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क्लोन साइंस में चीन की बड़ी कामयाबी, कृत्रिम तरीके से तैयार किए 2 बंदर

चीनी वैज्ञानिकों ने डॉली भेड की तरह कृत्रिम तरीके से 2 बंदर तैयार किए हैं, हालांकि इसके बाद बहस शुरू हो गई है कि क्या ऐसे क्लोन बनाए जाना सही है.

कृत्रिम तरीके से तैयार 2 बंदर कृत्रिम तरीके से तैयार 2 बंदर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

चीनी वैज्ञानिकों ने कृत्रिम तरीके से बंदरों को तैयार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जो करीब 2 दशक पहले डॉली नाम की भेड़ को तैयार करने में किया गया था.

झोंग झोंग और हुआ हुआ नाम के 2 अफ्रीकन लंगूर कृत्रिम तरीके से तैयार किए गए हैं. इन्हें तैयार करने के लिए स्तनपायी जीव बंदरों, एपिस और मानवीय चीजों का सम्मिश्रण किया गया. इनका जन्म 6 से 8 हफ्ते पहले हुआ. इनका क्लोन गैर भ्रूण कोशिका से तैयार किया गया.

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इस पूरी प्रक्रिया को सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर (SCNT) के जरिए किया गया जिससे सेल को गर्भ में भेजा गया था.

शंघाई स्थित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस का कहना है कि इस काम से बंदरों के जरिए बढ़ने वाली बीमारियों पर रोकथाम के लिए ऐसे मेडिकल रिसर्च वरदान साबित होंगे.

दोनों नवजात बंदरों को बोतल के जरिए दूध पिलाया जा रहा है और उनका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है. रिसर्च से जुड़े लोगों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में ऐसे ही और अफ्रीकी लंगूरों के क्लोन तैयार किए जा सकते हैं.

1996 में स्कॉटलैंड में सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए ही डॉली नाम की कृत्रिम भेड़ तैयार की गई थी. इसे वैज्ञानिक जगत में बड़ी कामयाबी माना गया. आगे चलकर इसी सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए 20 अन्य जन्तुओं के क्लोन तैयार किए गए जिसमें गाय, सूअर, कुत्ते, चुहे और बिल्ली जैसे जानवर शामिल हैं.

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एक जर्नल सेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी टीम को इसमें इतनी आसानी से कामयाबी नहीं मिली. इसके लिए उन्होंने कई प्रयास किए.

हालांकि लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट में क्लोन तैयार करने में महारत हासिल करने वाले रॉबिन लॉवेल-बेज जो चीनी टीम के साथ इस काम में शामिल नहीं थे का कहना है कि यह बहुत प्रभावहीन है और प्रक्रिया बेहद खतरनाक थी.

शंघाई स्थित इंस्टीट्यूट का कहना है कि उन्होंने अमेरिकी स्वास्थ्य संगठन की ओर से जानवरों को लेकर तैयार किए गए अंतरराष्ट्रीय मानपदंडों का पूरी तरह से पालन किया है, लेकिन इससे अब बहस फिर शुरू हो गई है कि क्लोन तैयार किया जाना सही है या नहीं.

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