज के जाल में फंसाता है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा था कि चीनी कर्ज के जाल की बात बेबुनियाद है. पाकिस्तान में चीनी निवेश और वित्तीय सहायता हमारी दोस्ती की चली आ रही परंपराओं का हिस्सा है. यह टाइम-टेस्टेड फ्रेंडशिप का हिस्सा है.  

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वहीं, चीन के विदेश मंत्री ने अमेरिका पर निशाने साधते हुए कहा कि जो लोग कर्ज के जाल की अफवाह फैलाते हैं, मेरा सुझाव है कि आप उन लोगों से पूछें कि उन्होंने पाकिस्तान के विकास और पाकिस्तानी लोगों की भलाई के लिए क्या किया है? हाल ही में अमेरिका ने चीन के निवेश पैटर्न की आलोचना की थी. 

🔊: PR NO. 8️⃣8️⃣/2️⃣0️⃣2️⃣3️⃣

Joint Statement of the 5th China Afghanistan-Pakistan Foreign Ministers' Dialogue

🔗⬇️https://t.co/omclUknMDB pic.twitter.com/YT7VV5tT0Q

— Spokesperson 🇵🇰 MoFA (@ForeignOfficePk) May 8, 2023

चीन का अफगानिस्तान तक पहुंचने का सपना हो सकता है चकनाचूर

हाल ही में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शीर्ष नेताओं ने रीजनल कनेक्टिविटी को बढ़ाने और आर्थिक बेहतरी के मकसद से सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. वार्ता के बाद चीन के विदेश मंत्री किन गांग और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और अफगानी तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने बयान जारी करते हुए कहा था कि सीपीईसी को अफगानिस्तान तक विस्तार करने और उसकी क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल करने पर तीनों देश राजी हुए हैं. हालांकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आतंकवाद को लेकर जारी लड़ाई और अब पाकिस्तान के आंतरिक हालात को देखकर लग रहा है कि चीन का पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान तक पहुंचने का सपना भी अधूरा रह सकता है.

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चीनी कामगारों की सुरक्षा भी खतरे में

पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक संकट के अलावा, चीन वहां काम कर रहे अपने श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है. चीन की परियोजनाओं में काम कर रहे कई चीनी श्रमिकों को देश में जारी गतिरोध का सामना करना पड़ा है. हालांकि, पाकिस्तानी सेना की एक बहुस्तरीय वाली सुरक्षा प्रणाली चीनी श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करती है. इसके बावजूद चीनी श्रमिकों को पाकिस्तानी उग्रवादी समूहों को घातक हमलों का सामना करना पड़ा है. ये पाकिस्तान से अलग देश की मांग करते हैं या चीन की परियोजना का विरोध करते हैं.  

चीन के विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री इस बात पर सहमत हुए हैं कि चीनी श्रमिकों को निशाना बनाने वाले आतंकवादी को खोज कर पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे. इससे पहले नवंबर 2022 में पाकिस्तानी आतंकवादी विरोधी कोर्ट ने हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे नौ चीनी इंजीनियरों समेत कुल 13 लोगों की हत्या के आरोपी दो पाकिस्तानी को मौत की सजा सुनाई थी.

 

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