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भारत चीन से युद्ध करना चाहता है तो कर ले, होगी हार, सीमा विवाद पर बोला चीनी मीडिया

ग्लोबल टाइम्स में लिखा था कि भारत को एक चीज अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए- भारत को बॉर्डर उस तरीके से नहीं मिलेगा, जैसा वो चाहता है. अगर भारत युद्ध शुरू करना चाहता है तो उसे निश्चित तौर पर इस युद्ध में हार मिलेगी. किसी भी तरह की राजनीतिक पैंतरेबाजी या दबाव को चीन नजरअंदाज करेगा.

चीनी सैनिक, फोटो क्रेडिट: getty images चीनी सैनिक, फोटो क्रेडिट: getty images
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 13 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST
  • द ग्लोबल टाइम्स ने भारत-चीन सीमा विवाद पर लिखा विवादित लेख
  • 'चीन भारत के किसी भी दबाव में नहीं आएगा'

पिछले साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई हिंसक भिड़ंत के बाद से ही भारत-चीन के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं.  हाल ही में इस सीमा विवादको लेकर 13वें दौर की सीनियर सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी. इस बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने बयान जारी किया था. भारत की सेना ने कहा था कि चीन को सलाह दी गई है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं है. वहीं चीन ने इस मामले में कहा है कि भारत स्थिति का गलत आकलन कर रहा है और अनुचित मांग कर रहा है. अब इस मामले में चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स का एक विवादित लेख सामने आया है. 

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सीमा विवाद पर किसी भी दबाव में नहीं आएगा चीन

ग्लोबल टाइम्स के इस एडिटोरिएल में कहा गया है कि भारत के साथ खराब होते रिश्तों के बीच चीन को सैन्य संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए. इस ओपिनियन पीस में लिखा था कि भारत को एक चीज अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए- भारत को बॉर्डर उस तरीके से नहीं मिलेगा, जैसा वो चाहता है. अगर भारत युद्ध शुरू करना चाहता है तो उसे निश्चित तौर पर इस युद्ध में हार मिलेगी. किसी भी तरह की राजनीतिक पैंतरेबाजी या दबाव को चीन नजरअंदाज करेगा. भारत के साथ सीमा विवाद को संभालने के लिए चीन के लिए भी कुछ चीजें बेहद महत्वपूर्ण हैं. चीन को इस सिद्धांत पर टिके रहना चाहिए कि भारत चाहे कितनी भी मुसीबतें क्यों ना खड़ी करे, चीन का क्षेत्र चीन का ही रहेगा और हम इसे कभी नहीं सौंपेंगे. भारत अब भी सीमा विवाद के मुद्दे पर आंखे मूंदकर सो रहा है और हम उसके जागने का इंतजार कर सकते हैं.

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'चीन के लोग जानते हैं कि भारत और चीन दोनों शक्तिशाली देश हैं जिनके पास बॉर्डर पर लंबे समय तक संघर्ष करने के लिए पर्याप्त ताकतें और साधन मौजूद हैं. भारत और चीन के बीच इस तरह का टकराव काफी खेदपूर्ण होगा लेकिन अगर भारत ऐसा करने के लिए तैयार है तो चीन भी अंत तक पीछे नहीं हटेगा. गलवान घाटी में हुआ संघर्ष ये साबित करता है कि चीन, भारत-चीन संबंधों की बेहतरी के लिए अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के साथ समझौता कभी नहीं करेगा.' 

भारत की मांग अनुचित और अवास्तविक

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "अगर भारत लगातार चीन के दृढ़-संकल्प को कम आंकना जारी रखता है तो ना केवल भारत लगातार अपने लिए कई स्तर पर मुसीबतें पैदा करेगा बल्कि इससे हिंदुस्तान को काफी नुकसान भी होगा. भारत का रवैया बातचीत को लेकर काफी अवसरवादी रहा है. भारत का मानना है कि चीन को अपने पश्चिमी बॉर्डर में स्थिरता के साथ ही राष्ट्रीय राजनीति मजबूत करने के लिए भारत की मदद की जरूरत पड़ेगी. खासतौर पर, चीन-अमेरिका के रिश्तों को आई कड़वाहट को भारत एक अवसर के रूप में देख रहा है.'

'भारत को उम्मीद थी कि चीन सीमा विवाद को लेकर अपने रवैये में नरमी बरतेगा. हालांकि चीन और भारत के बीच सीमा विवाद अब भी फंसा हुआ है. इसका मुख्य कारण है कि भारत अब भी इस विवाद को लेकर एक सही रवैया विकसित नहीं कर पाया है. भारत ने हमेशा से ही बहुत अवास्तविक मांग रखी हैं और वो असल परिस्थितियों या ताकत के अनुसार मांग नहीं कर रहा है.'

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