Advertisement

चीन ने श्रीलंका के बहाने भारत पर साधा निशाना, दी नसीहत

चीन ने भारत की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि श्रीलंका-चीन के रिश्तों के बीच किसी तीसरे को दखल नहीं देना चाहिए. चीन के विदेश मंत्री एक दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर थे जहां उन्होंने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की तारीफ की और उन्हें चीनियों का पुराना मित्र बताया.

चीन के विदेश मंत्री से मिलते महिंदा राजपक्षे (Photo- Mahinda Rajapaksa/Twitter) चीन के विदेश मंत्री से मिलते महिंदा राजपक्षे (Photo- Mahinda Rajapaksa/Twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:57 AM IST
  • चीन ने भारत पर साधा निशाना
  • कहा- श्रीलंका-चीन के बीच न आए कोई तीसरा
  • चीनी विदेश मंत्री गए थे श्रीलंका

चीन ने कहा है कि चीन-श्रीलंका संबंधों के बीच किसी तीसरे देश को नहीं आना चाहिए. रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की. इसी दौरान उन्होंने भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे देश को दखल नहीं देना चाहिए.

चीनी विदेश मंत्री दो दिवसीय मालदीव की यात्रा के बाद रविवार को एक दिन के लिए श्रीलंका पहुंचे थे. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिंदा राजपक्षे के साथ अपनी बैठक में वांग यी ने कहा कि चीन और श्रीलंका के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध दोनों देशों के विकास को लाभ 
पहुंचाते हैं और मौलिक हितों की रक्षा करते हैं.

Advertisement

उन्होंने श्रीलंका के पड़ोसी देश भारत की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'हमारे रिश्ते किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते और किसी तीसरे पक्ष को भी इसमें दखल नहीं देना चाहिए.'

चीन कर्ज के जाल में फंसाने की आलोचनाओं के बीच श्रीलंका में बंदरगाहों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. चीन श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में लगा हुआ है.

चीन ने कुछ सालों पहले श्रीलंका के हम्बनटोटा में एक बंदरगाह परियोजना की शुरुआत की थी. लेकिन ये परियोजना श्रीलंका पर चीन के बढ़ते कर्ज के बीच बंद कर दी गई. साल 2017 में चीन ने श्रीलंका के साथ एक समझौता किया जिसके तहत परियोजना में निवेश के बदले में चीन की सरकारी कंपनियों को हम्बनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई. 

Advertisement

इस बंदरगाह में चीन की हिस्सेदारी होने से भारत की चिंता बढ़ गई है. विश्लेषकों का मानना है कि चीन भारत के दक्षिण में उसके और करीब आ गया है. चीन कोलंबो पोर्ट सिटी के तहत एक नया शहर भी बसा रहा है. चीन इन कदमों से हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है जो भारत के लिए चिंता का विषय है.

चीन केवल श्रीलंका को ही नहीं बल्कि विश्व के कई और गरीब देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश कर उन्हें अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है. चीन ये सब अपने Belt And Road (BRI) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के तहत कर रहा है. चीन एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक के देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ी रकम खर्च कर रहा है.

अमेरिका का पिछला डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन BRI की खूब आलोचना करता था. ट्रम्प का मानना था कि चीन छोटे देशों को भारी कर्ज में दबा रहा है जिससे उन देशों की संप्रभुता खतरे में पड़ रही है.

पिछले महीने, चीन ने एक 'तीसरे पक्ष' से 'सुरक्षा चिंता' का हवाला देते हुए श्रीलंका के उत्तर के तीन द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की एक परियोजना को निलंबित कर दिया था. तमिलनाडु तट से ये जगह ज्यादा दूर नहीं है, ऐसे में भारत की चिंता बढ़ रही थी लेकिन तभी चीन ने परियोजनाओं से हाथ खींच लिया.

Advertisement

वांग यी ने श्रीलंकाई विदेश मंत्री जी एल पीरिस के साथ अपनी बातचीत के दौरान हिंद महासागर के द्वीप देशों के विकास के लिए एक मंच स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन इससे इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है.

चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में वांग यी के हवाले से कहा गया, 'चीन का प्रस्ताव है कि सर्वसम्मति और तालमेल बनाने और सबके विकास को बढ़ावा देने के लिए हिंद महासागर द्वीप देशों के विकास पर एक मंच उचित समय पर बनाना चाहिए.' वांग यी ने ये भी कहा कि इसमें श्रीलंका महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.

कोलंबो में चीनी दूतावास की तरफ से एक ट्वीट भी किया गया जिसमें श्रीलंका को हिंद महासागर का असली मोती बताया गया है. वांग यी ने महिंदा राजपक्षे से अपनी मुलाकात के दौरान उनकी खूब तारीफ की और उन्हें चीन के लोगों का पुराना मित्र बताया.
 
 श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने चीन से कहा है कि वो श्रीलंका को दिए गए कर्ज को चुकाने के लिए बनाए गए स्ट्रक्चर को फिर से बनाएं.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि यह श्रीलंका के लिए एक बड़ी राहत होगी अगर COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट के समाधान के रूप में ऋण चुकौती के रिस्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जा सकता है. ऐसा अनुमान है कि श्रीलंका पर इस साल चीन का 1.5 से 2 अरब डॉलर कर्ज है. 

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement