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रूस-अमेरिका साथ क्या बैठे... इधर जेलेंस्की हुए नाराज और उधर चीन के मन में भी उठने लगे सवाल

मंगलवार को रूस और अमेरिका के बीच सऊदी अरब में वार्ता हुई. ये वार्ता यूक्रेन संकट को खत्म करने और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के मकसद से हुई. चीन के एक्सपर्ट्स संदेह जता रहे हैं कि वार्ता से दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे.

अमेरिका और रूस की बातचीत पर चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लेख प्रकाशित किया है (Photo- Reuters) अमेरिका और रूस की बातचीत पर चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लेख प्रकाशित किया है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

कई सालों के बाद अमेरिका और रूस में उच्चस्तरीय बातचीत हुई है. दोनों देशों के बीच मंगलवार को यह बातचीत सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई जिसमें यूक्रेन संघर्ष के समाधान और द्विपक्षीय संबंधों में गतिरोध को समाप्त करने पर चर्चा हुई. लेकिन इस वार्ता में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया जिसे लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बेहद नाराज हुए. इधर, अमेरिका-रूस की इस वार्ता पर चीन की तरफ से भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं.

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अमेरिका और रूस की बैठक लगभग 4.5 घंटे तक चली. वार्ता में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, राष्ट्रपति के सहायक यूरी उशाकोव और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने किया. वार्ता में अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और मध्य पूर्व के लिए विशेष दूत स्टीफन विटकॉफ ने भाग लिया. 

बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, अमेरिका और रूस "अपने-अपने राजनयिक मिशनों के संचालन को सामान्य बनाने पर सहमत हुए हैं. दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए एक परामर्श तंत्र बनाने पर भी राजी हुए हैं.

अमेरिकी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष यूक्रेन में संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए प्रयास करने पर सहमत हुए.

वार्ता में नहीं बुलाए गए जेलेंस्की, हुए नाराज

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रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए हो रही चर्चा में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया जिसे लेकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बेहद नाराज हैं. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन की संलिप्तता के बिना युद्ध खत्म करने को लेकर कोई शांति समझौता नहीं हो सकता.

जेलेंस्की ने मंगलवार को कहा, 'रूस और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हो रही है... यूक्रेन के बारे... और वो भी बिना यूक्रेन के. वार्ता में यूक्रेन, यूरोपीय यूनियन, तुर्की और ब्रिटेन को शामिल किया जाना चाहिए.'

इससे पहले सोमवार को जेलेंस्की ने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप रूसी राष्ट्रपति को खुश करने के लिए शांति समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा था, 'अमेरिका अब पुतिन को अच्छी लगने वाली बातें ही कह रहा है क्योंकि वो उन्हें खुश करना चाहता है. वो जल्द मिलना चाहते हैं और जीतना भी चाहते हैं. वो बस एक संघर्ष विराम चाहते हैं जो कि किसी भी तरह से जीत नहीं है.'

चीन देखता रहा, बाजी मार गए ट्रंप

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद चीन रूस का दोस्त होने के नाते खुद को एक मध्यस्थ के रूप में देख रहा था. चीन रूस के साथ दोस्ती रखते हुए यूक्रेन की खिलाफत में भी कुछ नहीं बोल रहा था. उसने बातचीत के जरिए युद्ध को खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव भी रखा था लेकिन ऐन वक्त पर अमेरिका बाजी मार गया.

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इस संबंध में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन से मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया गया कि यूक्रेन संकट को हल करने वाले शांति समझौते में चीन क्या भूमिका निभाना चाहता है?

जवाब में जियाकुन ने कहा, 'दुनिया में किसी भी विवाद और संघर्ष पर चीन हमेशा बातचीत, परामर्श और राजनीतिक समाधान की वकालत करता है. रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के मामले में भी हमारा यही रुख है.'

चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा, 'यूक्रेन का संकट चीन ने नहीं खड़ा किया है और न ही वो इसमें कोई भागीदार है. लेकिन ऐसा कहकर हम सिर्फ बैठकर संकट को बढ़ता हुआ नहीं देखते रहे या संकट से फायदा नहीं उठा रहे.'

गुओ ने कहा कि यूक्रेन संकट के शुरू होने के तुरंत बाद, चीन ने बातचीत और कूटनीति के जरिए संकट को सुलझाने का प्रस्ताव रखा था.

अमेरिका-रूस के सुधरते संबंधों से चीन में उठे सवाल?

फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका और चीन के रिश्ते निचले स्तर पर आ गए थे. वहीं, चीन के साथ रूस के संबंधों में मजबूती आती गई. चीन ने पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस से व्यापार और तेल खरीद बढ़ाकर उसकी काफी मदद की है. चीन अमेरिका को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानता है. ऐसे में उसका दोस्त रूस अमेरिका के साथ संबंधों को सुधार रहा है जिससे चीन परेशान हो सकता है.

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चीन के राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि रूस-अमेरिका की एक बातचीत से दोनों देशों के संबंध एकदम से सुधरने मुश्किल हैं.

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि यूक्रेन संकट का समाधान केवल एक बार की बातचीत में नहीं हो सकता.

चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैडोंग के हवाले से चीनी अखबार ने लिखा, 'हम अमेरिका और रूस के बीच बातचीत देखकर खुश हैं और हम यूक्रेन संकट के राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान का समर्थन करते हैं. लेकिन हम यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि एक ही बातचीत के जरिए नतीजा निकलना बहुत मुश्किल है.'

एक्सपर्ट ली ने कहा कि यूरोप पर NATO के प्रभुत्व की समस्या को संबोधित किए बिना केवल युद्ध विराम पर बात होती है तो संकट का समाधान नहीं हो सकता है क्योंकि संघर्ष की जड़ यही है.

चीनी एक्सपर्ट्स उठा रहे ट्रंप की मंशा पर सवाल

चीन के राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि भले ही रूस और अमेरिका बातचीत कर रहे हैं लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में जो सालों पुरानी बर्फ जमी है, उसे जल्दी पिघला पाना आसान नहीं है.

लान्झू विश्वविद्यालय के मध्य एशियाई अध्ययन संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर सन शियुवेन के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भले ही अमेरिका यूक्रेन संकट खत्म करने के लिए रूस से बात कर रहा है लेकिन रूस मूल हितों पर समझौता करने को राजी नहीं होगा, खासकर नेटो के विस्तार को सीमित करने और सैन्य कब्जे वाले क्षेत्रों और क्रीमिया प्रायद्वीप तक कॉरिडोर बनाने की अपनी शर्त से पीछे नहीं हटेगा. वो यह भी शर्त रखेगा कि यूक्रेन आगे से तटस्थ बनकर ही रहे.

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शियुवेन ने यह भी कहा कि ट्रंप रूस-यूक्रेन संघर्ष वार्ता के जरिए युद्ध खत्म कराने का व्यक्तिगत श्रेय लेना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप संसाधनों से यूक्रेन की मदद नहीं करना चाहते और वो इन संसाधनों को एशिया-प्रशांत में चुनौतियों से निपटने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं.

शंघाई स्थित चाइना नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एससीओ इंटरनेशनल एक्सचेंज एंड ज्यूडिशियल कोऑपरेशन के एक्सपर्ट कुई हेंग ने कहा कि हालिया बातचीत से तत्काल सफलता नहीं मिलने वाली क्योंकि दोनों पक्षों के बीच सालों तक बातचीत नहीं हुई है. यह वार्ता केवल एक शुरुआती कदम है.

ली ने कहा, 'अमेरिका और रूस का बर्फ पिघलाने की इच्छा जताना एक बात है... हालांकि, शीत युद्ध के बाद के 30 से अधिक सालों के इतिहास में हमने साफ देखा है कि अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार करना कठिनाइयों से भरा है.'

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