
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विरोध जताने के बावजूद चीन ने कहा है कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाएगा. शनिवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे पर सुषमा स्वराज ने इस आर्थिक गलियारे को लेकर भार की चिंताएं व्यक्त की थी.
'भारत के विरोध पर चीन योजना मबीं कैंसिल करेगा'
चीन के अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में लिखा गया है कि 'चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC)' को लेकर भारत के विरोध की वजह से चीन इस प्रोजेक्ट को नहीं रोकेगा.
'भारत को उदार रवैया अपनाना होगा'
मंगलवार को छपे कॉलम में लिखा गया है कि भारत को इकोनॉमिक कॉरिडोर योजना को लेकर उदार रवैया अपनाना चाहिए. क्योंकि इस योजना से विकास में तेजी आएगी और स्थानीय लोगों को फायदा मिलेगा. कॉलम में लिखा गया है कि अगर चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग से संबंधित क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार होता है तो इससे भारत के लिए मध्य एशिया में व्यापार के रास्ते खुलेंगे.
46 अरब डॉलर की लागत से बन रहा है कॉरिडोर
चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनझियांग को जोड़ने वाले कॉरिडोर की योजना है. यह कॉरिडोर ग्वादर से शुरू होकर काशगर तक जाएगा. अरबों डॉलर के इस प्रोजेक्ट के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान एंट्री गेट का काम करेगा. चीन इस क्षेत्र में औद्योगिक पार्क, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, रेलवे लाइन और सड़कें बना रहा है. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में काराकोरम हाईवे का विस्तार चीन के अशांत रहने वाले शिंजिआंग सूबे तक किया जाएगा.
इससे घाटी तक चीन को मुक्त और ट्रेन से तेज रफ्तार पहुंच मिलेगी. गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के अन्य प्रांतों तक रेलवे लाइन और सड़कों का काम पूरा हो जाने पर, ग्वादर, पासनी और ओरमारा में चीन निर्मित नौसेना बेस के रास्ते आने वाले चीनी कार्गो को पाकिस्तान पहुंचने में सिर्फ 48 घंटे लगेंगे. अभी इसमें 16 से 25 दिन का समय लगता है.