
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक प्रस्ताव लाया गया था. चीन में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर मंथन होना था. अमेरिका के साथ कई दूसरे पश्चिमी देश ये प्रस्ताव लेकर आए थे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन के खिलाफ लाया गया ये प्रस्ताव गिर गया है. इसका कारण ये है कि 19 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की, वहीं भारत ने तो वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया. ऐसे में इस प्रस्ताव के पक्ष में जरूरी वोट इकट्ठा नहीं हो पाए और चीन को इसका सीधा फायदा पहुंचा.
जानकारी के लिए बता दें कि कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड आइसलैंड, स्वीडन, यूके और अमेरिका जैसे देश चीन के खिलाफ एक प्रस्ताव लेकर आए थे. इस प्रस्ताव को तुर्की जैसे देशों ने भी अपना समर्थन दे दिया था. मुद्दा ये था कि चीन के Xinjiang क्षेत्र में उइगर मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है. लेकिन गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. चीन, पाकिस्तान नेपाल जैसे कई दूसरे देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला, वहीं भारत, ब्राजील, मेक्सिको, यूक्रेन और आठ अन्य देशों ने वोटिंग से ही दूर बना ली.
लेकिन इस प्रस्ताव के खारिज होने से कई सामाजिक कार्यकर्ता नाराज हो गए हैं. जो लोग लंबे समय से चीन में हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे, उनके लिए ये एक बड़ा झटका साबित हुआ है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के जनरल सचिव Agnes Callamard ने कहा है कि आज की इस वोटिंग ने उन लोगों को सुरक्षित करने का काम किया है जो लंबे समय से मानवधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.
अब ये प्रस्ताव भी उस समय खारिज हुआ है जब यूएन की खुद की रिपोर्ट ये दावा करती है कि Xinjiang क्षेत्र में उइगर मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है. अगस्त महीने में ही एक टीम ने जमीन पर जा खुद स्थिति का जायजा लिया था. लेकिन अब क्योंकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इस प्रस्ताव को लेकर जरूरी वोट नहीं मिले, इसलिए पश्चिमी देशों की चीन की घेराबंदी वाली रणनीति फेल हो गई.