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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर लंदन में CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी हो रहा है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर लंदन में भी लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने उतरे.

लंदन में सीएए के खिलाफ हुआ विरोध-प्रदर्शन (फोटो-लवीना) लंदन में सीएए के खिलाफ हुआ विरोध-प्रदर्शन (फोटो-लवीना)
लवीना टंडन
  • लंदन,
  • 26 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

  • ब्रिटेन में जनवरी में तीसरा प्रदर्शन
  • 'PM मोदी से सीएए हटाने की मांग'

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की राजधानी लंदन में CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिला.

भारत में 71वें गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले लंदन की सड़कों पर सीएए और एनआरसी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में करीब 2000 लोग शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हम भारत में CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े हैं.

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लंदन की सड़कों पर उतरे लोग (फोटो-लवीना)

'भारत के नए कानून भेदभावपूर्ण'

यह विरोध प्रदर्शन उस वैश्विक वीकेंड का एक हिस्सा है जो भारत के नए, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक कानूनों और भारतीय नागरिकता के आधार को बदलने के लिए अन्य उपायों के खिलाफ कार्रवाई के विरुद्ध है.

लंदन की सड़कों पर उतरे लोग (फोटो-लवीना)

कथित 'यूनाइटेड अगेंस्ट फासिज्म इन इंडिया' की अगुवाई में हुई यह मार्च डाउनिंग स्ट्रीट से शुरू होकर भारतीय उच्चायोग के पास खत्म हुआ. यहां प्रदर्शन में शामिल लोगों के के एक समूह ने निर्धारित वर्जित क्षेत्र में नमाज भी पढ़ी, जबकि अन्य लोगों ने अपना विरोध जारी रखा. इस ग्रुप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भी जारी किया.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के साथ ही कई स्थानीय नेताओं की गिरफ्तारी, सीएए और एनआरसी को लेकर मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की.

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'खत्म हो एनआरसी'

अंत में इन प्रदर्शनकारियों की ओर से जारी किए गए पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया गया है कि सरकार सीएए को निरस्त करे और तत्काल रूप से एनआरसी और एनपीआर को समाप्त कर दिया जाए.

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इंडियन मुस्लिम फेडरेशन के शमसुद्दीन आगा ने कहा कि भारत का आधार, उसका धर्मनिरपेक्ष संविधान रहा है जो अब नष्ट हो रहा है. इसे रोकना होगा. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 1935 के फासीवादी जर्मनी को दोहराने नहीं दे सकते! जय हिंद!

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जनवरी में ही यह तीसरा प्रदर्शन था. मूल संगठन साउथ एशिया सालडेरटी मूवमेंट के तहत संगठन सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करते रहेंगे.

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