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'टूट जाएगा OPEC प्लस', तेल की कीमतों को लेकर किया गया बड़ा दावा

ओपेक प्लस में उत्पादन बढ़ाने-घटाने और तेल की कीमतों को लेकर असहमतियां सामने आती रही हैं. हाल के महीनों में रूस और सऊदी अरब के बीच तेल उत्पादन को लेकर तनाव रहा है. अब एक बड़े निवेश समूह ने ओपेक प्लस को लेकर दावा किया है कि यह टूट सकता है.

ओपेक प्लस को लेकर बड़ा दावा किया गया है (Photo- Reuters) ओपेक प्लस को लेकर बड़ा दावा किया गया है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

निवेश समूह क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन के मैनेजिंग पार्टनर ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक प्लस टूट सकता है. दावा किया जा रहा है कि अगर तेल उत्पादन नीति को लेकर देशों के बीच असहमतियां कायम रहती हैं और एकता भंग होती है तो ओपेक प्लस गठबंधन टूट जाएगा और तेल की कीमतों में भारी गिरावट आएगी.

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क्लीन एनर्जी के मैनेजिंग पार्टनर पेर लेकेंडर ने गुरुवार को सीएनबीसी से बात करते हुए कहा कि तेल की मांग में कमी और सदस्य देशों में सहयोग की कमी ओपेक प्लस के खत्म होने का एक वजह बन सकती है. ओपेक प्लस 23 देशों का एक समूह है जो दुनिया के लगभग 40% कच्चे तेल का उत्पादन करता है.

लेकेंडन ने कहा कि अगर ओपेक प्लस टूट जाता है तो तेल की कीमतें 35 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, ' बढ़ते बाजार में, समय आपका मित्र है. आपको बस थोड़ा इंतजार करने की जरूरत है और चीजें मजबूत और बेहतर होंगी. आप पिछले ओपेक प्लस के निर्णय को याद कीजिए जब सऊदी अरब ने अकेले की तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा कर दी थी. इसलिए मैं कहूंगा, अगर मेरा पूर्वानुमान सही है और मुझे पूरा यकीन है कि यह (ओपेक प्लस) टूटने वाला है.'

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हालांकि, ओपेक प्लस के प्रवक्ता ने इस पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं दी है.

ओपेक प्लस टूटा तो तेल की कीमतों में आएगी भारी गिरावट

ओपेक प्लस नवंबर से तेल उत्पादन में कटौती कर रहा है. हालांकि, तेल की कीमतों में साल-दर-साल तेजी से गिरावट आ रही है.

लेकेंडर ने कहा, '1990 और 2000 के दशक में एक समय था जब आपूर्ति इतनी अधिक थी कि वे कीमत नहीं बढ़ा सकते थे लेकिन 1974 के बाद से ज्यादातर समय तेल की कीमत कृत्रिम रूप से बहुत अधिक रही है. अगर कार्टेल काम करना बंद कर देगा तो मैं कहूंगा कि बहुत कम समय में ही तेल की कीमतें 35 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो जाएंगी और कुछ समय बाद 45 डॉलर प्रति बैरल हो जाएंगी.'

क्या है ओपेक प्लस?

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन की शुरुआत 1960 में पांच देशों ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला ने मिलकर की थी. अगले ही दशक में यह गठबंधन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उभरा और धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ. साल 2016 में ओपेक में 10 गैर-ओपक देश शामिल हुए जिन्हें ओपेक प्लस के नाम से जाना गया. इस गठबंधन में रूस भी शामिल था.

ओपेक के महासचिव हैथम अल-घैस ने जुलाई की शुरुआत में कहा था कि ओपेक चाहता है कि संगठन में नए सदस्य देश शामिल हों.

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ओपेक+ के अधिकारियों ने अक्सर नीतियों को बनाने को लेकर संगठन की एकता पर जोर दिया है. हालांकि सहयोगी देश आमतौर पर तेल उत्पादन की प्रतिबद्धताओं से पीछे हटते नजर आते हैं. 

साल 2020 में ओपेक प्लस में सऊदी अरब और रूस के बीच तेल उत्पादन और उसकी कीमतें निश्चित को लेकर भारी तनाव बढ़ गया था जिसके कारण ओपेक प्लस एक महीने के लिए संक्षिप्त रूप से बंद हो गया था. हालांकि, उसी साल मई में ओपेक प्लस फिर से एकजुट हुआ और कोविड-19 की शुरुआत के बाद तेल की मांग में गिरावट को देखते हुए उत्पादन घटाने पर ओपेक प्लस ने सहमति व्यक्त की थी.

हालांकि, कीमतें बढ़ाने के लिए तेल उत्पादन में कमी को लेकर सऊदी अरब और रूस में तनाव चलता आ रहा है. सऊदी अरब उत्पादन कम कर तेल की गिरती कीमतों को बढ़ाना चाहता है लेकिन रूस अधिक उत्पादन कर एशिया के बड़े बाजारों चीन और भारत को भारी मात्रा में रियारती दरों पर तेल आपूर्ति कर रहा है जिससे तेल की कीमतें ज्यादा ऊपर नहीं जा पा रही हैं. 

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